फरीदाबाद (म.मो.) बुजुर्गों को उनकी उम्र के आखिरी पड़ाव में उनकी अपनी औलादों द्वारा प्रताडि़त किये जाने से बचाने के लिये सरकार ने सामान्य सिविल कोर्ट की बजाय विशेष ट्रिब्यूनलों का गठन किया है। इनके चेयरमैन एसडीएम तथा दो प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता इनके सदस्य होते हैं। निर्धारित नियमों के अनुसार सप्ताह-सप्ताह की तारीखें लगा कर तीन माह के अंदर-अंदर ट्रिब्यूनल को केस निपटाना होता है।
फरीदाबाद के एसडीएम चहल तमाम नियमों को ताक पर रख कर 73 वर्षीय जोगिंदर कुमार यादव निवासी मकान नम्बर 301 सेक्टर 15 फरीदाबाद को चक्कर पर चक्कर लगवाये जा रहे हैं। इस बुजुर्ग ने अपने दो पुत्रों बसंत यादव तथा विनोद यादव तथा इनकी पत्नियों द्वारा बूरी तरह से प्रताडि़त होने व उनके हाथों पिटने के बाद 20 मई 2022 को एसडीएम के उक्त ट्रिब्यूनल में राहत के लिये अपना केस दायर किया। बुजुर्ग जोगिन्दर यादव की मांग केवल इतनी है कि उसके अपने जरखरीद मकान नम्बर 301 से उसके पुत्रों व उनकी पत्नियों को बेदखल किया जाय।
उक्त मकान जोगिन्दर यादव ने अपने पैसों से खरीद कर अपना पैसा लगा कर खुद बनवाया था। इस नाते वह खुद इस मकान का मालिक व काबिज है। अपने पुत्रों को उन्होंने अपनी इच्छानुसार घर के प्रथम व द्वितीय तल पर रहने की इजाजत उस वक्त दी थी जब वे उसका आदर सम्मान करते थे। लेकिन आज के हालात में वे लोग इस मकान में रहने के लायक नहीं रहे। उनके दुव्र्यवहार एवं धमकियों के चलते बुजुर्ग को हर वक्त अपनी जान का खतरा बना रहता है।
एक रात तो इन लोगों ने बुजुर्ग केघर के लोहे के दरवाजे को छेनी-हथौड़ी से तोड़ कर इनके घर में ही प्रवेश कर लिया। मजे की बात तो यह है कि दोनों पुत्र तो ऊपर अपने-अपने घरों में चले गये और दोनों बहुयें बुजुर्ग के ड्राइंग रूम में सोफों पर ही आकर सो गई। बुजुर्ग सारी रात यह सोच कर डरता रहा कि न जाने कब ये दोनों उन पर कोई बेहूदा आरोप न जड़ दें। अल सुबह उन्होंने 100 नम्बर पर पुलिस को फोन किया तो वे इन सब को जिप्सी में बैठा कर पुलिस चौकी सेक्टर 15 ले गये। वहां शराब माफिया तनेन्दर टंडन तो पहले से ही मौजूद था। विदित है कि टंडन पुलिस वालों की दलाली करने के लिये शहर भर में बदनाम है। जाहिर है कि ऐसे में पुलिस ने तो कुछ करना कराना नहीं था, सो दोनों पक्ष घर वापस लौट आये। घर आते ही बेटों और बहुओ ने बुजुर्ग की अच्छी खबर ली।
इन सब हालात से तंग आकर ही बुजुर्ग को ट्रिब्यूनल की शरण में जाना पड़ा था। मामले का मजाक उड़ाते हुए तथा बुजुर्ग को परेशान करने के लिये एसडीएम ने तारीख पर तारीख देने का सिलसिला शुरू कर दिया। 20 मई के बाद 22 जुलाई, 10 अगस्त, 25 अगस्त और अब 21 सितम्बर लगा दी गई है। इस बीच, बीते सप्ताह बुजुर्ग ने शीघ्र सुनवाई की दरखास्त एसडीएम को पेश की तो उनका कडक़ड़ाता जवाब था, ‘क्या मैं इसी काम के लिये बैठा हूं, मुझे और कोई काम नहीं है क्या?’
तारीखों पर आती-जाती बहुओं को आपस में बात करते बुजुर्ग के नाती विशाल ने यह कहते हुये सुन लिया कि टंडन तथा विजय प्रताप की तो यहां खूब अच्छी चलती है। यह भी पता चला है कि टंडन ने ही एक बार बुजुर्ग के बेटों को उक्त विजय प्रताप से उस वक्त मिलवाया था, जब वह बडखल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहा था। इस बाबत विजय प्रताप का पक्ष जानने के लिये उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।