करनाल। कल्पना चावला के नाम पर मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए करीब पांच वर्ष पहले खट्टर सकरार ने कुटेल गांव, करनाल के लोगों से 140 एकड़ जमीन छीनी थी। लेकिन अब उसका नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय रख दिया है। इसके विरोध में एडवोकेट राजेन्द्र कल्याण कुटेल ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि वह इसका नाम उनके किसी गुरू के नाम पर रखें तथा यूनिवर्सिटी में नौकरियों के लिए गांव के लोगों को प्राथमिकता दें।
लेकिन वकील साहब को शायद इस बात का ज्ञान नहीं है कि खट्टर सरकार ने यह जमीन कोई यूनिवर्सिटी चलाने के लिए तो ली नहीं थी।
सुधी पाठक जानते होंगे कि करनाल शहर की रहने वाली कल्पना चावला नासा द्वारा भेजे गये एक अंतरिक्ष यान दुर्घटना में शहीद हो गई थी।
अब खट्टर सरकार तरह-तरह की बहानेबाज़ी करके इस यूनिवर्सिटी का नाम उस दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने जा रही है। जिसका न केवल करनाल से बल्कि पूरे हरियाणा से कोई ताल्लुक नहीं रहा। इससे भी बड़ी बात यह है कि खट्टर सरकार पहले से बने मेडिकल कॉलेजों को धनाभाव के कारण ढंग से चला नहीं पा रही। इन कॉलेजों में न तो फैकल्टी पूरी है और न ही अन्य स्टाफ। इतना ही नहीं हरियाणा के 7 मेडिकल कॉलेजों के लिये कार्यरत रोहतक स्थित यूनिवर्सिटी पहले से ही मौजूद है। इस यूनिवर्सिटी में भी नाममात्र के लिए रखे गये स्टाफ को वेतन देने को भी सरकार के पास पैसे नहीं है। यूनिवर्सिटी का अधिकांश खर्च मेडिकल छात्रों पर जुर्माने लगाकर पूरा किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार खट्टर साहब ने इस तथाकथित संस्थान को बेचने का सौदा पहले ही कार्पोरेट मित्रों से कर रखा है।