फरीदाबाद (म.मो.) शहर भर की तमाम चौड़ी-चौड़ी सडक़ों पर सदैव जाम की स्थिति बनी रहती है। चाहे ये सडक़ें एनआईटी के भीतर हों या फिर विभिन्न सेक्टरों के अंदर, जहां देखो जाम की स्थिति नज़र आती है। सडक़ों की चौड़ाई में कोई कमी नहीं है, कमी है तो इन सडक़ों पर की जाने वाली अवैध पार्किंग है। बाजारों के भीतर तो कोढ़ में खाज की तरह, दुकानदारों ने सामान से सडक़ तो घेर ही रखी है उसके बाद वाहन खड़े कर रखे हैं।
बाटा फ्लाई ओवर से हार्डवेयर चौक तक दोनों ओर की सडक़ों पर बड़े-बड़े ट्रकों व ट्रालों का जमावड़ा यातायात को अवरुद्ध किये रहता है। इसी तरह हाईवे के दोनो ओर की सर्विस लेन पर भी पार्किंग के चलते जाम की स्थिति बनी रहती है। इस समस्या से निपटने की अपेक्षा, सरकार ने इसे मोटी लूट कमाई का साधन बनाने की योजना सोची है। जैसा कि गतांक में लिखा गया था कि किसी गिरोह को अवैध पार्किंग से गाडिय़ां उठाने का ठेका दिया जायेगा। उससे होने वाली लूट कमाई को नगर निगम व ठेकेदार बांट लेंगे।
सवाल यह पैदा होता है कि क्या अवैध पार्किंग से निपटने यही मात्र एक तरीका है? क्या कानून में दिये गये ‘नो पार्किंग’ के चालान करने से इस समस्या को हल नहीं किया जा सकता? बखूबी किया जा सकता है, यदि चालान करने वालों की नीयत सही हो तो। नये मोटर व्हिकल एक्ट के मुताबिक नियमों की उल्लंघना करने वाले वाहन चालकों पर भारी जुर्मानों का प्रवधान है। कोई भी वाहन चालक एक बार से अधिक किसी भी तरह का चालान सहन नहीं कर सकता, बल्कि एक का चालान होने पर अन्य दसियों की भी आंखें खुल जाती हैं। लेकिन इसके लिये पुलिस द्वारा सतत प्रयास की आवश्यकता है न कि यदा-कदा सडक़ों पर पखवाड़ा मनाने से।
ट्राफिक पुलिस द्वारा किये जाने वाले ‘नो पार्किंग’ के चालानों की संख्या जानने के लिये जब इस संवाददाता ने एसीपी ट्राफिक से उनके मोबाइल नम्बर 9582200118 पर जानकारी चाही तो उनका जवाब था, ‘हम आपको क्यों बतायें?’ बड़ा शानदार जवाब था। जब इस संवाददाता ने उनसे कहा कि नो पार्किंग के चालान नहीं होते इसी लिये सडक़ों पर वाहन खड़े रहते हैं।
संवाददाता की गलतफहमी दूर करते हुए उन्होंने कहा कि आज अभी तक (12 अप्रैल दिन के डेढ़ बजे तक) 10-15 चालान हो चुके हैं, बाकि अभी सारा दिन पड़ा है। कितनी ‘शानदार’ कार्यशैली है इस ट्राफिक पुलिस की। यहां एक डीसीपी, एक एसीपी, अनेकों इन्स्पेक्टर व सब इन्स्पेक्टरों के साथ सैंकड़ों अन्य पुलिसकर्मी ट्रैफिक ‘सम्भालने’ पर जुटे हैं। इसके बावजूद दिन भर में नो पार्किंग के 20-30 चालान ही हो पाते हैं। इतना भारी-भरकम अमला होते हुए क्यों नहीं रोजाना 200-400 ऐसे चालान किये जाते? कुल मिला कर चालान करने में तो इन पर जोर पड़ता है लेकिन ठेकेदारों द्वारा वाहन उठवाने का ठेका देने में इनको आनंद आता है।