थाना डबुआ का विचित्र व्यापार, काम न होने पर आधी ‘फीस’ वापस

थाना डबुआ का विचित्र व्यापार, काम न होने पर आधी ‘फीस’ वापस
October 17 05:24 2022

बदमाशों पर दर्ज मुकदमों की सूची देने की ‘फीस’ अलग से, शिकायत के बावजूद सीपी उदासीन

फरीदाबाद (म.मो.) अपराध एवं अपराधियों से निपटने के लिये पुलिस जनता से सहयोग करने की अपील तो करती है,परन्तु जब कोई नागरिक किसी अपराधी की सूचना पुलिस को देता है तो पुलिस वालों को अपराधी पक्ष के साथ खड़ा पाता है।

इसका भुक्तभोगी डबुआ क्षेत्र निवासी सोनू गुप्ता बार-बार बनता जा रहा है। अपने मुहल्ले में रहने वाले शराब तस्कर व जुए-सट्टे का धंधा करने वाले मयंक, मनीष, बॉबी, सचीन व महेन्द्र गोयल आदि के विरुद्ध उसने 11 जुलाई को बिजली चोरी की शिकायत की थी। इस पर बिजली वालों ने 15 जुलाई को उनकी बिजली काट दी थी। बदमाशों ने शिकायतकर्ता का पता लगा कर उसकी अच्छी-खासी पिटाई कर डाली। इसके विरुद्ध सोनू ने थाने में शिकायत की। लेकिन थाने में सोनू की अपेक्षा उक्त बदमाशों का प्रभाव कहीं ज्यादा था क्योंकि वे पुलिस को नियमित रूप से हफ्ता देते आ रहे हैं, लिहाजा दोनों ओर से एफआईआर दर्ज कर दी गई।

दोषियों को गिरफ्तार करने व उचित धारायें लगाने के नाम पर हवलदार हेमराज ने सोनू से 10 हजार रुपये नकद वसूले। उसके बाद एएसआई बलबीर ने एसएचओ को देने के नाम पर 60 हजार रुपये अलग से वसूले। कई दिन थाने व बीके अस्पताल के चक्कर कटाने के बाद भी जब दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो सोनू ने अपने 60 हजार रुपये वापस मांगने शुरू किये। अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए बलबीर ने 40 हजार रुपये लौटाते हुए शीघ्र ही 20 हजार भी लौटाने की बात कही जो अब तक नहीं लौटाये। हवलदार हेमराज ने तो पैसे लौटाने से साफ इनकार करते हुए कहा कि उसने तो केस दर्ज करा ही दिया है।

इसके बाद नया खेल शुरू होता है कि उक्त बदमाशों को दस नम्बरी बनाने का। इस पर अलग से सौदेबाजी होने लगती है। इसके लिये पुलिस ने 35 हजार रुपये की मांग रखी। 10 हजार रुपये तो केवल मनीष व मयंक के विरुद्ध अब तक दर्ज करीब 28 मुकदमों की सूची देने के नाम पर तथा 25 हजार रुपये उन्हें दस नम्बरी बनाने के तय हुए। 10 हजार रुपये की एवज में एसएचओ श्रीभगवान ने उसे जो आधी-अधूरी सूची दी वह इस प्रकार है:

मजे की बात तो यह है कि इस सारे लेन-देन की ऑडियो तथा कुछ वीडियो सोनू ने इस संवाददाता को दी हैं। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा ने सीपी विकास अरोड़ा को भी सूचित किया था लेकिन कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही।

सोनू गुप्ता से इस गिरोह की दुश्मनी केवल बिजली चोरी की शिकायत से नहीं बनी है। इसकी शुरूआत तो अप्रैल 2021 में तब हो गई थी जब सोनू गुप्ता ने पुलिस की बहकाइ में आकर उसे सहयोग करने की नीयत से इस गिरोह के काले कारनामों की पूरी जानकारी दे डाली थी। उसे नहीं मालूम था कि जो जानकारी वह पुलिस को दे रहा है, वह उनके पास न केवल पहले से ही है बल्कि उसके बदले पुलिस वाले बाकायदा हफ्ता वसूली भी करते हैं।

इसका परिणाम यह हुआ कि पुलिस से शिकायतकर्ता की जानकारी मिलने पर गिरोह के उक्त पांचों सदस्यों के अलावा राहुल, कैलाश व मयंक की पत्नी आशा ने सोनू व उसकी बुजुर्ग मां पर हमला करके बहुत बूरी तरह से घायल कर दिया। पीडि़त सोनू फरीयाद करने थाने पहुंचा तो तत्कालीन एसएचओ सोहनपाल खटाना ने दोनों पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज कर ली। सोनू के साथ हेरा-फेरी करते हुए खटाना ने उसके द्वारा बताये गये तीन नाम एफआईआर से निकालने के साथ-साथ उन पर धारायें भी हल्की लगाई।

खटाना के बाद वहां तैनात हुए एसएचओ महेन्द्र पाठक ने सच्चाई को समझते हुए एफआईआर से निकाले गये इन तीनों नामों को फिर से केस में डाला और धारा भी गम्भीर लगा कर चालान कोर्ट में दे दिया। महेन्द्र पाठक के जाने के बाद लगता है कि अब श्रीभगवान खटाना के रिकॉर्ड को तोडऩे की दिशा में बढ़ रहा है। चलो, थाने में तैनात पुलिसकर्मी तो जो कर रहें हैं सो कर ही रहें हैं परन्तु उनके ऊपर बैठे सुपरवाइजरी अफसर साहेबान क्या कर रहें हैं, खासतौर पर सीपी साहब? एक विधायक द्वारा पूरे केस की सूचना देने के बावजूद भी किसी के कान पर जूं तक न रेंगने का मतलब, जो हो रहा है वह यों ही होता रहेगा। इस बावत ‘मज़दूर मोर्चा’ संवाददाता ने भी सीपी का पक्ष जानने के लिये उन्हें फोन किया था। लेकिन वे कभी भी फोन पर उपलब्ध नहीं होते, सदैव उनके रीडर अथवा गनमैन द्वारा ही फोन उठाया जाता है।

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Mazdoor Morcha
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