चंडीगढ़ (म.मो.) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से हाल ही में सेवा निवृत हुए जज, हरीपाल वर्मा ने बतौर लोकायुक्त, हरियाणा सरकार से नई नौकरी प्राप्त कर ली है। उनसे पहले भी इस पद पर कई आये और कई गये लेकिन किसी ने फली नहीं फोड़ी। भ्रष्टाचार दिन दूणा रात चौगुणा बढ़ता गया। लोकायुक्त वर्मा को उच्च आईएएस, आईपीएस अधिकारियों द्वारा मारी जाने वाली मोटी-मोटी डकैतियां तो नज़र नहीं आई, उन्हें नज़र आया तो केवल पुलिस के सिपाहियों व थानेदारों का भ्रष्टाचार। इसकी रोक-थाम के लिये उन्होंने हरियाणा के डीजीपी प्रशान्त कुमार अग्रवाल को किसी आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में एक निगरानी सैल बनाने को कहा है। इसका काम होगा कि वह सिपाही से लेकर डीएसपी स्तर तक के अधिकारियों की निगरानी करे। सैल यह भी जांचेगा कि किस सिपाही ने अपनी चल व अचल संपत्ति में कितनी और कैसे वृद्धि की है?
विदित है कि पुलिस के छोटे कर्मचारी तो कमाते ही अपने बड़े अधिकारियों के लिये हैं। उनके लिये की गई लूट कमाई में से वे तो केवल अपना ‘मेहनताना’ भर ही रख पाते हैं। वर्मा जी को मालूम तो होगा ही कि पुलिस महकमे में कड़े अनुशासन के चलते छोटा मुलाजिम अपने अफसरों की मर्जी के बिना सांस भी नहीं ले सकता, लूट कमाई तो दूर की बात है। पुलिस महकमे के भ्रष्टाचार से यदि वर्मा जी इतने ही चिंतित हैं तो अपना निगरानी कार्यक्रम उच्चाधिकारियों से शुरू करें। सर्वविदित है कि भ्रष्टाचार की गंगा का गंगोत्री तो सदैव शीर्ष पर ही होता है।