फरीदाबाद (म.मो.) कच्ची बस्तियों में, जहां गरीब मेहनतकश लोग अपने छोटे-मोटे धंधे करके गुजर-बसर करते हैं उन्हें ठगने व लूटने के लिये कई इलाको में स्थानीय पुलिस ने अपने दल्ले छोड़े हुए हैं। ऐसी ही एक बस्ती कृष्णा नगर निकट बाटा फ्लाईओवर जो पुलिस चौकी डीएलएफ 11 एवं थाना सेक्टर 7 के इलाके में पड़ती है, का मामला प्रकाश में आया है। कॉलोनी में रहने वाले राधेश्याम के पास 18 नवम्बर को पुलिस चौकी से एक पुलिस वाला आकर कहता है कि उसके खिलाफ शिकायत आई है कि उसने अपनी गाड़ी से एक एक्सिडेंट कर दिया है, इसलिये अपनी गाड़ी को चौकी लेकर चलो। राधेश्याम ने कहा कि उसके घर में खड़ी यह गाड़ी तो चलने लायक ही नहीं है, कई महीनों से ज्यों की त्यों खड़ी है तो इससे एक्सिडेंट कैसे हो सकता है? पुलिस द्वारा धमकाने व डराने के चलते राधेश्याम ने कार पर जमीं धूल की मोटी परत साफ की व इंजन को स्टाट कराने के लिये कुछ पैसे देकर एक मिस्त्री को बुलाया।
गाड़ी लेकर करीब 12 बजे जब राधेश्याम चौकी पहुंचा तो वहां मौजूद एएसआई दर्शनलाल ने कहा कि गाड़ी की आरसी दिखाओ। इसे देखने के बाद एएसआई ने कहा कि यह गाड़ी तो 15 साल से अधिक पुरानी है इसलिये इसको इन्पाऊंड करेंगे। राधेश्याम ने कहा कि उसे पता है कि गाड़ी सडक़ पर नहीं चलाई जा सकती इसलिये उसने इसे घर में ही खड़ा कर रखा है, सौदा होने पर किसी कबाड़ी को बेच देगा। लेकिन दर्शन लाल की नीयत तो रिश्वत वसूलने की थी इसलिये वह कोई तर्क सुनने की अपेक्षा उसे डराने में ही लगा रहा। करीब छ: बजे दर्शन लाल को किसी तरह पता चल गया कि कोई पत्रकार भी इस मामले पर नज़र रखे हुए है तो उसने तुरन्त राधेश्याम का मोबाइल फोन छीन लिया। रात करीब साढे नौ बजे राधेश्याम को गाड़ी सहित तब जाने दिया जब उसने अपने दल्ले आरसी शेखर के माध्यम से 12 हजार रुपये की वसूली कर ली।
दरअसल हुआ यूं था कि आरसी शेखर जो पुलिस के लिये मुखबरी व दलाली का धंधा करता है तथा इसी की आड़ में कॉलोनी में नेतागिरी भी चलाता है, ने पुलिस को बतौर शिकार राधेश्याम की पुरानी गाड़ी के बारे में सूचना देकर यह सारा षडय़ंत्र रचा था। इस तरह के नेता सदैव सत्तारूढ़ दल का नकाब पहनकर जनता को ठगते हैं। आरसी शेखर अपने आपको भाजपा का नेता बताता है।
बाद में यही शेखर राधेश्याम का मददगार बन कर, पुलिस से छुटवाने पुलिस चौकी भी पहुंच गया। अपने धंधे के मुताबिक उसने राधेश्याम व एएसआई दर्शनलाल के बीच सौदेबाज़ी करके नकद 12 हज़ार रुपये राधेश्याम से ले कर दर्शन लाल को देकर उसे छुड़वाया।
पुलिस का पक्ष जानने के लिये इस संवाददाता ने 19 तारीख को चौकी इंचार्ज प्रदीप मोर से फोन पर बात की तो उन्होंने साफ कहा कि वे शाम को चौकी से जाते वक्त दर्शन लाल को कह गए थे कि गाड़ी को छोड़ दो। इसके बावजूद भी किसी ने 12 हजार ले लिये हों तो वे इसकी जांच करेंगे। वह जांच अभी तक जारी है, जिसका कोई परिणाम आता नजर नहीं आ रहा। हां, पत्रकार के पास जाने के कारण राधेश्याम पर इतना दबाव बना दिया गया है कि वह पुलिस एवं उसके दल्ले आरसी शेखर की दहशत के मारे कहीं भी कोई लिखित शिकायत देने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। ‘मज़दूर मोर्चा’ के पास आरसी शेखर व राधेश्याम के बीच हुई टेलिफोनिक वार्ता की वह रिकॉर्डिंग मौजूद है जिसमें उक्त राशि लिये-दिये जाने की बात कही गई है। इसमें आरसी शेखर राधेश्याम से यह भी कहता है कि वह पत्रकार को हडक़ा दे, धमका कर कह दे कि वह हमारे बीच में न पड़े। रहना तो यहां हमें और तुम्हें ही है।
पुलिस की ऐसी लूट लगभग हर क्षेत्र में ऐसे ही चलती रहती है जिसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। सवाल उन अधिकारियों पर भी बनता है जो चौकी व थानों की सुपरविजन के लिये तैनात किये गये हैं।