नगर निगमायुक्त का तोड़-फोड़ ड्रामा, बड़ी कमाई का स्रोत

नगर निगमायुक्त का तोड़-फोड़ ड्रामा, बड़ी कमाई का स्रोत
July 18 02:14 2022

24 जून को चार मंजिला इमारतों को तोडृने गया लाव लश्कर बैरंगवापस लौटा, निर्माणाधीन अवैध इमारतों की ओर देखा भी नहीं नगर निगमायुक्त का तोड़-$फोड़ ड्रामा, बड़ी कमाई का स्रोत

फरीदाबाद (म.मो.) पूरे शहर में अवैध कब्जों एवं निर्माणों की बाढ़ सी आई हुई है। इनकी सूची कई बार निगम अधिकारी बना भी चुके हैं। इनमें से चार निर्माण, प्लॉट नम्बर 2 जे 84, 3 ई 91, 3 ई 31, 3 ई 16 का सफाया करने का आदेश निगमायुक्त ने 24 जून को जारी करते हुए अपने पांच अफसरों को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट व भारी मात्रा में अन्य कर्मचारी व अन्य पुलिस बल को आदेश दिये कि 27 जुन को उक्त चार मंजिला बंगलों को धवस्त करेंगे।

निगम के बिकाऊ अधिकारियों ने तोड़-$फोड़ की सूचना सम्बन्धित बिल्डरों को दे दी। बिल्डरों ने तुरन्त, रातों-रात इन भवनों में घरेलू सामान रख दिया और महिलायें एकत्रित करीके भजन-कीर्तन व लंगर चालू कर दिया। उनसे निपटने के लिये सबसे पहले यह दस्ता प्लॉट नम्बर 2 जे 84 व 3 ई 91 पर पहुंचा था। अतिरिक्त पुलिस बल व महिलाओं को गिरफ्तार करने के लिये रोडवेज की एक बस भी मंगा ली गई थी। पुलिस व महिलाओं की झड़प भी हुई, लेकिन बाद में निगम अधिकारियों ने बिल्डरों को अपने दस्तावेज़ पेश करने के लिये पांच दिन का समय देकर छोड़ दिया।

इसके बाद यह दस्ता 3ई-31 व 3ई-16 पर पहुंचा। परन्तु यहां के बिल्डर इतने भाग्यशाली नहीं थे। पूरी बिल्डिंग तो खैर निगम वाले नहीं तोड़ पाये परन्तु दरवाजे, शीशे आदि तोड़ते हुए एक लेंटर में छेद मार कर चले गये। इतने बड़े धन्धेबाज बिल्डरों के लिये यह कोई बड़ा नुक्सान नहीं कहा जा सकता। मुरम्मत आदि करके इसे शीघ्र ही ठीक कर लिया जायेगा। यहां सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि निगम प्रशासन वास्तव में ही ईमानदार एवं कत्र्तब्यनिष्ठ है तो चार-चार मंजिला भवन बनने कैसे देता है? क्यों नहीं पहली ईंट लगते ही अपनी कार्रवाई शुरू कर देता। उक्त चार भवनों के अलावा इन्हीं दो नम्बर व चार नम्बर में दर्जनों ऐसी ही बिल्डिंग निर्माणाधीन चल रहे हैं, वे निगमायुक्त को नज़र क्यों नहीं आती?
इस सम्बन्ध में ‘मज़दूर मोर्चा’ के 8-14 अगस्त 2021 के अंक में बिल्डरों व भू-माफिया  की कहानी छापी गई थी। इसमें विस्तारपूर्वक बताया गया था कि किस तरह से ये मा$िफया गिरोह अफसरों व राजनेताओं से सांठ-गांठ करके भू-संपत्तियों के अवैध करोबार से संलिप्त हैं। उस अंक में प्रकाशित किये गये तथ्य आज भी ज्यों के त्यों मौजूद हैं इसलिये उस समाचार को ज्यों का त्यों पुन: प्रकाशित किया जा रहा है।

