फरीदाबाद (म.मो.) झूठ के पकौड़े तलने में भाजपा सरकार की महारत को दर्शाने वाला एक बेहतरीन नमूना है मंझावली का यमुना पुल। मई 2014 में बनी भाजपा सरकार के केन्द्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी व उनके सहायक मंत्री कृष्णपाल गूजर ने 15 अगस्त 2014 को इस पुल का शिलान्यास किया था। पुल के पूर्व इतिहास से वाकिफ लोगों ने तब कहा कि 25 वर्ष पहले भी एक केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलेट ने भी ही शिलान्यास यहां किया था।
जवाब में गडकरी ने तब कहा था कि दो साल में पुल को बना कर चालू कर दिया जायेगा। उसी वक्त ‘मज़दूर मोर्चा’ ने लिख दिया था कि दो साल में इस पुल की डीपीआर (विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भी यदि यह सरकार बना पाये तो बहुत बड़ी बात होगी। हुआ भी वही, डीपीआर बनने में चार साल लग गये। इस दौरान स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री गूजर हर दो-चार महीने बाद इस पुल को लेकर तरह-तरह की बयानबाजियां करते रहे। कभी पुल को जोडऩे वाली सडक़ के लिये भूमि अधिग्रहण की बात करते तो कभी ठेकेदार बदलने की बात करते। लेकिन हर बयानबाज़ी में पुल से जनता को होने वाले फायदों का बढ़-चढ़ कर गुणगान करते रहे।
करीब चार साल पहले पुराने ठेकेदार को हटाकर मंत्री कृष्णपाल ने एक नये ठेकेदार को काम दिलवाया था। इस उपलक्ष्य में ठेकेदार के खर्चे पर कृष्णपाल ने बहुत बड़ा भंडारा व पूजन आदि का पाखंड भी करवाया था। वास्तव में यह कार्यक्रम 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनावों की तैयारी के मद्देनज़र किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री खट्टर सहित अनेकों वीवीआईपी एकत्रित किये गये थे। पुल के निमार्ण स्थल तक जाने वाली करीब 20 किलोमीटर लम्बी सडक़ को कृष्णपाल के चित्रों, बैनरों व भाजपा के झंडों से पाट दिया गया था। इतना बड़ा चुनावी खर्च करने के बाद जब ठेकेदार ने कुछ काम करना शुरू किया तो कमीशनबाजी के चक्कर में उसकी पेमेंट रोक दी गई। करीब साल भर तक लटापीन होने के बाद ठेकेदार ने कड़वा घूंट पीकर काम छोड़ दिया और अपना ताम-झाम समेट कर चला गया।
पुल का काम पूरा होने की अब तक 6 डेडलाईन गुजर चुकी है। अब कहा जा रहा है कि दिसम्बर 2022 तक काम पूरा हो जायेगा। लेकिन हालात को देखते हुए, यदि काम 2024 से पहले पूरा हो जाय तो वह एक बड़ा चमत्कार होगा।