हरामखोरी के साथ-साथ गुंडागर्दी काअधिकार भी चाहिये एक्सियन पद्यमभूषण नासवा को

हरामखोरी के साथ-साथ गुंडागर्दी काअधिकार भी चाहिये एक्सियन पद्यमभूषण नासवा को
July 27 08:36 2022

पुलिस के खिला$फ एमसीएफ यूनियन के नाम पर एक्सियन गिरोह की नौटंकी

फरीदाबाद (म.मो.) बिना काम किये नागरिकों का धन डकारने के साथ-साथ अब निगम अधिकारी पूरी तरह से बेशर्म होकर गुंडागर्दी करने का अधिकार भी चाहने लगे हैं। उनके गाली-गलौच व मार-पीट के विरुद्ध पुलिस में शिकायत होने पर वे पुलिस पर भी सवार होने का प्रयास करने लगे हैं।

दिनांक 19 जुलाई को संजय कॉलोनी, सेक्टर 22 के रोहतास की शिकायत पर बल्लबगढ़ बस अड्डा चौकी ईंचार्ज सब इन्स्पेक्टर उमेश ने नगर निगम के एक्सियन पद्मभूषण को पूछताछ के लिये चौकी क्या बुला लिया कि उसने लगुओं-भगुओं के साथ मिलकर चौकी के बाहर तूफान खड़ा कर दिया। बताया जाता है कि वे सभी निगमकर्मी थे जो दफ्तर के बाहर ही बैठे रहते हैं।

चौकी इंचार्ज के मुताबिक रोहतास द्वारा पुलिस कमिश्नर को दी गई दरखास्त घूमती-फिरती उनकी चौकी तक पहुंच गई। इस दरखास्त में कहा गया था कि जब पीडि़त बल्लबगढ़ स्थित एक्सियन पद्मभूषण के दफ्तर में गया था तो उसने उन्हें बहुत अश्लील गालियां दी और मारने को दौड़ा तो पीडि़त ने अपने मोबाइल से उसका वीडियो बनाने की कोशिश की। इस पर पद्मभूषण बूरी तरह से बौखला गया और मोबाइल छीनने का प्रयास किया।

रोहतास जैसे-तैसे उससे छूटकर बाहर आया तो वहां धरने पर बैठे कुछ नागरिकों ने उसकी कथा-व्यथा सुनी। उसे एक्सियन से बचाया। पीडि़त ने इसकी शिकायत तुरन्त वहां बैठे ज्वाइंट कमिश्नर से की। उन्होंने एक्सियन को बुलाकर मामले की जानकारी चाही तो वह नहीं आया। रोहतास ने तीन दिन ज्वाइंट कमिश्नर के चक्कर लगाये लेकिन एक्सियन कभी नहीं आया।

इस बाबत रोहतास बस अड्डा चौकी में दरखास्त देने पहुंचा तो उन्होंने भी उसे भगा दिया था। यह तो पुलिस कमिश्नर के माध्यम से आई दरखास्त थी जो चौकी वालों को कुछ हाथ-पैर हिलाने पड़े। पुलिस के बुलाने पर भी तीन दिन तक पद्मभूषण नासवा चौकी में नहीं आया। चौथे दिन जब आया तो अपने साथ 10-20 पहलवाननुमा निगमकर्मियों को लेकर आया , जिनमें से कईयों के गले में मोटी-मोटी सोने की चेन झलक रही थी। आते ही वह चौकी इंचार्ज को धमकाने लगे कि उसकी हिम्मत कैसे हुई जो उस जैसे इतने बड़े अधिकारी को चौकी में तलब कर लिया, एक्सियन के सामने सब इंस्पेक्टर की औकात ही क्या होती है? रोहतास को इंगित करते हुए कहा कि दो-दो टके के आदमियों के लिये इतने बड़े अधिकारी को बुलाने की उसने हिमाकत कैसे की?

