नागरिक कब्जा हटाओ अभियान में सहयोग कर रहे हैं फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम प्रशासन ने बीते सप्ताह बजारों व गलियों से अवैध कब्जे हटाने का आदेश पूरी सख्ती व सही नीयत से दिया तो लोगों ने स्वत: कब्जे हटाने शुरू कर दिये। न केवल बाजारों से बल्कि गली-मुहल्लों में स्थित मकानों के सामने लगी ग्रिलें व सीमेंट की उन चादरों को भी हटा लिया जिनसे सडक़ को घेरा गया था। इसके लिये नगर निगम को न तो किसी बुल्डोजर की जरूरत पड़ी और न ही लेबर का खर्चा उठाना पड़ा, पुलिस की जरूरत भी नहीं पड़ी।
‘मज़दूर मोर्चा’ लगातार लिखता रहा है कि 60-60 फीट चौड़ी सडक़ें मात्र 20-20 फीट की, केवल इसलिये होकर रह गई कि दुकानदारों व रिहायशी घरों ने सडक़ों को अवैध रूप से घेर लिया है। इस तरह के अवैध घेराव के चलते न तो पैदल चलने वालों के लिये फुटपाथ बचे और न ही साइकिल चलाना सुरक्षित रहा। पूरे शहर में हर समय जहां-तहां जाम की स्थिति बनी रहती है। प्रशासन ‘कार मुक्त’ दिवस मनाने की बात तो करता है परन्तु पैदल चलने व साइकिल चलाने के लिये, सडक़ों पर जगह नहीं दिला पा रहा। यदि साइकलिंग सुरक्षित हो जाये तो अनेकों लोग मोटर वाहन की बजाय साइकिल चलाना पसंद कर सकते हैं। अब तक देखने में यह आता रहा है कि कभी कभार जब किसी प्रशासनिक अधिकारी की नीेंद खुलती है तो अवैध कब्ज़े हटाने के नाम पर पुलिस की सहायता से दो-चार दिन तोड़-फोड़ अभियान चलाकर प्रशासन सो जाता है।
प्रशासन का यह कार्य ठीक ऐसा लगता है जैसे कि तोड़-फोड़ के जरिये वह जनता को अपनी शक्ति का अहसास कराना चाहता है। यह अहसास कराने के बाद प्रशासन फिर से लुप्त हो ताता है। ऐसे में उस पर रिश्वतखोरी का आरोप लगना निश्चित ही है। यदि प्रशासन यह तय कर ले कि उसे तमाम कायदे कानून एवं नियमों का पालन कराना ही है तो यह कोई कठिन काम नहीं है। यह तो प्रशासन का ढुल-मुल रवैया ही है जिससे लोग सडक़ों पर अवेध कब्ज़े करने के लिये प्रेरित होते हैं, वरना अधिकांश नागरिक कानून कायदों का पालन करना ही चाहते हैं।
अब देखना यह है कि निगम प्रशासन अपनी नीति पर कब तक कायम रह पाता है। प्रशासन की नीयत यदि साफ है और वह बिना किसी भेद-भाव एवं पक्ष-पात के अपने बनाये कानून कायदों का ठीक से पालन कराता है तो कोई भी नागरिक उनको तोड़ता नहीं। होता दरअसल यह है कि जब कोई एक नागरिक कायदे-कानूनों का उल्लंघन और प्रशासन उसे अनदेखा करता है तो उसके अन्य पड़ोसी भी प्रेरित होकर वही काम करने लगते हैं।
यदि प्रशासन उल्लंघन करने वाले पहले नागरिक पर ही ईमानदारी से पूरी सख्ती कर दें तो अन्य लोगों को उल्लंघन करने का साहस नहीं हो पायेगा। जाहिर है ऐसे में तमाम शहरवासियों को अपनी सडक़ों पर बेहतर एवं सुरक्षित यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी।