विधान सभा कमेटी की नौंटकी
फरीदाबाद (म.मो.) शहर में किये जाने वाले जन कार्यों के प्रति सरकार की गंभीरता, जनता को दर्शाने के लिये एक विधानसभा कमेटी बनाई हुई है। गुरूवार को स्थानीय विधायक नरेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता में इसकी बैठक यहां सम्पन्न हुई।
बैठक में निगम के स्थानीय अधिकारियों के अलावा शहरी निकाय प्रशासन के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण गुप्ता भी मौजूद थे। निगम अधिकारियों द्वारा अपने क्रिया-कलापों के बारे में कमेटी को गलत सूचनायें देने को लेकर विधायक नरेन्द्र गुप्ता ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि वे झूठ बोल कर सरकार को बेवकूफ बना रहे हैं। उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी, किसी को बख्शा नहीं जायेगा।
दरअसल निगम अधिकारी किसी को बेवकूफ नहीं बना रहे हैं और न ही सरकार कभी बेवकूफ बना करती है। न केवल इस नगर निगम बल्कि राज्य के हर महकमे में कहां क्या हो रहा है इसे जानने के लिये सरकार के पास मीडिया के साथ-साथ पूरा तंत्र मौजूद है जिसके द्वारा वह सब कुछ जानती समझती है। कुल मिला कर जो कुछ भी हो रहा है वह सरकार की जानकारी व मिलीभगत से हो रहा है।
कमेटी के चेयरमैन एवं विधायक नरेन्द्र गुप्ता ने जो कड़ी कार्रवाई करने व किसी को भी न बख्शने की धमकी दी है, वह एकदम थोथी है। निगम का इतिहास बताता है कि आज तक यहां किसी का कुछ नहीं बिगड़ा, किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। यदि किसी निगमायुक्त ने किसी लुटेरे कर्मचारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर भी दी तो मुख्यालय में बैठे उच्चाधिकारी तथा राजनेता उसकी पदोन्नति कर देते हैं।
जिस राजा नाहर सिंह स्टेडियम का निरीक्षण करने कमेटी गई थी वह तो चेयरमैन नरेन्द्र गुप्ता व सभी विधायकोंं को रोज ही दिखता है। संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि इस अच्छे भले स्टेडियम को जान बूझकर केवल इसलिये बर्बाद किया गया है कि गुजराती फर्म को इस शहर का डेढ़ सौ करोड़ रुपया लूटने का अवसर दिया जा सके। इसी तरह अन्य तमाम काम जिनका उन्होंने निरीक्षण किया वे भी इन्हें हर रोज मीडिया द्वारा दिखाये जाते हैं। गुप्ता जी दूर क्यों जाते हो, आपके दफ्तर के करीब ही सेक्टर 10 व 11 की विभाजक सडक़ का उद्घाटन जो आपने स्वयं किया था, उसकी आज क्या हालत है? गुप्ताजी से पहले इसका नारियल पूर्व मंत्री विपुल गोयल वर्षों पहले फोड़ चुके हैं। इससे भी बद्दतर हालत हार्डवेयर चौक से प्याली चौक तक की है।
कुल मिलाकर सरकार द्वारा इस तरह की कमेटियों द्वारा ऐसी नौटंकियां करा कर जनता को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया जाता है कि सरकार वास्तव में ही जनता के दुखों का संज्ञान ले रही है।