खेड़ी पुल एसएचओ ने सर्विस गिरोह सरगना खटाना की ओर से क्रॉस केस बनाया

खेड़ी पुल एसएचओ ने सर्विस गिरोह सरगना  खटाना की ओर से क्रॉस केस बनाया
February 28 04:48 2022

कृष्ण भक्त सीपी विकास अरोड़ा को मंत्री कृष्ण (पाल) भक्ति की अपेक्षा जनता की सुरक्षा करनी चाहिये

फरीदाबाद (म.मो.) जनता के जान-माल की सुरक्षा के लिये बनी पुलिस आज अपराधियों के सामने पूरी तरह से असहाय नज़र आती है। गुंडों द्वारा प्रताडि़त एवं लुटे-पिटे नागरिक खास कर समाज सेवी एवं ह्विसलब्लोअर जब थाने में शिकायत करने जाते हैं तो दोषी गुंडे वहां पहले से ही थानेदार के बगल में बैठे चाय पी रहे होते हैं। समझा जा सकता है कि ऐसे में पीडि़त शिकायतकर्ता के ऊपर क्या गुजरती होगी? ग्रेटर फरीदाबाद की ओजोन पार्क सोसायटी के निवासी सेवानिवृत विंग कमांडर एवं वकील सतेंन्द्र दुग्गल पर 12 फरवरी को गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किये जाने की शिकायत करने जब दुग्गल साहब थाना खेड़ी पुल पहुंचे तो पुलिस का रवैया कुछ ऐसा ही था। बड़ी मुश्किल से जन दबाव के चलते बहुत ही हल्की धाराओं में उनकी एफआईआर दर्ज की गई।

अपराधियों की गिरफ्तारी तो दूर जल्द ही उनके सरगना एसएस खटाना की शिकायत पर दुग्गल के विरुद्ध भी एक एफआईआर दर्ज कर दी गई। इस अति हास्यास्पद एफआईआर में खटाना लिखवाता है कि दुग्गल उससे 1700 रुपये व एक मोबाइल फोन छीनकर भाग गया। इतना ही नहीं इस छीना-झपटी के वक्त दुग्गल ने उस पर तेज़ धारदार हथियार से हमला भी किया। हमले की पुष्टि में खटाना ने बीके अस्पताल से एमएलआर भी कटवा लिया। इस रिपोर्ट में रिश्वतखोर डॉक्टर गुलबदन एक ऐसे हल्के से जख्म का विवरण लिखता है कि जिसे खटाना ने खुद ही अपने हाथ से बना लिया था।

इस झूठी एफआईआर के आधार पर क्रॉस केस बना कर पुलिस ने सममझौता अधिकारी की भूमिका निभाते हुए दोनों पक्षों में समझौता प्रक्रिया शुरू कर दी। असंतुष्ट पीडि़त दुग्गल अनेक मौजिज लोगों को साथ लेकर पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा से मिले। सारी कहानी सुनकर पुलिस आयुक्त ने भी माना कि क्रॉस केस बिल्कुल ही झूठा व बेबुनियाद है। लेकिन इसके बावजूद झूठा क्रॉस केस दर्ज करने वाले थानेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं हुई। दरअसल इस तरह के बेहूदा काम एसएचओ अपनी मनमर्जी से नहीं कर सकता। इस तरह के काम उच्चाधिकारियों के इशारे पर ही किये जाते हैं। दिखावे के तौर पर इस केस की निगरानी एसीपी महेन्द्र वर्मा से लेकर दूसरे एसीपी यादव को दे दी। यादव ने भी क्या नया करना था, उन्होंने भी वर्मा की तरह ही लीपा-पोती करने का प्रयास किया। खटाना थाने में, एसीपी की मौजूदगी में भी दुग्गल को धमकाने से बाज नहीं आ रहा था और एसीपी साहब मुस्कुरा रहे थे। इस तरह का यह मामला कोई अपवाद नहीं है।

समझने वाली बात यह है कि पुलिस तो इन गुंडों से अपना चुग्गा-पानी वसूलती ही है इसके अलावा इन्हें स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल का पूरा संरक्षण प्राप्त है। मंत्री की ओर से उनका मामा राजपाल व अन्य लगुए-भगुए पुलिस को मंत्री जी का संदेश दे देते हैं। पूरे ग्रेटर फरीदाबाद में सोसायटियों की सिक्योरिटी के ठेके, ट्रैक्टरों द्वारा सेप्टिक टैंक खलाने व अन्य कई तरह के कामों पर स्थानीय ग्रामीणों का कब्जा है। अपनी गुंडागर्दी के दम पर वे सोसायटी वालों से मनमानी वसूली तो करते ही हैं साथ में अपना वर्चस्व जमाये रखने के लिये उन सोसायटी वासियों की ‘ठोका-पीटी’ भी यथा समय करते रहते हैं जो थोड़ा भी सिर उठाने की कोशिश करता है।

इन गिरोह की कारगुजारी से हजारों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण जुड़े हैं जो बाहर से आकर बसने वाले लोगों पर हावी रहते हैं। स्थानीय होने के चलते ये लोग एक वोट बैंक का काम भी करते हैं जिसकी जरूरत चुनावों के वक्त कृष्णपाल जैसे नेताओं को सदैव रहती है। अपने पल्ले से नेता जी को इन पर कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता। न ही ये लोग अपने बच्चों की शिक्षा व परिवारों की चिकित्सा आदि के लिये कोई मांग करते हैं, बस केवल पुलिस से बचाये रखने व उनकी गुंडागर्दी को चलाये रखने के एवज में ये लोग मंत्री जी के वफादार वोटर बने रहते हैं।

घूम फिर कर बात आती है पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा पर। धार्मिक प्रवृत्ति एवं ईमानदार छवि रखने के बावजूद वे राजनेताओं की कठपुतली क्यों बने हुये हैं? ट्रयूनिंग विद गॉड जैसी धार्मिक पुस्तक के सह लेखक होने से पता चलता है कि उनका परमात्मा में गहरा विश्वास है। जिस व्यक्ति का परमात्मा में इतना गहरा विश्वास हो उसे कृष्णपाल जैसे राजनेताओं की अपेक्षा उस जनता के प्रति समर्पित रहना चाहिये जिसकी सेवा के लिये परमात्मा ने उन्हें इतना बड़ा पद एवं अवसर दिया है।

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Mazdoor Morcha
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