अंडरपास में स्कूली बच्चों समेत बस डूबने के बावजूद प्रशासन जागने को तैयार नहीं

अंडरपास में स्कूली बच्चों समेत बस डूबने के बावजूद प्रशासन जागने को तैयार नहीं
September 24 14:16 2022

फरीदाबाद (म.मो.) मंगलवार 20 सितम्बर को बाद दोपहर जब मानव रचना स्कूल की बस बच्चों को घर छोडऩे जा रही थी तो वह बुढिय़ा नाले के बगल वाले रेलवे अंडरपास में डूबने लगी तो बच्चों में हाहाकार मच गया। पानी में डूबने की वजह से बस के ऑटोमेटिक दरवाजे भी जाम हो गये। खिड़कियों में से बच्चों का चीत्कार सुनकर राह चलते लोग एकत्र हो गये, पुलिस को भी बुला लिया गया। बड़ी मुश्किल से जैसे-तैसे एक-एक बच्चे को खिड़कियों के रास्ते बाहर निकाला गया।

विदित है कि उस दिन बारिश भी कोई ज्यादा नहीं हुई थी। बरसाती पानी के अलावा उसमें सीवर का पानी पूरे जोर से बह कर आ रहा था। यानी कि बरसाती पानी व सीवर ने मिलकर अंडरपास को डुबो दिया। इसके डूबने का यह कोई पहला मौका नहीं है। प्रत्येक वर्षं यह चार-पांच बार तो अवश्य ही डूबता है। वाहन चालक को इसकी गहराई का अंदाजा न होने के चलते वह इस में फंस जाता है। फंसने के बाद वाहन पीछे भी नहीं हो सकता। कार जैसे छोटे वाहन के तो दरवाजे व शीशे तक भी जाम हो जाते हैं। जान बचाने के लिये सवारियां शीशे तोडक़र बाहर निकल पाते हैं।

ग्रीन फील्ड कॉलोनी को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोडऩे वाला यह एक महत्वपूर्ण अंडरपास है। इसके जाम होने से कॉलोनी वासियों को आवागमन के लिये काफी लम्बा चक्कर लगाना पड़ता है। इस लम्बे चक्कर से बचने के लिये कई बार नये-नये वाहन चालक जोखिम लेकर इसमें फंस जाते हैं। पैदल चलने वाले कई लोग रेल की पटरी पार करते हुए अपनी जान से हाथ धो चुके हैं। परन्तु शासन-प्रशासन को इन सब बातों से क्या लेना देना है? मुख्यमंत्री खट्टर खुद कई बार इस समस्या का स्थायी हल खोजने की बात कह चुके हैं, परन्तु परिणाम निल बटा सन्नाटा।

उक्त घटना के बाद दिनांक 22 सितम्बर को हुई बारिश के चलते शहर के तीनों रेलवे अंडरपास पानी से इस कदर लबालब भर गये कि 23 तारीख तक भी इन से आवागमन सुचारू नहीं हो सका। ओल्ड फरीदाबाद वाला अंडरपास में भरा पानी तो पुल की छत को छूने के निकट तक पहुंच गया। ऐसे में एनआईटी की ओर से राजमार्ग की तरफ आवागमन करने वालों के लिये भारी संकट खड़ा हो गया है। पहले जो लोग रेलवे पटरियों को पार कर लेते थे उन्हें रोकने के लिये रेलवे ने अच्छी-खासी ऊंची दीवार खड़ी कर दी है जिसे टापते हुए पिछले दिनों एक पथिक अपनी जान गंवा बैठा।

शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद शहर की सडक़ें लबाबल
शहर के विकास एवं नागरिकों की सुविधा के लिये जहां पहले ‘हूडा’ व नगर निगम होते थे, अब इनके साथ-साथ स्मार्ट सिटी कम्पनी लिमिटेड तथा फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण जैसे ढकोसले भी खड़े कर दिये गये। इतना ही नहीं एचएसआईआईडीसी (हरियाणा राज्य औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास निगम) को भी यहां खेलने के लिये छोड़ दिया गया है।

अकेले स्मार्ट सिटी कम्पनी द्वारा अभी तक करीब 3000 करोड़ की रकम ठिकाने लगा दिये जाने के बावजूद शहरवासियों को किसी प्रकार की कोई राहत एवं सुविधा मिलती नजर नहीं आई। इस कंपनी के अलावा चार अन्य महकमे भी खुल कर सरकारी धन उड़ाने में लगे हुए हैं जिसकी कोई उपयोगिता नजर नहीं आ रही। आखिर शहरवासियों को चाहिये क्या? साफ-सुथरी बिना खड्डों वाली अतिक्रमण से मुक्त सडक़ें, भरोसेमंद सीवर तथा पेयजल सेवा और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन।

हर साल बरसात शुरू होने से पहले नालों की सफाई के नाम पर करोड़ों के टेंडर छोड़ दिये जाते हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी ने तो बाकायदा जल-भराव रोकने के नाम पर कई-कई किलोमीटर लम्बी गहरी नालियां बनाकर छोड़ दी हैं। इन सबके बावजूद जलभराव से शहरवासियों को कोई राहत नहीं। ‘हूडा’ द्वारा नवनिर्मित तमाम सेक्टरों में बरसाती पानी की निकासी के लिये विशेष चैनल बनाये गये हैं। लेकिन ये चैनल केवल फइलों तक ही सीमित हैं। धरातल पर ऐसे कोई चैनल कार्यरत नही है। बरसाती पानी भी सीवर लाइनों में ही चलता है।

करीब चार वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर ने शहर में एक हजार रेनवाटर हार्वेस्टर लगाने की घोषणा की थी जिनके द्वारा बरसाती पानी सडक़ों पर भरने की बजाय धरती में उतर जाय। लेकिन आज तक ऐसा कोई रेन हार्वेस्टर नहीं बना है। पहले से जो बने हुए थे उनमें एक बूंद भी पानी नीचे नहीं उतर रहा। इसके चलते वर्षा का बेशकिमती पानी किसी काम आने की बजाय जनता के लिये मुसीबत बना हुआ है। सडक़ों पर खड़े पानी में से, मजबूरन वाहन जैसे-तैसे निकल तो जाते हैं परन्तु उनमें काफी नुकसान हो जाता है। बरसात के बाद प्रत्येक ऐसे वाहन को औसतन चार-पांच हजार रुपये तो मरम्मत आदि पर खर्च करने पड़ ही जाते हैं। इस सबके बावजूद सरकार इस मामले में अपनी कोई जवाबदेही नहीं समझती।

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Mazdoor Morcha
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