फरीदाबाद (म.मो.) सुबह-सवेरे, मुंह अंधेरे हरियाणा रोडवेज़ की बसें होडल, पलवल, बल्लबगढ़, एनआईटी फरीदाबाद से शिमला , चंडीगढ़, हिसार, भिवानी व कई अन्य लम्बे रुटों के लिये निकलती हैं। इनमें सवार होने के लिये यात्री बाटा मोड़, अजरोंदा मोड़, व सबसे अधिक ओल्ड के चौक पर इंतजार करते हैं।
अन्य स्थानों को तो छोड़ दीजिये लेकिन ओल्ड चौक तो बाकायदा रोडवेज़ द्वारा घोषित स्टैंड है। यहां बड़ी संख्या में सवारियां, खासतौर पर लम्बी दूरी की, इंतजार में खड़ी रहती है। इसके बावजूद ड्राइवर-कंडक्टर सवारियों की परवाह न करते हुए ऊपर गामी पुलों से गुजर जाती हैं। हैरान-परेशान यात्री मजबूर होकर कैपिटल बस अथवा अन्य अवैध वाहनों में जैसे-तैसे लद कर अपना दिल्ली तक का सफर तय करते हैं। जाहिर है इसके चलते जहां एक ओर यात्री परेशान होते हैं तो वहीं दूसरी ओर रोडवेज़ को भारी घाटा होना तय है। हां, इसका पूरा लाभ प्राईवेट एवं अवैध बसों को हो रहा है।
मौके पर पहुंच कर इस संवाददाता ने कई बार यह भी देखा है कि बस वाले यात्रियों को पुल के शिखर पर अथवा पुल चढऩे या उतरने से पहले उतार देते हैं। इससे बेबश यात्रियों की परेशानी और भी बढ़ जाती है। वे बस से, रोते-कोसते उतर तो जाते हैं लेकिन परिवहन विभाग तथा इसके मंत्री मूलचंद को जी भर कर गालियां देते हुए दोबारा उनकी बसों में सफर न करने का संकल्प भी करते हैं। समझा जा सकता है कि इस तरह के उतारे गये यात्रियों को रिकशा अथवा ऑटो आदि लेने में बहुत कठिनाई होती है। यदि साथ में परिवार और कुछ सामान भी हो तो उनकी मुसीबत और भी बढ़ जाती है। इस बाबत रोडवेज़ के स्थानीय महाप्रबन्धक लेखराज से जब फोन पर पूछा गया तो उन्होंने बड़ा मुख्तसर सा जवाब दिया कि लम्बी दूरी की बसें तो पुलों के ऊपर से ही जाती हैं। लेकिन जब उन्हें मंजूरशुदा स्टैंड (फेयर स्टेज़) के साथ-साथ बड़ी संख्या में इन्तजार करने वाली सवारियों का हवाला दिया गया तो उन्होंने जानकारी लेकर बताने की बात कही। कुछ ही देर बाद उन्होंने फोन पर बताया कि सभी बसों के लिये पुलों के बराबर से जाना और सवारी उठाना अनिवार्य है, खास तौर पर ओल्ड के चौक से। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस मामले में अपने स्टाफ को आवश्यक निर्देश देने के साथ-साथ चेकिंग भी बढ़ायेंगे।