एनआईटी में अवैध निर्माण एक ही सिंडीकेट के 5 लोगों की देन
फरीदाबाद: एनआईटी में गली-गली खोरी बसाने वाला माफिया प्रशासन, पुलिस और एमसीएफ की पकड़ से बाहर हैं। इस माफिया के कई चेहरे हैं। एनआईटी नंबर 1, 2, 3, 5 में अवैध फ्लोर, सरकारी जमीनों पर निर्माणों, बिना स्टिल्ट पार्किंग निर्माण, नाले पर निर्माण, रेजिडेंशल में कमर्शल का निर्माण यानी अवैध प्रॉपर्टी के धंधे में जितने भी प्रकार के नियम विरुद्ध काम हो सकते हैं, वो यही सिंडीकेट कर रहा है। यही गु्रप ओयो खोल रहा है और उनमें आये दिन इस सिंडीकेट की दावतें होती हैं, जिनमें छोटे प्रॉपर्टी डीलरों को बुलाकर उनके कमरों में लड़कियां भेजी जाती हैं। वहां कई-कई करोड़ की अवैध लॉटरी खेली जाती है। कुछ में सट्टा खेला जाता है।

मौजूदा नगर निगम कमिश्नर यशपाल यादव को जब बीच में कुछ दिन के लिए एमसीएफ का चार्ज मिला था तो उन्होंने एनआईटी में अवैध निर्माणों का एक सर्वे कराया था, उस सर्वे के दौरान सिंडीकेट का नाम उभरा था। लेकिन सर्वे रिपोर्ट आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। समझा जाता है कि ये कार्रवाई इसलिए नहीं हुई कि कई आला अफसरों ने भी इसी माफिया के जरिए एनआईटी की तमाम प्रॉपर्टी में निवेश कर रखा है। संयोग से यशपाल यादव को अब एमसीएफ का पूरा चार्ज मिल गया है, ऐसे में सवाल है कि क्या एमसीएफ के मौजूदा कमिश्नर इस सिंडीकेट पर कार्रवाई की हिम्मत जुटा पाएंगे।

कौन हैं ये 5 चेहरे
एनआईटी के अवैध रीयल एस्टेट कारोबार में पैसा लगाने वाले बैजू, विरमानी, नितिन, संजय अदलखा, अमित आहूजा छोटे-मोटे नाम नहीं हैं। इनमें से कई भाजपा नेता बन गए हैं। कुछ को मंत्रियों और भाजपा विधायकों का संरक्षण मिला हुआ है। इन सभी के नाम हरियाणा सरकार की विजिलेंस जांच में, एफआईआर में आये हैं। इसलिए हमें भी इनकी पहचान आपको बतानी पड़ी।

बैजू की कहानी दिलचस्प है। बैजू खानदानी रईस या पुरानी प्रॉपर्टी का मालिक नहीं है। उसने छोटी-छोटी प्रॉपर्टी से अपने करियर की शुरुआत की और एमसीएफ के अफसरों की मदद से एक अरब रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी खड़ी कर ली। एनआईटी नं.1 में तिकोना पार्क सब्जी मंडी के सामने मार्केट में इसने सारे नियम तोडक़र एक बड़ी बिल्डिंग बनाई और फिर उसमें सब डिवीजन कर दिए। हाल ही में हरियाणा सरकार प्लॉट सब डिवीजन को वैध बनाने की जो विवादास्पद पॉलिसी लाई थी, वो इसी गैंग और इनके संरक्षणदाता नेताओं के कहने पर लाई गई थी। भाखरी गांव में इसकी एक फैक्ट्री भी है लेकिन बैजू का मुख्य धंधा प्रॉपर्टी बिजनेस है। इसके गैंग में नितिन भी है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा के कई अफसरों ने अपनी अवैध कमाई इनके जरिए रीयल एस्टेट बिजनेस में निवेश कर रखी है। इसके अलावा बैजू ब्याज पर पैसे देने का अवैध धंधा करता है।

