भोलेन्द्र विक्रम सिंह आधा सावन बीत गया। न बारिस, न पटोहा, न कजरी, न मेहंदी, न चूडिय़ों की खनखन, न कोई मीत, न किसी का इंतजार, न दिले वेकरार। न अब कोई बेला अपने हांथों की मेंहदी में ‘K’ लिख रही है न ही कोई राधे सफेदा के पेड़ पर खुरपी से ‘N’ लिख रहा है। ये कैसा सावन है जिसमें केवल निराश रोजगार, हताश जवानी, उदास बुढापा… मास्क, सेनेटाइजर, पॉजीटिव-नेगेटिव के बीच दो कौड़ी के रोग के कारण लाखों का सावन बीत जा रहा है।
पांडे काका भी सावन में साधू हो गए हैं। एक लोटा जल पीपल पर रोज चढ़ाते हैं। आज चढ़ाकर लौट रहे थे तो रास्ते में डबल स्टैंड पर खड़ी एक बुलेट दिखी…उस पर एक महात्मा हेलमेट की जगह मुकुट पहने बैठे हैं…आँखों में गोल्डन फ्रेम रेवैन…पैरों में अंडर आर्मर का लांग बूट…गले में गुजराती गमछा…गमछे का एक सिरा हाथ में..भव्य आकार…काका डरते डरते पूछे…भाई साहब आप?
…मैं ब्रम्हापुत्र नारद हूँ… आपके लोक में भ्रमण हेतु आया हूँ, चलिए मेरे साथ। काका भी बहुत दिनों से ऊबे थे, कूद कर लोटा सहित बुलेट पर बैठ गए। बुलेट हवा में। ये लोग मुँह में क्या लगाए हैं?…महराज ये मास्क है… अच्छा तो क्या इसको लगाने से कोरोना नहीं होता?…महराज इसको तो आपके बप्पा ही बता सकते हैं। यहां तो बड़ी कन्फ्यूजन है…अब पूरे मुंह पर लैमिनेशन कराने की बात चल रही है।
कुछ दूर जाने पर लम्बी-लम्बी लाइनें दिखी। नारद बोले… इतनी भीड़…काका-मदिरा है महराज, नरक का अमृत..टेस्ट करेंगे?…नहीं..मेरे सावन चल रहें हैं, लॉकडाऊन में भी खुली हैं इससे कोरोना में कुछ लाभ मिलता है क्या?…काका…जी महराज, इसको पीने वाला खुद को कोरोना से लडऩे में सक्षम मानता है और सरकार कोरोना से लडऩे में खुद को सक्षम बनाती है।
हरि के द्वार में घुसते ही नीचे देखकर नारद बोले ये हमारे पापा की शक्ल-सूरत का कौन है?..काका…महराज ये बाबा रामदेव हैं। ये सदैव इसी तरह नहीँ रहते कभी कभी सलवार भी पहन लेते हैं…अम्बानी के मामा के लडक़े हैं… योग से योग करके अरबों की कंपनी खड़ी किये हैं। दुनिया में कोरोना की दवा सबसे पहले यही खोजे हैं, बाकी सारी दुनिया अभी भी खोज रही है। बुलेट नोएडा के ऊपर पहुंची ही थी…नारद पूछे..पांडे ये लोग क्यों इतना चीख-चिल्ला रहें हैं…काका लोटे को मजबूती से पकडक़र बोले…महराज आप ही का तो बिभाग है…ये मीडिया की भारतीय मंडी है…नारद मुस्कुराये…काका का हौसला बढ़ा…महराज ये पीले सूट-खुले बाल वाली स्वेता सिंह हैं, ये भारत को खबरदार कर रहीं हैं। ये चीनी सैनिकों को दूर से देख कर उनकी हर गतिविधि को यहां के फौजियों को बता देती हैं और भारत जीत जाता है…नारद..पर ऊपर से तो चीन भारी दिखता है…यही भ्रम तो ये दूर कर रहीं हैं। ये इटली का कोट पहने शर्मा जी की अदालत है यहां पूरी सरकार बरी कर दी जाती हैं…ये अंग्रेजी वाले चश्मिश गोस्वामी जी हैं इनका काम है पाकिस्तान औऱ चीन को भारत से हराना…अमेरिका को ट्राई नहीं किये हैं बस…ये भाई साहब उदास क्यों हैं?…कौन ये?…ये पंकज उदास के भाई हैं रवीश उदास…इनकी मुख्य खबर यही है कि कोई खबर मत देखो..केवल इनको देखो।
नारद महराज अचानक बुलेट रोक देते हैं…ये गुरुकुल में बिना शिष्यों के आचार्य लोग क्या कर रहें हैं…इतना सुनते ही काका का गला भर्रा उठा…उदास हो बोले…महराज इनकी दशा न पूछो..ये बेसिक के टीचर हैं…पिछले कुछ महीनों से इनके जीवन से आनन्द का हर कतरा निचोड़ा जा रहा है। काका लोटे में पानी की बची बूंदों को जिह्वा पर टपका कर ठण्डे हुये…फिर बोले…पूरा बिभाग व्हाट्सएप से चल रहा है…रोजाना दस-बीस आपस में उलझे हुए आदेशों को सुलझाने के चक्कर में शिक्षकों की लंका लगी हुई है…नारद द्रवित हो बोले…ये कान में क्या लगाए हैं… महराज ये ऑनलाइन ट्रेनिंग द्वारा शार्प किये जा रहें हैं ताकी स्कूल खुलते ही बच्चों में ज्ञान उड़ेल सकें… इस समय दुनिया का सबसे तेज चलने वाला बिभाग बेसिक है महराज।
नारद गम्भीर हुए…काका ने पूछा… स्वर्ग में भी इंटरनेट है महराज? नारद ने उत्तर नहीं दिया…काका पारा मोड़ पर दो समोसा खिलाकर नारद को बिदा किये…और नारद भी जाते-जाते काका का लोटा मांग ले गए।