सरकारी आड़ में गरीबों को ठगने का धंधा

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July 29 17:53 2022

बीके अस्पताल के हार्ट सेंटर द्वारा गलत स्टंट लगाने के विरोध में प्रदर्शन

फरीदाबाद (म.मो.) एनआईटी, एनएच दो स्थित ताऊ देवी लाल वृद्धाश्रम के विजय कुमार उम्र 57 वर्ष, का गलत स्टंट डालने को लेकर बीके अस्पताल स्थित हार्ट सेंटर, के खिलाफ 12 सेक्टर लघु सचिवालय पर 25 जुलाई को किशन लाल बजाज के नेतृत्व में प्रदर्शन किया और सीटी मैजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन से पहले संचालक किशन लाल बजाज बीके अस्पताल में भी डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर 16 जुलाई को प्रदर्शन कर चुके हैं किन्तु अस्पताल प्रशासन के कान पर जूं तन नहीं रेंगी।

आश्रम के संचालक किशन लाल बजाज ने ‘मजदूर मोर्चा’ संवाददाता को जानकारी देते हुए बताया कि उनके आश्रम में पिछले कुछ महीनों से विजय कुमार पलवल, जिसे अपने परिवार द्वारा घर से निकाल दिया है। उन्हें 15.6.22 की सुबह को अचानक सीने में दर्द व सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उस समय संचालक किशन लाल उसे बीके अस्पताल ले गये। वहां पर जांच हुई तो डॉक्टरों ने बताया कि ह्दय में दिक्कत है इनका ऑपरेशन होगा और एक स्टंट लगेगा।

हालात को देखते हुए संचालक ने डॉक्टर से इस इलाज का खर्च के बारे में पूछा तो उन्हें 70000 का खर्चा बताया। बजाज के लिये यह बड़ी रकम थी। क्योंकि वे दूसरों के द्वारा आश्रम को दिये गये दान पर निर्भर हैं और उसी से अपना आश्रम चलाते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी रकम को एक साथ देना उनके लिये मुश्किल था। फिर भी उन्होंने जैसे-तैसे इंतजाम कर दिया।

पैसे जमा होते ही विजय कुमार को 15 जून को डॉॅ. ओम जीवन के द्वारा ऑपरेशन के लिये भर्ती कर लिया गया। 17 जून को डिस्चार्ज भी कर दिया व विजय कुमार आश्रम आ गये।
22 जून की सुबह अचानक विजय को फिर से सीने में दर्द होने लगा तो उन्हें उसी बीके अस्पताल हार्ट सेंटर में लाया गया। डॉक्टरों ने जांच की और कुछ टेस्ट भी किये जिसमें 3000 का खर्चा भी आया। डाक्टर ने दर्द का कारण बताया कि कोई कचरा फसा था इसी से दर्द हो रहा था उसे सही कर दिया है और 23 जून को डिस्चार्ज कर दिया।

24 जून को सुबह विजय को फिर से दर्द होने लगा तो एक नम्बर मार्केट स्थित हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. महेन्द्र के यहां ले गये। वहां बजाज ने बताया कि इन्हीं के कहने पर विजय को बीके अस्पताल में दिखाये। डॉ. महेन्द्र ने जांच की और कुछ दवा बदली व कहा कि इससे आराम हो जायेगा। इसके बाद विजय को वापस ले आये। यहां भी 1000 रुपये खर्च हुआ।

1 जुलाई की सुबह विजय को फिर से दर्द होने लगा। आनन-फानन में विजय को एस्कॉर्ट अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉ. कमल गुप्ता ने जांच की और एंजियोग्राफी के लिये सलाह दी। एंजियोग्राफी की  रिपोर्ट को देखते हुए उन्होंने कहा कि स्टंट ठीक से नहीं डाला गया है इसीसे बार-बार दर्द होता है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि ऑपरेशन दोबारा से करना होगा और स्टंट को सही तरीके से लगाना होगा। इसका खर्च 70000 हजार बताया

इस पर बजाज एंजियोग्राफी की रिपोर्ट लेकर बीके अस्पताल हार्ट सेंटर पहुंचे और रिपोर्ट को डॉ. को दिखाया। डॉ. ने जब रिपोर्ट को देखा तो कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है यह दर्द तो ऐसे ही होता रहेगा। इस बात पर बजाज ने कहा अगर दर्द ही होना था तो ऑपरेशन कराने का क्या फायदा? बजाज ने कहा कि आपकी लापरवाही की शिकायत करूंगा तभी …..किसी महिला डॉ. ने कहा कि जो करना है कर लो।

इसके बाद बजाज ने 6 जुलाई को इसकी शिकायत अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. विनय गुप्ता को लिखित रूप में दिया। इसके जवाब में उन्हें एक लेटर मिला जिसमें 21 जुलाई को ढाई बजे पीएमओ कॉफ्रेंस रूम में बात-चीत करने के लिये बुलाया। इस बात-चीत में अस्पताल के कई बड़े अधिकारी व एस्कॉर्ट हास्पिटल के डॉ. कमल गुप्ता भी मौजूद थे। डॉ. कमल गुप्ता ने एंजियोग्राफी की रिपोर्ट बीके के सभी मौजूद अधिकारी को बताया तो वहां सभी ने इसे अनसूनी कर दिया और बजाज को यह कहते हुए मीटिंग को खत्म कर दिया कि दर्द तो होता ही रहेगा। सिविल सर्जन ने बताया कि उन्होंने मामले को नेगलीजेंस बोर्ड के हवाले कर दिया है। इस बोर्ड के बारे में ‘मज़दूर मोर्चा’ कई बार लिख चुका है कि इसमें कभी भी डॉक्टरों को दोषी करार नहीं दिया जाता।

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Mazdoor Morcha
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