28 तारीख सुबह के साढे चार बजे महाबोधि ट्रेन जैसे ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची कि ट्रेन रूकने से पहले ही कुली बोगी के अंदर आ गया और बिना भाड़ा तय किये ही सामान लेकर नीचे उतरने लगा। मैं बोली पहले पैसे तय कर लो कि तुम कितने पैसे लोगे, क्योंकि इतना तो मुझे पता था कि ये बाद में झंझट करेगा पर उसने बिना बताये ही मेरे हाथ से एक बैग ले ही लिया। मेरे साथ मेरी बुजुर्ग सासु मां थी। मैं सामान तो खूद ले ली और एक यात्री से कही कि भाई आप मां को ट्रेन से नीचे उतारने में थोड़ी मदद कर दो। उन सज्जन ने मां को नीचे उतार दिया।
नीचे उतरने पर मैं कुली से ब्हील चेयर लाने को बोली उसने कहा कि व्हील चेयर अब नहीं मिलता। अपको बैट्री रिक्शा से स्टेशन के बाहर जाना होगा और इतने में वहां बैट्री रिक्शा आ कर रूक गया। मैं बैट्री रिक्शा वाले से पूछी कि कितने पैसे लोगे उसने बोला ढाई सौ रुपये मैं बोली ठीक है। मै मां को चढा कर सामान रखने लगी। बैट्री रिक्शा वाला ने कहा कि आप सामान नहीं रख सकते हो। मैं पूछी क्यों? इस पर उसने जवाब दिया कि इस पर सिर्फ आदमी ही जा सकता है तो मैं बोली कि ठीक है सामान मैं खूद ले जाऊंगी कोई भारी सामान नहीं है और कुली के तरफ देखकर बोली कि ब्हील चेयर ही ले आओ। कुली फिर वही बात कहा कि ब्हील चेयर नहीं मिलेगा मैं आपका सामान पहुंचा देता हूं आपको सामान के पैसे अलग से देना होगा। मैं बोली कि मैं सामान के साथ बाहर जाऊंगी या मां के साथ? छोड़ दो में ब्हील चेयह की व्यवस्था कर लूंगी। वहीं पर एक पुलिस से ब्हील चेयर के बारे में कहने लगी कि इतने में वहां टैक्सी वाला आ गया और मेरा सामान लेकर बेट्री रिक्शा में रखने लगा। मैं बोली कि मुझे कुली और बैट्री रिक्शा दोनों नहीं करना है क्योंकि न सामान को छोड़ सकती न माताजी को छोड़ सकती हूं।
फिर टैक्सी वाला मेरा सामान लेकर बैट्री रिक्शा में रख दिया और कुली उससे 100 रुपये ले लिया। अब बैट्री रिक्शा वाला कहने लगा कि चलो आपलोग भी बैठ जाओ। स्टेशन से बाहर निकलनेे पर केवल 50 मीटर चलने के बैट्री रिक्शा वाला ने मेरे से 350 रुपये ले लिया तब मैं बोली कि भाई तुमने मेरे 100 रुपये ज्यादा लगवा दिया। पहले तो तुमने कहा कि 250 रुपये बाहर जाने का है और बाद में बोला कि सामान नहीं ले जाऊंगा। तो वो रोने जैसा मुंह बनाकर कहने लगा मैडमजी सच मेंं मैं तो 250 रुपये ही लिया है आपके सामने ही 100 रुपये वो कुली मेरे से लिया है आप तो देखी ही हैं। मैं पूछ दी कि वो तुमने उसको कमीशन दिया है तो बोला जी मैम नहीं तो मेरी ये भी कमाई नहीं होगी।
इसके बाद मैं टैक्सी वाला से पूछी कि तुम्हे भी कुली को कमीशन देना है बोला जैसा सवारी रहेगा 10 परसेंट 100 रुपये मुझे भी देना है। मुझ से एक हजार रुपये फरीदाबाद के लिये कहने लगा। बाद में 800 रुपये लिया और उसमें से 100 रुपये कुली को टैक्सी वाले ने भी दिया।
मैं बोली कि तुम तो फरीदाबाद गाड़ी लेकर ले कर जाओगे तो तुम 800 रुपये लोगे उसमें से भी 100 रुपये कुली महाशय को दोगे और ये रिक्शा वाला स्टेशन से बाहर लेकर आया तो 250 रुपये इसने लिया। सबसे ज्यादा बिना मेहनत की कमाई तो कुली का हुआ कि तुम लोग से 200 रुपये ले लिया। इस पर उसने कहा कि मैडम जी अगर इसे मैं पैसे नहीं दूंगा तो एक भी सवारी नहीं लेने देगा।