विरोधी भी मानते हैं कि अपना सबसे बड़ा सेल्समैन वह खुद है

विरोधी भी मानते हैं कि अपना सबसे बड़ा सेल्समैन वह खुद है
September 18 16:08 2022

विष्णु नागर
ये तो उसके बड़े से बड़े विरोधी भी मानते हैं कि अपना सबसे बड़ा सेल्समैन वह खुद है। वह कुछ भी बेच सकता है!।जो है,वह भी और जो नहीं है, वह भी!सडक़ पर पड़ा धूलभरा पत्थर भी वो इतनी खूबसूरती से बेच लेता है,जितनी खूबसूरती से हीरा व्यापारी हीरा भी नहीं बेच सकता!

टूटी हुई ईंट को सोने के भाव बेचना भी उसे आता है और सोने को, टूटी ईंट के भाव बेचना भी!इस आदमी ने तय किया कि इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक 3.20 किलोमीटर लंबी सडक़ की कथित खूबसूरती को बेचना है। मनमोहन सिंह के बस में यह नहीं था।वे अर्थशास्त्री थे, उनके खून में व्यापार नहीं था।मान लो,वह इस सुंदर सडक़ का भी सौंदर्यीकरण करवाते तो हद से हद अपने किसी मंत्री से कहते कि भाईसाहब या बहनजी,आप ही उद्घाटन कर दो या मत करो, कौनसा बड़ा तीर हमने मारा है,छोड़ो! इतना जरूर करो कि इसका दिल्ली -हरियाणा-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अखबारों में विज्ञापन छपवा दो, इतना काफ़ी है । इसके विपरीत इस आदमी ने इतनी मामूली चीज़ की भी बढिय़ा पैकेजिंग की और ‘विकास पुरुष’ का धंधा चमका लिया!बीच में यह नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को भी ले आया। उनकी प्रतिमा का अनावरण कर दिया।

साथ में यह झूठ भी बोल दिया कि जार्ज पंचम के निशान को मिटाकर नेताजी की प्रतिमा लगाई है,जैसे यहां इससे पहले शहीदों की स्मृति में अमर जवान ज्योति नहीं जल रही थी,जिसे चुपके से इसी ने हटवाया था!अमर जवान ज्योति को हटवाया और झूठ- मूठ में गुलामी का प्रतीक हटाने का श्रेय भी ले लिया!इस तरह हो गई ‘नये भारत’ की प्राणप्रतिष्ठा! सीधे बंबइया फिल्म का फार्मूला है!यह फार्मूला फिल्मों में तो पिट रहा है, राजनीति में भी कितना चलेगा! इनका हीरो अक्षय कुमार पिट गया तो राजनीति का अक्षय कुमार भी कब तक चलेगा!
इस आदमी को हरेक के आदर्शों पर चलने, उनके सपनों का भारत बनाने का अभ्यास है। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर भगत सिंह, गुरु गोलवलकर से लेकर बाबा बासाहेब अंबेडकर तक के आदर्शों पर चलना आसानी से जानता है।कई बार दिन में दो बार, तीन बार भी इसके- उसके सपनों का भारत बनाकर धर देता है!पिछले आठ सालों में यह शख्स सैकड़ों महापुरुषों के सपनों को साकार कर चुका है और सैकड़ों को महापुरुष भी बना चुका है! जुबान ही तो हिलाना है! शब्दों की चाशनी ही तो बनाना है! एक दिन नेताजी के आदर्शों पर भी चल देना इसके लिए कौनसा बड़ी बात है!इस बहाने किसी न किसी को नीचा दिखाने का सुख भी मिल जाता है!

तो ये हुआ पैकेजिंग भाग-1।अब बात राजपथ के सौंदर्यीकरण को बेचने की।कुल 3.20 किलोमीटर की सडक़ की सुंदरता को इसे बेचना था!।ऐसा नहीं हो सकता था कि यह कहता कि मेरी सरकार यानी मैंने, राजपथ को कितना सुंदर बनवा दिया है।मोदी -ब्रांड इससे नहीं बनता! इसलिए राजपथ का नाम बदला जाता है।इस नाम को गुलामी का प्रतीक बताया जाता है!इसे कर्तव्य पथ नाम दिया जाता है।और कर्तव्य किसका? जनता के अलावा कर्तव्य कौन निबाह सकता है!राजा का कर्तव्य तो राज करना है,सो अरबों के हवाई जहाज,12 करोड़ की कार से धरा को रौंदते हुए,दो लाख की घड़ी और 1.30 लाख की कलम धारण कर राजा जी निभा रहे हैं!इस सडक़ और इसके आसपास की बिल्डिंगों में रहेंगे ये।

खाएंगे ये, खिलाएंगे ये।अपना शानदार बंगला बनवाएंगे ये। दिन में छह बार कपड़े बदलेंगे ये। सुविधाओं के गुलामी करेंगे ये। अंदाज़ शाही दिखाएंगे ये।अमीर देशों के गोरे प्रमुखों से मिलेंगे तो गले ऐसे लगाएंगे,जैसे ये उनके बचपन के दोस्त हों!

मन और मानस से गुलामी करेंगे ये और गुलामी के प्रतीकों से लड़ेंगे भी ये ,जो सिर्फ अपनी गद्दी के लिए लडऩा जानते हैं! अंग्रेजों की गुलामी से लडऩे के लिए बरसों जेल में काटने वाले, प्रधानमंत्री होकर भी खटारा पंखे के नीचे सोनेवाले, नेहरू जी तो गुलामी की मानसिकता का शिकार थे और ये आजादी की मानसिकता के शिकार हैं!और अभी तो टुकड़ों-टुकड़ों में ये पूरा सेंट्रल विस्टा बेचेंगे!

2024 तक इसी तरह धंधा चमकाएंगे। ये ही इनके लिए न्यू इंडिया बनाना है!इसी तरह इन्होंने आज तक सब मिटाया है!

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Mazdoor Morcha
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