निगम कर्मियों का यह व्यवहार सिद्ध करता है कि अफसरों की हरामखोरी व रिश्वतखोरी में वे भी बराबर के सांझेदार हैं। आम जनता जिनके टैक्स पर यह पलते हैं उसे ये दो-दो टके का बताते हैं। यही कारण है कि जब ये निगमकर्मी हड़ताल आदि करते हैं तो जनता की इनके प्रति कोई सहानुभूति नहीं रहती।

रोहतास के मुताबिक चौकी इंचार्ज उमेश यहां तक तो सब सहन करते रहे। लेकिन जब पद्मभूषण के साथ आये एक गुर्गे ने उनकी पत्नी को कुर्सी से उठने के लिये कहते हुए कुछ अपशब्दों का इस्तेमाल किया तो पत्नी व रोहतास ने उस पर आपत्ति जताई। इसके बाद तो पद्मभूषण आपे से बाहर होकर अनाप-शनाप बकने लगा तो थानेदार उमेश के लिये स्थिति बहुत ही असहनीय हो गई। ऐसे में उमेश को अपनी इज्जत बचाने के लिये कडक़ होकर गुर्राना पड़ा, ‘बंद कर दो चौकी का दरवाजा, अभी मुकदमा दर्ज करके इन सबको हवालात में देता हूं, पुलिस को पुलिस ही नहीं समझते…।’

जवाब में एक्सियन के साथ आये गुर्गे भी पुलिस पर गुर्राते हुए फोन करने लगे। देखते ही देखते वहां 60-70 लोग जमा हो गये। सूचना थाना शहर तक भी पहुंची तो एसएचओ सत्यवान भी मौके पर पहुंच गये। उन्होंने एक्सियन का पक्ष लेते हुए रोहतास व उसकी पत्नी को ही धमकाना शुरू कर दिया। जाहिर है कि भीड़ देख कर एसएचओ भी दबाव में आ गये थे और वे भी जैसे-तैसे मामले को रफा-दफा करने के उद्देश्य से यह सब कर रहे थे। थोड़ी देर के ड्रामेबाज़ी के बाद बिना किसी समाधान एवं कार्रवाई के रोहतास व उसकी पत्नी को चौकी से चलता कर दिया गया।

पुलिस की इस कमजोरी के चलते एक्सियन व उसके साथ आये निगमकर्मियों के हौंसले और भी बुलंद हो गये। उन्होंने पुलिस एवं जि़ला प्रशासन को धमकी दी है कि चौकी इंचार्ज को तुरंत निलम्बित किया जाय नहीं तो वे हड़ताल कर देंगे। वैसे भी वह दिन उनकी हड़ताल जैसा ही रहा। निगमकर्मियों की हड़ताल शहरवासियों के लिये कोई नई चीज़ नहीं है। शायद ही कोई दिन खाली जाता होगा जब निगम गेट पर इनके धरने प्रदर्शन न चल रहे हों।

इंसाफ का तकाज़ा है कि पुलिस को हुड़दंगबाजों के दबाव में आये बगैर विधिसम्मत कार्यवाही करते हुए न केवल रोहतास व उसकी पत्नी को न्याय दिलाना चाहिये बल्कि पुलिस को पुलिस न समझने वालों को भी सबक सिखाना चाहिये।

नकली इंजीनियर है पद्मभूषण नासवा
दुर्भाग्य है इस देश का खासतौर पर इस नगर निगम का कि जहां ऐसे लोग इंजीनियर बने बैठे हैं। जिन्होंने कभी इंजीनियरिंग कॉलेज की शक्ल तक नहीं देखी। ऐसे अनपढ़ इंजीनियर इंजीनियरिंग तो क्या खाक करेंगे, बस केवल अवैध कब्जे, अवैध निर्माण, बिना काम किये पैसे डकारने का ही हुनर इन्हें आता है।

मेट्रो रेल जैसे किसी अच्छे-भले विभाग तथा इंजीनियरिंग संस्थान में इन्हें कोई जेई पद पर भी भर्ती न करे। नकली कागजों के दम पर ये लोग यदि एक्सियन, एसई तथा चीफ आदि बन कर लोगों को धमकाना चाहेंगे तो कौन इनकी धमकी में आयेगा? हां, धमकाने के लिये ये लोग अपने साथ अपने जैसे निकम्मे लोगों का गिरोह जरूर सरकारी खर्चे पर पाल कर रखते हैं। घमंड इतना कि जब ‘मज़दूर मोर्चा’ संवाददाता ने इनसे इनका पक्ष जानना चाहा तो अपने साथ खड़े एक कर्मचारी को जवाब देने को आगे कर दिया।

विदित है कि इनका एक भाई मनोज नासवा एनआईटी के दो-तीन नम्बर से पार्षद रहा है। इन दोनों भाइयों ने मिलकर इस क्षेत्र में खूब लूट मचाई है। हर तरह के अवैध निर्माण व कब्जों के पिछे इन दोनों का ही हाथ रहता आया है। पद्मभूषण द्वारा आम लोगों से बद्तमीज़ी करने की शिकायतें तो आये दिन आती ही रहती हैं जिनकी कभी कोई सुनवाई नहीं होती।

