बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी दंगों पर ‘आँसू’ बहाये संघी दंगाइयों ने

बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी दंगों पर ‘आँसू’ बहाये संघी दंगाइयों ने
November 05 10:14 2021

फरीदाबाद (म.मो.) बीते दिनों बांग्लादेश में हुए हिन्दू विरोधी दंगों को लेकर देश भर में आरएसएस संगठनों द्वारा जहां-तहाँ प्रदर्शन के क्रम में एक छोटा सा प्रदर्शन बीके चौक और एनआईटी एक-दो नंबर चौक पर भी दिनांक 23 अक्टूबर को किया गया। प्रदर्शनकारियों की सीमित संख्या को देखते हुए समझा जा सकता था कि कुछ संघी-भाजपाई ही उक्त राजनीतिक नौटंकी में मगरमच्छ के आँसू बहा रहे थे।

शायद आम लोगों ने समझ लिया है कि इन संघियों को बांग्लादेशी हिंदुओं एवं उनके मंदिरों से कुछ भी लेना-देना नहीं है, इनका मकसद तो केवल प्रतिक्रियास्वरूप यहाँ भी दंगे भड़काना है। यानी वहाँ के दंगों की आड़ में यहाँ मुसलमानों व उनके धार्मिक व व्यापारिक स्थलों पर हमले, लूटपाट व आगजनी की जाए। लेकिन आम जनता इनकी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के बहकावे में आती प्रतीत नहीं हो रही। समझने वाली बात यह है कि बांग्लादेश सरकार ने कट्टरपंथी दंगाइयों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करते हुए करीब 700 दंगाइयों को जेल भेज दिया है। वहाँ की पुलिस ने कोमिला शहर के उस दंगाई को भी ढूँढ कर गिरफ्तार कर लिया जिसने एक दुर्गा पूजा के पंडाल में घुस कर दुर्गा मूर्ति के नीचे कुरान शरीफ रखकर उसकी बेहूरमती (अपमान) की अफवाह फैला दी, जिसके इंतजार में कट्टरपंथी दंगाई पहले से ही खून-खराबे की पूरी तैयारी किये बैठे थे।

सुधी पाठक संदर्भवश जान लें कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के मुकाबले वाली शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी अवामी लीग आज सत्तारूढ़ है। जमात-ए-इस्लामी, भाजपा एवं संघियों की तर्ज पर जनता को धर्म की अफीम चटा कर राज करने में विश्वास करती है। दोनों ओर के इन कट्टरपंथियों को एक-दूसरे का पूरा सहारा है या यूं कहें कि दोनों एक-दूसरे की खुराक हैं, एक के बिना दूसरे का गुजारा नहीं। दोनों को ही एक-दूसरे के देश में दंगे होने का इंतजार रहता है ताकि प्रतिक्रिया स्वरूप इन्हे भी ‘धंधा’ करने का मौका मिले।

आवामी लीग की नेता शेख हसीना ने न केवल मौजूदा दंगों से निबटने में पूरी सख्ती बरती है बल्कि पहले भी उनकी सरकार कई कट्टरपंथियों को फांसी पर लटका चुकी हैं। बांग्लादेश में सांप्रदायिक जहर फैलाने वालों को मंत्रियों द्वारा फूल मालाएं नहीं पहनाई जाती न ही ‘गोली मारो सालों को’ जैसे भड़काऊ नारे लगाने वालों को केन्द्रीय मंत्री मण्डल में पदोन्नत किया जाता है।

इसके अलावा न ही वहाँ डॉ कफील और शरजिल इमाम जैसे अल्पसंख्यकों को जेलों में ठूसा जाता है और न ही योगी सरकार से प्रेरित होकर मंदिरों को तोड़ा जाता है। पकिस्तान में भी सरकार द्वारा ऐसे गंदे एजेंडे प्रायोजित नहीं किये जाते हैं। इन दोनों ही देशों में जब भी कट्टरपंथी इस तरह की कोई गंदी हरकत करते हैं तो वहाँ की सरकारें बड़ा नोटिस लेते हुए मंदिरों का निर्माण एवं मरम्मत आदि सरकारी खर्च पर कराती हैं। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में योगी के बुलडोजर मुसलमानों के घर एवं धार्मिक स्थल ध्वस्त करने में जुटे रहते हैं। इतना ही नहीं योगी तो मुस्लिम महिलाओं को कब्रों से निकाल कर बलात्कार करने जैसे प्रलापों को प्रोत्साहित करते हैं।

क्या संघियों की इन गंदी और ओछी हरकतों की प्रतिक्रिया पड़ोसी दोनों मुस्लिम देशों के अलावा अन्य मुस्लिम देशों में नहीं होगी? दरअसल, संघियों की इस ओछी राजनीति के चलते इस्लामिक देशों में बसे या काम करने गए हिंदुओं की जान-माल के लिए बड़ा भारी संकट खड़ा हो जाता है जिसकी चिंता वोट के ध्रुवीकरण को आतुर संघियों को नहीं होती।

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Mazdoor Morcha
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