नितिन ओयो और अन्य होटलों में कई-कई करोड़ की अवैध लॉटरी की पार्टी आयोजित करता है। इस पार्टी में छोटे प्रॉपर्टी डीलर शामिल होते हैं। उस पार्टी में दिल्ली से लड़कियां बुलाई जाती हैं। इस पार्टी में जिसकी भी पांच-दस करोड़ की लाटरी खुलती है, वो वहीं पर बैजू या नितिन के जरिए उनकी प्रॉपर्टी में निवेश करने की घोषणा करता है। एमसीएफ की एसआईटी जांच में भी बैजू और नितिन का नाम आ चुका है। हरियाणा सरकार की सीआईडी, विजिलेंस के पास भी बैजू और नितिन की ढेरों शिकायतें लिखित रूप में पहुंची हुई हैं। मजदूर मोर्चा ने पिछले दिनों बडखल रोड पर (सेक्टर 21 डी से एसजीएम नगर जाने वाली सडक़ के कोने पर) सरकारी जमीन पर दुकानें बनाने की जो खबर छापी थी, उसमें भी नितिन का नाम आया था। उस मामले में 2020 में एमसीएफ दीवार गिराने की कार्रवाई कर चुका है। लेकिन वहां लॉकडाउन के दौरान फिर से दुकानें खड़ी कर दी गईं। इस बार करनाल के भाजपा सांसद का नाम लेकर 1000 गज सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया।

एनएच 3 में बनाई गई तमाम अवैध बिल्डिंग की एक-एक ईंट से विरमानी का नाम आ रहा है। विरमानी बंधु भी बैजू और नितिन गैंग का हिस्सा है। एनएच 3 सी 164 बिल्डिंग पर तो एमसीएफ कार्रवाई भी कर चुका है लेकिन कुछ दिनों के बाद पूरी बिल्डिंग फिर से बना दी गई। इस बिल्डिंग पर एमसीएफ में ली गई रिश्वत का असर इतना था कि मौके पर जब सुमेर सिंह नामक कर्मचारी तोडऩे गया तो वहां महेन्द्र नामक एमसीएफ कर्मचारी ने विरोध किया। दोनों में हाथापाई भी हुई। विरमानी विवादास्पद बिल्डिंगों और झगड़े वाली बिल्डिंगों को भी खरीद लेता है। छानबीन से पता चला है कि अकेले एनआईटी इलाके में विरमानी बंधुओं की ऐसी बीस बिल्डिंगें हैं जो अवैध निर्माण की कहानी कह रहे हैं। किसी को बिना सीएलयू बनाया गया। किसी में स्टिल्ट पार्किंग नहीं है। किसी का नक्शा पास नहीं है। विरमानी की तमाम बिल्डिंगों में बिना एफएआर परचेज किए, छज्जे तक पर कमरे खड़े कर दिए
गए हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। एनएच 3 में संजय अदलखा भी एक बड़ा बिल्डर है और कई अवैध भवनों को बनाने से उसका नाम जुड़ा है। 3जे-1 फ्रंटियर कॉलोनी में बिल्डिंग बनाने को लेकर तो एमसीएफ ने संजय अदलखा के नाम से एफआईआर भी कराई।

इस बिल्डिंग के बनने की कहानी भी दिलचस्प है। जब इसे बनाया जा रहा था तो संजय अदलखा ने बिल्डिंग पर विधायक सीमा त्रिखा का बड़ा सा फोटो लगाकर यहां भाजपा कार्यालय का बैनर लगा दिया।

