ईएसआई अस्पताल में ऑपरेशन के लिये तीन महीने का इन्तजार

ईएसआई अस्पताल में ऑपरेशन के लिये तीन महीने का इन्तजार
October 09 01:52 2022

निष्ठुर सरकार मस्त, पैसा देने के बावजूद मज़दूर त्रस्त

फरीदाबाद (म.मो.) एनएच तीन स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जरूरत से आधे स्टाफ के बावजूद यहां 120 प्रतिशत ऑकुपेंसी है और ओपीडी में करीब 4500 मरीज़ प्रति दिन आ रहे हैं। सरल भाषा में 600 बिस्तरों के इस अस्पताल में करीब 750 मरीज़ भर्ती रहते हैं। वार्डों में अतिरिक्त बेड लगाने पड़ते हैं।

अस्पताल की कार्यकुशलता एवं स्टाफ की मेहनत व लग्न के चलते आ रहे बेहतर परिणामों को देखकर पूरे एनसीआर व हरियाणा भर से मरीजों को यहां रैफर किया जा रहा है। जाहिर है ऐसे में अस्पताल का कार्यभार कई गुणा बढ़ जाना स्वाभाविक ही है। जहां फरीदाबाद क्षेत्र में बीमाकृत मज़दूरों की संख्या करीब 6 लाख है वहीं अकेले गुडग़ांव क्षेत्र में ऐसे मज़दूरों की संख्या करीब 20 लाख है। शेष हरियाणा व एनसीआर क्षेत्रों की संख्या अलग से है।

विदित है कि गुडग़ांव में बीते बीसियों साल से मात्र 100 बेड का तथा मानेसर में 50 बेड का अस्पताल है। जाहिर है ऐसे में गुडग़ांव वालों को भी फरीदाबाद का यही अस्पताल नजर आता है। न केवल गुडग़ांव के बल्कि दिल्ली से भी मरीजों को यहां रैफर कर दिया जाता है। इन हालात में ऑपरेशन के लिये मरीजों को तीन-तीन महीने की तारीख नहीं मिलेगी तो और क्या मिलेगा? बीते सप्ताह हर्निया से पीडि़त दिनेश को मानेसर से यहां रैफर कर दिया गया। यद्यपि पीडि़त को तुरंत ऑपरेशन की जरूरत थी लेकिन अस्पताल में लगी लम्बी लाइनों के चलते उसे तीन माह की तारीख दे दी गई। यह भी कोई जरूरी नहीं कि तीन माह बाद भी उसका नम्बर आ ही जायेगा।

ऐसे में पीडि़त दिनेश को सारा दोष अस्पताल के डॉक्टरों एवं प्रबन्धन का नजर आता है। हर महीने अपने वेतन से करीब 600 रुपये ईएसआई कार्पोरेशन को देने के बावजूद, जरूरत पडऩे पर उसे ठेंगा दिखा दिया गया है। अब यदि उसके पास पैसों का कुछ जुगाड़ बना तो वह किसी निजी अस्पताल में अपना इलाज करा लेगा अन्यथा मरना-जीना राम भरोसे।
ईएसआई कॉर्पोरेशन द्वारा मज़दूरों के साथ किये जा रहे इस क्रूर मजाक की गहराई नापने की कोशिश न करके मज़दूर केवल अस्पताल के डॉक्टरों आदि पर अपनी भड़ास निकाल कर शान्त हो जाते हैं। उन्हें समझना चाहिये कि कार्पोरेशन में सरकार व मालिकान के नुमाइंदों के अलावा मज़दूर संगठनों के नुमाइंदे भी होते हैं। लेकिन इन नुमाइंदों की नुमाइंदगी केवल नेतागिरी तक ही सीमित रहती है। मज़दूर हितों के लिये सरकार से लडऩे-भिडऩे की उन्हें कोई जरूरत महसूस नहीं होती।

गुडग़ांव क्षेत्र में 20 लाख ईएसआई कवर्ड मज़दूर होने के बावजूद इसी साल फरवरी में केन्द्रीय श्रममंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव ने मानेसर में साढे सात एकड़ के प्लॉट पर 500 बेड के एक अस्पताल का शिलान्यास किया है। तालियां बजाने व अपनी पीठ थपथपाने के लिये हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर व श्रममंत्री दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे।

यहां समझने वाली बात यह है कि फरीदाबाद का मेडिकल कॉलेज अस्पताल 30 एकड़ के प्लॉट पर बना है। मरीजों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए इसके विस्तार पर विचार किया जा रहा है। इसके बावजूद भी नेताओं की समझदानी में यह बात नहीं आई कि साढे सात एकड़ के प्लॉट पर बनने वाला 500 बेड का अस्पताल इस क्षेत्र की जरूरतें कैसे पूरी करेगा?

दरअसल हरियाणा सरकार के इस प्लॉट का कोई ग्राहक तो था नहीं, इसलिये इसे ईएसआई कार्पोरेशन के मत्थे मढ़ कर खट्टर ने 120 करोड़ रुपये खरे कर लिये, अस्पताल तो बनेगा जब बनेगा।

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Mazdoor Morcha
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