गिरीश मालवीय अब साफ़ और सीधा प्रश्न है कि कितने मुस्लिम मित्र इस नारे को गलत कहने की हिम्मत दिखा पाएंगे? क्योंकि यही नारा उदयपुर की घटना का केन्द्रीय तत्व रहा है। उदयपुर में टेलर की दुकान में जाकर कपड़ा सिलाने की बात करने गया एक शख्स अपना नाप देता है तो दूसरा वीडियो बनाता है। साजिश से बेखबर कन्हैयालाल नाप लेता है तभी उस पर हमला कर दिया जाता है। वह चीखता है, जान बख्श देने की गुहार लगाता है, लेकिन हमलावरों ने उसका गला रेत दिया।
वीडियो में हाथ में तलवार ओर चेहरे पर हंसी दिखाते हुए दो शख्स कहते हैं, “मैं मोहम्मद रियाज अंसारी और मेरे दोस्त मोहम्मद भाई, उदयपुर में सर कलम कर दिया है।” धार्मिक नारा लगाते हुए कहते हैं, “हम जिएंगे आपके लिए और मरेंगे आपके लिए।” वो आगे कहता है, “उदयपुर वालों नारा लगाओ, गुस्ताखे नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा। दुआओं में याद रखना।”
यह कोल्ड ब्लडेड मर्डर है …..जिसकी गाइडिंग फोर्स है सर तन से जुदा वाला नारा…देश भर में जुम्मे के बाद जो जुलूस निकाले गए उसमे यह नारा बढ़चढकर लगाया गया। …..राजस्थान के बूंदी के मौलाना मुफ्ती नदीम ने कहा कि पैगंबर के खिलाफ बोलने वालों की आंखें निकाल ली जाएंगी। भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर ने नूपुर शर्मा की जुबान लाने वाले के लिए 1 करोड़ रुपये का इनाम देने का ऐलान किया।
यह सब क्या है ? हम क्या कबीलो में रह रहे हैं ?…. पाकिस्तान में तो ईश निंदा के नाम पर मनमाने ढंग से कई हत्या हो चुकी हैं। उदयपुर में कन्हैयालाल से पहले सैमुअल पेटी की फ्रांस में इसी तरह से हत्या हो चुकी है। वे एक शिक्षक थे, कहा जाता है कि क्लास में पैग़ंबर मोहम्मद के एक कार्टून को दिखाने पर सैमुअल पेटी पर हमला कर एक व्यक्ति ने उनका गला काट दिया। इसके बाद फ्रांस में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पैग़ंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून दिखाने के टीचर के फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि वे मुसलमान कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा, फ्रांस के अनुमानित 60 लाख मुसलमानों के एक अल्पसंख्यक तबक़े से “काउंटर-सोसाइटी” पैदा होने का ख़तरा है। काउंटर सोसाइटी या काउंटर कल्चर का मतलब एक ऐसा समाज तैयार करना है जो कि उस देश के समाज की मूल संस्कृति से अलग होता है।
दुनियां भर में इसके खिलाफ़ प्रदर्शन किए गए लेकिन, इमैनुएल मैक्रों ने क्या गलत कहा? आप देश के कानून नही मानकर अपना कबिलाई कानून लागू कर रहे हैं ? क्या कन्हैया लाल को, सैमुअल पेटी को, जीने और निष्पक्ष सुनवाई का मौका नही मिलना चाहिए ? देश के कानून के अनुसार न्याय किया जाना चाहिए कि किसी हदीस के हिसाब से? एक तरफ आप दिन रात इंसिस्ट करने में लगे रहते हैं कि इस्लाम अमन प्रेम और भाईचारे का मजहब है, आप कहते हैं कि मोहम्मद साहब ने अपने ऊपर रोज कचरा फेंकने वाली महिला को माफ कर दिया…… आप कहते है कि कोई यह नहीं देखेगा कि कुरान में क्या लिखा है, दूसरे लोग आपके चरित्र, आपकी तहजीब देख कर जान लेंगे कि इस्लाम क्या है ? तो फिर यह क्या है ? जो उदयपुर में हुआ? जो फ्रांस में हुआ?
जो हो गया सो हो गया …….एक बात बताइए कि “सिर तन से जुदा” कर देने के नारे पर कितने मुस्लिम ने ऑब्जेक्शन उठाया है, उलेमाओं ने, मोलवियो ने इस नारे के इस्तेमाल पर कितने निंदा प्रस्ताव या कड़ी आपत्ति का पत्र जारी किये हैं? कोई गारंटी है कि अगली बार ऐसे नारे नही लगेंगे?