पलवल (म.मो. ) जिला पलवल में उजागर हुए मनरेगा घोटालेबाज बीते रविवार को अपने आका के पास पहुंचे। इस घोटाले की विजिलेंस जांच में नित नए नए कारनामे निकल कर बाहर आ रहे हैं। हालाँकि इस घोटाले की जांच सरकार को शिकायतकर्ता व स्थानीय मिडिया की सक्रियता के चलते करवानी पड़ रही है। अन्यथा जब महीने भर पहले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पलवल आये थे तब उन्होंने पत्रकार वार्ता में ऐसा कोई घोटाला होने से ही मना कर दिया था। लेकिन पत्रकारों द्वारा दिखाई गई सक्रियता के चलते उनकी प्रेस कांफ्रेंस के बीच ही उनको प्रमाण दिखाए जाने पर इसकी जांच के लिए मजबूर होना पड़ा । अब इस मनरेगा घोटाले की जांच को यदि सही निष्पक्ष होने दिया जाये तो ये घोटाला कई करोड़ रुपये का निकलेगा । इसकी जांच में विजिलेंस की सक्रियता से घबराकर घोटालेबाज अपने आकाओं की शरण में पहुँच गए हैं ।
इसी कड़ी में ये लोग गत रविवार को अपने आका केन्द्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के दरबार में अपनी गर्दन को बचाने की गुहार लगाने के लिए पहुंचे । इन लोगों की अगुवाई पलवल जिले के गाँव औरंगाबाद का सरपंच हरदीप कर रहा था मजदूर मोर्चा ने जब इस हरदीप सरपंच के कार्यकाल के बारे में पड़ताल की तो उसके बारे में जानकारों ने बताया कि इसने भी अपने कार्यकाल में अनेक घोटाले किये हैं यदि इसके कार्यकाल में दर्शाए गए खर्च की जांच करवाई जाये तो लाखों रुपये का घोटाला सामने आ सकता है । मजदूर मोर्चा के पास इसके मनरेगा में ग्राम सचिव व बीडीपीओ की संलिप्तता में बिना काम के लाखों रुपये के गबन के प्रमाण हैं ।
वर्ष 2011-12 में मनरेगा में रु 467565-दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों को आवंटित सौ सौ गज के प्लाटों के रास्तों में मिट्टी डलवाने के नाम पर दिखाकर खर्च की हुई दिखाई है। जबकि ये तथाकथित मिट्टी डलवाने का काम हुआ ही नही । इसके अलावा इसने 2011- 2012 मार्च तक लगभग तीस लाख रुपये खर्च किये हुए दिखाए हैं जबकि उसमे से अनेक कार्य या तो हुए ही नहीं या उनमे खर्च की गई राशि बढ़ा-चढ़ा कर दिखाई गई है। गऊघाट बनवाने का घोटाला तो उस समय खुद विजिलेंस के इंस्पेक्टर सुरेश द्वारा सत्तारूढ़ कांग्रेसी विधायकों के दबाब में दबा दिया था ।
यदि उस केस की जांच आज भी की जाये तो इसके गबन की असलियत सामने आ सकती है इसके द्वारा किये गए गबन की शिकायत उस समय ग्राम पंचायत के एक निर्वाचित सदस्य द्वारा मुख्यमंत्री तक कई बार की गई थी लेकिन उस समय के दो सत्ताधारी विधायकों ने इसके कारनामों की जांच भी नही होने दी । 2019 के विधान सभा चुनावों तक ये उदयभान के साथ था लेकिन उदयभान की हार के बाद इसने पाला बदल कर अपने कारनामों से बचने को कृषणपाल गुज्जर की जी हजूरी करनी शुरू कर दी। अब देखना यह है कि विजिलेंस विभाग क्या इन घोटालेबाजों के लीडर हरदीप के कार्यकाल की भी जांच करेगा?