प्रशासनिक निष्क्रियता का खुलासा किया रोहतास ने
पूरी कहानी की जड़ में जाने के लिये ‘मज़दूर मोर्चा’ ने सेक्टर 22 स्थित संजय कॉलोनी निवासी रोहतास से लम्बी बात-चीत की। पलवल जि़ले के गांव दिघोट निवासी रोहतास यहां पर क्रेन द्वारा भारी सामान उठाकर इधर से उधर रखने का काम करता है। उसके घर के बगल में ही एक वर्कशॉप चलती है जिसके बाहर एक भारी जनरेटर रखा रहता था जिसके चलने पर धुंए से वायु प्रदूषण तथा आवाज़ से भयंकर ध्वनि प्रदूषण होता था। इसके अलावा उसके ग्राइंडर से गली की ओर निकलने वाली चिंगारियों से परेशान तो तमाम आने-जाने वाले रहते हैं परन्तु बोलने की हिम्मत केवल रोहतास ने ही की।

इसके विरुद्ध उसने पुलिस चौकी संजय कॉलोनी, नगर निगम तथा पर्यावरण विभाग को दी। लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। फिर उसने सेक्टर 12 स्थित उपायुक्त कार्यालय जाकर सीएम विंडो तथा पुलिस आयुक्त को भी लगाई। कुछ दिन बाद एसडीएम बडखल से सुदेश नामक किसी महिला क्लर्क का फोन आया कि दफ्तर आकर दस्तखत कर जाये। रोहतास वहां गया तो क्लर्क ने दस्तखत करने को कागज आगे बढ़ा दिया जिस पर लिखा था कि काम हो गया है और मैं संतुष्ट हूं। रोहतास ने कहा कि जब दूसरी पार्टी आई नहीं, काम कोई हुआ नहीं, तो संतुष्ट किस बात का हो जाऊं? वह बिना दस्तखत किये लौट आया।

कुछ दिन बाद पुलिस चौकी संजय कॉलोनी ने भी उसे तलब किया और उसकी संतुष्टि पर हस्ताक्षर करा कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली। जाहिर है कि पुलिसिया डर के मारे रोहतास यहां पर उस तरह से इनकार नहीं कर पाया जैसे कि एसडीएम कार्यालय में कर आया था।

इस मामले में पर्यावरण विभाग ने कुछ कार्रवाई करते हुए डीजल जनरेटर की जगह बदलवाई जिससे कुछ राहत मिली। लेकिन बाकी मशीनों व ग्राइंडर आदि के बारे में उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके लिये नगर निगम को ही कार्रवाई करने का अधिकार है। इसी सिलसिले में रोहतास बार-बार नगर निगम के चक्कर लगा रहा था और पद्मभूषण से टकरा रहा था। उधर पद्मभूषण का उक्त वर्कशॉप पर आना-जाना लगा रहता था। भला ऐसे में एक्सियन वर्कशॉप मालिक के विरुद्ध कैसे कोई कार्रवाई कर सकता था? इतना ही नहीं रोज़ रोज़ की शिकायत से भन्नाये बैठे एक्सियन का गुस्सा घटना वाले दिन काबू से बाहर हो गया और मामला मार-पीट के बाद पुलिस तक जा पहुंचा।
यहां सबसे गौरतलब बात यह है कि एक आम आदमी अपनी शिकायतों को लेकर निगम जैसे कार्यालयों में अकेला पड़ जाता है, जबकि पद्मभूषण जैसे शातिर खिलाड़ी नागरिकों से निपटने के लिये पूरा संगठित गिरोह रखते हैं। इतना ही नहीं इस तरह के गिरोह पुलिस तक को भी दबाने में कामयाब रहते हैं। इसलिये नागरिकों के लिये जरूरी हो जाता है कि ऐसे लोगों से निपटने के लिये वे भी अपने मजबूत संगठन गठित करें। यदि पुलिस चौकी पर उस दिन रोहतास के साथ भी 20-30 लोगों का संगठन मौजूद होता तो एसएचओ की हिम्मत न होती जो एक्सियन से डर कर बिना उचित कार्रवाई के रोहतास को चौकी से भगा देता।

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Mazdoor Morcha
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