एमसीएफ अफसरों को उसकी चालाकी तो समझ में आ गई लेकिन उन्होंने खुद को बचाने के लिए संजय अदलखा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इसके बावजूद बिल्डिंग बन गई और उसके बाद उस बैनर को हटा दिया गया। सीमा त्रिखा और भाजपा ने संजय अदलखा से कभी ऐतराज नहीं किया कि आखिर उनके नामों का इस्तेमाल क्यों किया गया। संजय अदलखा से जुड़ी यह सिर्फ एक बिल्डिंग की कहानी है। लेकिन उसने कई और भवन नगर निगम नियमों का उल्लंघन कर बनाये गये हैं। अमित आहूजा भाजपा का मंडल अध्यक्ष है और भाजपा विधायक सीमा त्रिखा से जुड़ा है। एनएच 3 डी ब्लॉक में नियम तोडक़र बनाए गए रॉयल्स होटल इस इलाके में आये दिन चर्चा का विषय रहता है। पिछले दिनों यहां एक फर्जी कोविड सेंटर की शुरुआत विधायक सीमा त्रिखा से कराई गई और वहां बाकायदा रेट लिस्ट लगाकर कोविड के नाम पर कमाई की गई। अमित आहूजा का नाम बडखल रोड पर नितिन वाली कथित प्रॉपर्टी में भी आ चुका है। 2014 से पहले अमित आहूजा एनआईटी में बड़ा नाम था और न ही उसका कोई होटल था। लेकिन जब अमित विधायक से जुड़ा तो उसकी किस्मत बदल गई। अमित आहूजा के दोस्तों का कहना है कि विधायक की सलाह पर ही उसने एक होटल एनएच 3 डी-14 बीपी में खड़ा कर दिया। उसकी इस बिल्डिंग में दो नामों वाले होटल चल रहे हैं, जिसमें एक का नाम रॉयल्स है तो दूसरे का नाम हैप्पी होम रेजीडेंसी है। दोनों के बिजनेस कोड अलग-अलग हैं। एमसीएफ ने इसे अवैध निर्माण मानते हुए नोटिस दिया था लेकिन विधायक का सीधा संरक्षण होने की वजह से नगर निगम कुछ कर नहीं पाया। संजय अदलखा की तरह अमित आहूजा का रीयल एस्टेट बिजनेस का काम फैलता ही जा रहा है। शहर में चर्चा है कि अमित आहूजा अपने दफ्तर में रोजाना भगवान को प्रणाम करने से पहले सीमा त्रिखा की फोटो को प्रणाम करता है।

एमसीएफ के लिए अवसर
बिल्डरों का यह गैंग एनआईटी में गली-गली प्रॉपर्टी खरीदकर चार-चार मंजिला भवन खड़ा कर रहा है। ऐसे भवनों में बिना स्टिल्ट पार्किंग चार मंजिला का निर्माण किया ही नहीं जा सकता। अगर बिल्डर सरकारी नियम कानून के तहत चौथा फ्लोर बनाएगा तो उसे एफएआर खरीदना पड़ेगा। अगर कोई मकान 350 गज का है और उस पर चौथा फ्लोर बनता है तो एमसीएफ उस पर नियमानुसार कार्रवाई कर 11 लाख रुपये की वसूली कर सकती है। 180 गज के नीचे बने मकान की फ्लोर वाइज रजिस्ट्री हो ही नहीं सकती है। इससे बेहतर है कि एमसीएफ सख्ती कर इन निर्माणों को रेगुलर कर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। सिर्फ इसी गैंग के पांच सदस्यों से अगर एमसीएफ वसूली करे तो उसके पास कम से कम 70 करोड़ रुपये आ सकते हैं। नए निगम कमिश्नर यशपाल यादव को मजदूर मोर्चा की यह सलाह आकर्षक लग सकती है, क्योंकि कंगाल नगर निगम के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। ऐसे में यह गैंग और तमाम ब्लैकलिस्टेड बिल्डर उसकी कंगाली दूर कर सकते हैं।

किसलिए है फरीदाबाद में सीएम उडऩदस्ता
हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद में अवैध निर्माणों की रोकथाम के लिए सीएम उडऩदस्ता बनाकर उसकी तैनाती यहां कर दी। उसने शुरू में तो खूब तेजी से कार्रवाई की लेकिन अब वो उडऩदस्ता कहीं नजर नहीं आता है। लगता है कि जैसे अब वो फरीदाबाद में अवैध निर्माण करा रहे लोगों, माफिया और दबंगों से मिल गया है।
एनआईटी एनएच 3 के ई, डी, सी ब्लॉक में अवैध निर्माण की सबसे ज्यादा शिकायतें एमसीएफ से से लेकर सीएम उडऩदस्ते तक पहुंचीं। लेकिन एक में भी कार्रवाई नहीं हुई। एनएच 3 डी -63 और 3 डी -37 बीपी की लिखित शिकायतें सभी जगह पहुंचीं लेकिन वहां पांच-पांच मंजिले फ्लैट बनाकर बेच दिए गए। एक मामले में एफआईआऱ भी हुई तो वो बस खानापूर्ति के लिए हुई। जांच अधिकारी ने लिखा कि यहां कार्रवाई संभव नहीं है।

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Mazdoor Morcha
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