ओमप्रकाश चौटाला को सज़ा के बाद अभय व अजय का नम्बर भी दूर नहीं

ओमप्रकाश चौटाला को सज़ा के बाद अभय व अजय का नम्बर भी दूर नहीं
June 13 14:15 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की सज़ा काट कर अभी ढंग से सांस भी नहीं ले पाये थे कि उन्हें फिर से जेल जाना पड़ गया। आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में अदालत ने उन्हें सज़ा तो चार साल की सुनाई थी लेकिन काटनी उन्हें केवल 28 महीने की पड़ेगी कयोंकि 20 महीने की सज़ा वो अपनी पहली सज़ा के साथ-साथ काट चुके हैं।

शिक्षक भर्ती मामले में सज़ा होने पर चौटाला कहते थे कि उन्होंने लोगों को नौकरी देकर कोई चोरी, डकैती, या हत्या जैसा कोई आपराधिक कार्य नहीं किया। लोगों को नौकरी देने पर यदि उन्हें सज़ा होती है तो वे बार-बार ऐसी सज़ा भुगतने को तैयार हैं। दरअसल उनको सज़ा नौकरी देने की वजह से नहीं हुई थी, उन्हें सज़ा हुई थी पात्रों की जगह अपात्रों को नौकरी देने की वजह से।

लेकिन अब हुई सजा के बारे में चौटाला क्या कहेंगे? इस मामले में तो उन्होंने किसी को नौकरी नहीं दी है। इस बार तो मामला भद्र भाषा में कहा जाय तो आय से अधिक संपत्ति का है। अगर सीधी भाषा में कहा जाय तो अपने पद का दुरुपयोग करके लूट कमाई करने का है। क्या इस बार चौटाला कह सकेंगे कि मौका मिला तो फिर यही करूंगा? बेशक वे सार्वजनिक तौर पर ऐसा न कह सकें, परन्तु समझते सभी हैं कि वे सत्ता मिलने पर क्या करेंगे?

ओमप्रकाश चौटाला के बाद अब उनके दोनों बेटों अजय व अभय के विरुद्ध भी आय से अधिक संपत्ति का अलग-अलग मामला अदालत में तेज़ी से चल रहा है। दोनों के मामले गवाहियों पर हैं। अभय की सुनवाई 8 जून व अजय की 30 जून को है। भाजपा सरकार इन दोनों को शीघ्रातिशीघ्र निपटाने के लिये अपनी ओर से कोई कोर-कसर छोडऩे वाली नहीं है। अपना स्वछंद राज कायम करने के लिये वह सदैव स्थानीय क्षत्रपों को समाप्त करने के लिये आतुर रहती है।

जानकारों का मानना है कि भाजपा की जिस मज़बूरी का लाभ उठा कर दुष्यंत चौटाला सत्ता का दोहन कर रहे हैं  उसे भाजपा वाले बेशक मजबूरन सहन तो कर रहें हैं लेकिन यह सब वे अपने बही खाते में दर्ज करते जा रहें हैं और मौका आने पर उन्हें लपेटा दे देंगे।

कितनी अजीब बात है कि जिस गुनाह में एक को सज़ा हो रही है, दूसरा उससे कोई सबक सीखने को तैयार नहीं। हर गुनाहगार यह समझता है कि सज़ा पाने वाला तो मूर्ख था जो काबू आ गया लेकिन मैं इतना मूर्ख नहीं हूं जो काबू आ जाऊं। पकड़े जाने पर हर नेता एक ही दुहाई देता है कि उसे सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से फसाया है वरना वह तो बिल्कुल बेकसूर है।

लेकिन सच्चाई जनता से कभी छिपी नहीं रहती, वह सब जानती है। सत्तारूढ़ होने से पहले जिसके घर खाने को दाने नहीं होते थे, सत्तारूढ़ होते ही यकायक वह अथाह दौलत का मालिक हो जाता है।

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Mazdoor Morcha
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