मोदी जी बस करो, बहुत हो गया, ज्यादा स्मार्ट बनाओगे तो पलायन हो सकता है

मोदी जी बस करो, बहुत हो गया, ज्यादा स्मार्ट बनाओगे तो पलायन हो सकता है
April 11 17:47 2022

फरीदाबाद (म.मो.) शहरवासी पहले तो नगर निगम से ही परेशान थे अब उनकी परेशानी बढाने के लिये खट्टर सरकार ने उनके सिर पर एफएमडीएस्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनी नामक दो जिन्न और बैठा दिये। इनकी खुराक के लिये सरकार ने हजारों करोड़ रुपया भी इन्हें दे दिया है। काम करने के नाम पर ये दो ही काम जानते हैं सडक़े व सीवर खोदना व बनाना। इसके लिये टेंडर छोडऩा, बिल पास करना व अपने हिस्से का कमिशन बटोरना।

इस काम को भी ये लोग सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। बीते दो वर्षों से तो एनआईटी क्षेत्र की लगभग तमाम सडक़ें गड्ढों में परिवर्तित हो जाने के चलते आवागमन दूभर हो चुका है। धूल उड़ाती इन सडक़ों ने सांस लेना भी दूभर कर दिया है। गर्मी के इन दिनों में भी, बिना पराली जले, धुएं तथा धूल का गुबार शहर भर के ऊपर छाया रहता है। घोषणाएं होती हैं, नारियल फूटते हैं लेकिन काम कोई हुआ नजर नहीं आता।

‘हूडा’ के तमाम सेक्टरों यानी सेक्टर 4 से लेकर 37 तक की सडक़ों का बुरा हाल कर दिया गया है। सेक्टर 11 व 6 की विभाजक सडक़ जो मथुरा रोड को बाइपास से जोड़ती है बीते करीब दो साल से खोद कर छोड़ दी गई है। इसी सडक़ से कचहरी को जाने वाली सेक्टर 10 व 11 की विभाजक सडक़ भी बीते करीब तीन साल से बेहाल पड़ी है। सेक्टर 7 की ओर से इस सडक़ पर चलें तो करीब 100 मीटर की सिमेंट रोड इस खतरनाक ढंग से बनाई गई है कि रात के अंधेरे में आये दिन अनेकों वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। इस सडक़ के बीच में डिवाइडर के नाम पर करीब डेढ फुट का गैप छोड़ा हुआ है। इस गैप की गहराई भी करीब 9 इंंच है जिसे रात के अंधेरे में देख पाना सम्भव नहीं है। परिणामस्वरूप ज्यों ही किसी वाहन का पहिया इस गैप में गिरता है तो होती है दुर्घटना। दो पहिया वाहन के मामले में तो यह और भी घातक हो जाती है।

इसके बाद बाटा मोड़ से बाइपास को जोडऩे वाली कचहरी रोड भी बीते दो माह से निर्माणाधीन चल रही है। बमुश्किल दो सप्ताह का यह काम कई महीनों का प्रोजेक्ट बना दिया गया है। इसी तरह मथुरा रोड को बाइपास से जोडऩे वाली सेक्टर 15-16 की विभाजक सडक़, सेक्टर 17-18 की विभाजक सडक़ तथा सेक्टर 19-28 की विभाजक सडक़ भी स्मार्ट होने के नाम पर जनता का सिर दर्द बनी हुई है। लगता है कि जनता को परेशान करने के लिये इतना सब काफी नहीं था तो सेक्टरों के बीच-बीच में भी कई सडक़ें खोद डाली गई हैं। किसी को पता नहीं चलता कि कब और कहाँ कोई सडक़ बंद हो जायेगी। काफी-काफी दूर जाकर लोगों को वापस मुडऩा पड़ता है। इन सबके चलते सेक्टरों के भीतर प्रवेश करना भी भारी पड़ रहा है।

सेक्टर 14-15 की विभाजक सडक़ से सेक्टर 14 व सेक्टर 15 में प्रवेश करने के लिये कई बार तो आधा घंटा तक भी लग जाता है। इसके चलते स्थानीय पुलिस का काम भी काफी बढ़ चुका है जहां कभी पुलिस की कोई आवश्यकता नहीं होती थी वहां अब पुलिस, अपने सब काम छोड़ कर यातायात को सुचारु करने में लगी दिखती है।

मुम्बई एक्सप्रेस वे के नाम पर निर्माणाधीन 12 लेन के बाइपास ने तो हालत और भी खराब कर रखी है। इसका दुष्प्रभाव यूं तो सारे यातायात पर पड़ रहा है परन्तु तमाम सेक्टरों की अन्तिम लाइन जो ग्रीन बेल्ट से सटी है, उनकी हालत तो और भी खराब है। पहले तो इनकी आधी ग्रीन बेल्ट ही सडक़ में समा गई, उसके बाद सडक़ निर्माण के लिये इस्तेमाल हो रही भारी मशीनों ने हालात को और भी बिगाड़ दिया है। जब ये मशीनें चलती हैं तो खिड़कियों के शीशे कम्पन से फड़फड़ाने लगते हैं, मशीनों की आवाज़ से पैदा होने वाली गूंज दिन-रात परेशान करती रहती है।

मोदी-गडकरी का विशेष प्रोजेक्ट होने के चलते यह रात-दिन चलता ही रहता है। तमाम दावों के बावजूद यहां से हर समय धूल के भारी गुबार उठ कर पूरे वायुमंडल को प्रदूषित करते रहते हैं। प्रदूषण विभाग छोटे-मोटे प्रदूषणकारियों के तो चालान काटता रहता र्है लेकिन सडक़ों से उठने वाला गुबार उसे नजर नहीं आता।

                                                                                                        निरीक्षण की नौटंकी
दिनांक 6 अप्रैल को एफएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल ने यहां का दौरा करके शहर की दुर्दशा का अवलोकन किया। शुक्र है कि दो महीने सडक़े खुदी रहने के बाद सुधीर जी को फरीदाबाद का ध्यान आया। वास्तव में सुधीर राजपाल फरीदाबाद के अलावा गुडग़ांवा महानगर विकास प्राधिकरण के भी सीईओ है। हरियाणा सरकार उन पर इतनी मेहरबान है कि दो-दो शहरों का विकास उनके नाजुक कंधों पर डाल रखा है।

जानकार बताते हैं कि फरीदाबाद सैक्टर-14 में उनका पुश्तैनी घर है और वह यदा-कदा यहां घूमने आते रहते हैं। इसी चक्कर में सडक़ों का निरीक्षण भी कर डाला। बताया जाता है कि उन्होंने ठेकेदारों को खूब हडक़ाया, समय पर काम पूरा करने के लिए उन्हें ‘कड़ी चेतावनी’ दी, अध बनी सडक़ों को भी यातायात के लिए खोलने के लिए कहा। सवाल यह पैदा होता है कि जिस दिन ये ठेके दिये गये उस दिन राजपाल जी क्या कर रहे थे? उन्होंने यह देखने की कोशिश क्यों नहीं की ठेकेदारों की कार्यक्षमता क्या है। जिन ठेकेदारों को कार्यक्षमता से अधिक काम काम दे दिया जाता है तो वह इसी तरह से पूरे शहर को बंधक बनाकर खड़े हो जाते हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles