फरीदाबाद (म.मो.) मुजेसर रेलवे क्रॉसिंग, इस औद्योगिक शहर का एक महत्वपूर्ण रास्ता है। यहां से बड़ी संख्या में औद्योगिक मज़दूर साइकिलों व दुपहिया वाहनों पर ड्यूटी के लिये आते-जाते हैं। इनके अलावा फैक्ट्रियों से माल लाने व ले जाने के लिये भी बड़ी संख्या में छोटे-बड़े वाहन निकलते हैं। रेलवे का भारी ट्रेफिक रहने के चलते ये फाटक अक्सर बंद ही रहता है। ऐसे में वाहन तो बाटा फ्लाईओवर अथवा सोहना रोड फ्लाईओवर से होकर निकल जाते हैं, परंतु साइकिल सवार दो-तीन किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाने की बजाय बंद फाटक के नीचे से ही निकलते हैं। इसके चलते अनेकों व्यक्ति अपने जान से हाथ धो बैठे हैं।
कोई भी संवेदनशीलसरकार यह सब देखकर खामोश तमाशाई नहीं बनी रह सकती थी। परन्तु लगता है कि सरकारों की संवेदना कहीं गहरी नींद में सो रही थी जो अब जागने जैसी बात कर रही है। अच्छी बात है नींद खुली तो सही, लेकिन अब देखना यह है कि इस अंडरपास के बनने में कितने वर्ष लगेंगे? करने की नीयत हो तो सारा काम एक वर्ष से ज्यादा का नहीं है। परन्तु यहां तो इस तरह का कोई काम पूरा होने में पांच से दस साल लगना मामूली बात है। मंझावली का यमुना पुल इसका जीवंत उदाहरण है। ओल्ड $फरीदाबाद का अंडरपास भी आठ साल में बना था और ऐसी ही स्थिति मेवला महाराजपुर की भी रही है।