मजदूर मोर्चा ब्यूरो फरीदाबाद। 28 नवम्बर से 4 दिसम्बर 2021 के मजदूर मोर्चा के अंक में पाठकों ने पढ़ा था किस तरह एक नाबालिग रेप पीडि़ता को थाना मुजेसर और महिला थाना सैक्टर 21बी फरीदाबाद दो दिन तक इधर से उधर दौड़ाते रहे लेकिन फिर भी मामला दर्ज न करके उसे बहका, धमका व डराकर घर भेज दिया। पाठक समझते ही होंगे कि पुलिस ने इतनी मशक्कत बिना किसी पार्टी से पैसे लिये तो नहीं ही की होगी।
मजदूर मोर्चा की खबर पढक़र एक संवेदनशील वकील ने इस संगीन मामले को पोक्सो कोर्ट के ध्यान में लाना उचित समझा। तो उन्होंने 3 जनवरी 2022 को एक पत्र लिखकर जिला जज पोक्सो कोर्ट को इसकी जानकारी दी। पत्र के साथ मजदूर मोर्चा में छपी खबर की प्रति भी साथ लगी थी ताकि जज साहिब उसे पढक़र पूरे मामले को विस्तार से समझ सकें, और तुरन्त कार्रवाई कर सके और संबंधित पुलिस अधिकारियों को उनके भ्रष्ट आचरण या जाहिली के लिये खींच सके।
लेकिन जज साहिबा तो खुद इतनी संवेदनहीन निकली की डेढ़ महीने तक उस पत्र को दबाये बैठी रहीं। पुलिस से अभी तक इस खबर पर कोई जवाब तलबी तक नही की गई। मजूदर मोर्चा के संज्ञान में आया है कि बजाय पुलिस अधिकारियो से इस मामले में रिपोर्ट मांगने के पोक्सो कोर्ट की जज साहिबा ने, एक महीने बाद सूचना देने वाले वकील साहब को ही फोन करवाकर अपनी कोर्ट में तलब कर लिया जैसे कि वो कोई मुजरिम हो। कोर्ट के अहलमद से फोन द्वारा करीब 12 बजे सूचना मिलने पर वकील साहब तुरन्त दो बजे अदालत में हाजिर हो गये।
लेकिन जब एक घण्टे तक इन्तजार करने के बाद भी जज साहिबा अपने घर से लंच करके नहीं वापिस आयी तो वकील साहब उठकर चले आये क्योंकि वो अपने जरूरी काम छोडक़र अदालत के बुलावे पर तुरन्त हाजिर हुए थे।
पुलिस से तो जनता का विश्वास उठ ही चुका है कि वो बिना कोई भेंट पूजा के कोई कार्रवाई नहीं करती लेकिन अगर पोक्सो कोर्ट की महिला जज भी रेप जैसे अपराधों पर और वो भी नाबालिगों के ऊपर ऐसी संवेदनहीन और लापरवाह बनी रहेगी तो न्यायिक विश्वसनीयता का ताना बाना जल्द ही टूट सकता है।