भारतीय मुसलमान : एक कड़वी बहस

भारतीय मुसलमान : एक कड़वी बहस
September 26 11:13 2022

असगर वजाहत
भारतीय मुसलमानों पर लिखने से पहले यह साफ कर देना जरूरी है कि जिस तरह कोई एक भारतीय खाना नहीं है,एक भारतीय संगीत नहीं है, एक भाषा नहीं है, एक पहनावा नहीं है उसी तरह मुसलमानों की कोई एक पहचान/ एकरूपता नहीं है। वे एक मूल धर्म के कई सम्प्रदायों को मानते हैं लेकिन उनकी भाषा, पहनावा, खाना पीना एक दूसरे से बहुत अलग है। उनके बहुत से विश्वास भी एक दूसरेसे मेल नहीं खाते। कहीं कहीं वे जातिवाद का भी शिकार हैं। इसलिए जब हम भारतीय मुसलमानों की बात करते हैं तब निश्चित रूप से यह उत्तर भारत, विशेष रुप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान के मुसलमानों के बारे में ही होता है।

1. भारत के मुसलमानों की एक मूल समस्या उनके अंदर शिक्षा और जागरूकता का अभाव है। इसका मूल कारण उनका अपने छोटे-छोटे धार्मिक गुटों के प्रभाव में रहना ही है। कुछ धार्मिक गुट उन्हें आधुनिक और वैज्ञानिक शिक्षा से दूर रखकर केवल मदरसा शिक्षा तक सीमित कर देते हैं।

2. पढ़े लिखे मुस्लिम समुदाय का संबंध अपने धर्म के कमजोर और पिछड़े हुए लोगों से लगभग पूरी तरह कटा हुआ है। मध्यम और उच्च मध्यमवर्गीय मुसलमानों ने अपने लिए ‘सुरक्षित स्वर्ग’ बना लिए हैं ।

3. मुसलमान चुनाव में मतदान करने और अपने धार्मिक विश्वासों और सीधे सीधे उन्हें प्रभावित करने वाले क़ानूनों के अलावा देश की बड़ी समस्याओं या राष्ट्रीय मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते और न इस संबंध में आयोजित आंदोलनों का सक्रिय हिस्सा बनते हैं। उदाहरण के लिए सरकार की शिक्षा नीति, स्वास्थ्य नीति, लोकतांत्रिक संगठनों का गिरावट आदि।

4. मुस्लिम बुद्धिजीवी जो आमतौर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया और इसी तरह के दूसरे संस्थानों से संबंधित हैं आमतौर पर अकादमिक कामों के अलावा अपने समाज ही नहीं बल्कि देश की प्रमुख समस्याओं के प्रति उदासीन रहते हैं।

5. धर्म प्रचार और धर्म सुधार के नाम पर मुसलमान करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं लेकिन लोकतंत्र को बचाने के लिए, जो उन्हें धार्मिक काम करने की छूट जाता है, प्राय: कुछ नहीं करते।

6. कुछ मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने अनपढ़ या कम पढ़ें मुसलमानों पर धर्म का ऐसा आतंक स्थापित कर दिया है कि वे केवल जमीन के नीचे अर्थात कब्र में क्या होगा और आकाश के ऊपर मतलब स्वर्ग और नरक के अतिरिक्त और किसी चीज़ की चिंता ही नहीं करते। जबकि इस्लाम धर्म दीन और दुनिया मतलब धर्म और संसार दोनों को साथ लेकर चलने के पर बल देता है।

7. पिछले कुछ दशकों से बढ़ती मुस्लिम विरोधी भावनाओं और हिंसा के कारण मुस्लिम समुदाय आतंकित, भयभीत डरा हुआ और अपनी सुरक्षा के प्रति बहुत चिंतित है। उसकी दूसरी प्रतिक्रिया आक्रामकता की है जो निश्चित रूप से उसे और अधिक कमजोर कर देगी।

8. अपनी वर्तमान स्थिति के कारण मुसलमान ‘सॉफ्ट टारगेट’ बन जाते हैं। उन्हें पूरी तरह खलनायक बना दिया गया है। उन पर हमला करना, उन्हें बदनाम करना, उन्हें अपमानित करना, उनके साथ भेदभाव करना, हिंसा करना, उनके अधिकारों का हनन करना बहुत सरल हो जाता है।

9.अपनी कमज़ोर स्थिति के कारण मुसलमान अपने खिलाफ व्यापक स्तर पर किए जाने वाले घृणा प्रचार, झूठे समाचारों और गलत व्याख्या का जवाब दे पाने में समर्थ नहीं है।
10. भारत का मुसलमान अब तक अपनी राजनीतिक भूमिका को समझ ही नहीं पाया है और यह उसकी समस्याओं का एक बहुत बड़ा कारण है।

11.कांग्रेस और उसके बाद क्षेत्रीय दलों ने मुसलमानों का तुष्टीकरण करके उनकी स्थिति को और खराब बनाया है। कांग्रेस ने मुसलमानों को ‘खुश करने’ की जिस परंपरा की शुरुआत की थी उसको बाद में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, मायावती आदि ने चरम पर पहुंचा दिया था। मुसलमानों को बहुत ‘खुश कर’ दिया था। मुसलमानों के वोट लेकर कई दशकों तक यह नेता सत्ता का मजा लेते रहे। इसी समय उत्तर प्रदेश और बिहार के जिलों में ‘मुस्लिम माफिया’ का जन्म होता है। मुस्लिम बाहुबली पैदा होते हैं और क्या मुस्लिम धार्मिक नेताओं के संपत्ति में वृद्धि होती है? साधारण मुसलमान यह समझ नहीं पाए कि उनके साथ उपकार किया जा रहा है वह कल उनके लिए आफत बन जाएगा, मुसीबत बन जाएगा। मुसलमानों के प्रति इस तुष्टिकरण की प्रतिक्रिया ने दरअसल उन लोगों की बहुत मदद की है जो मुसलमानों को खलनायक बना कर पेश करते हैं।

12. आज बहुत सफलता, चतुराई, होशियारी और अपार धन-संपत्ति की सहायता से मुसलमानों को इतना बड़ा खलनायक सिद्ध कर दिया गया है कि अब वे नेता जो पहले मुसलमानों की माला जपा करते थे अब मुसलमानो का नाम लेते हुए डरते हैं।

13. आजादी के 70 साल बाद मुसलमान व्यापारियों और कारोबारियों के पास अच्छा पैसा आ गया है लेकिन वे उस पैसे का उपयोग अपनी बिरादरी या देश हित करते नहीं दिखाई देते।

14. आशा है भविष्य में सार्थक परिवर्तन होंगें। देश में विभिन्न समुदायों के बीच एकता भाईचारा स्थापित होगा। लोकतंत्र मजबूत होगा।देश हित और समाज हित में देशवासियों को एक दूसरे से मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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Mazdoor Morcha
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