घोटाले के आरोपों में घिरा नेहरू कॉलेज का पूर्व प्रिंसिपल ओमप्रकाश बना मौजूदा प्रिंसिपल के लिए जी का जंजाल

घोटाले के आरोपों में घिरा नेहरू कॉलेज का पूर्व प्रिंसिपल ओमप्रकाश बना मौजूदा प्रिंसिपल के लिए जी का जंजाल
March 13 15:30 2021

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबादः हरियाणा का उच्च शिक्षा विभाग जवाहर लाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय फरीदाबाद के पूर्व प्रिंसिपल ओमप्रकाश और उनकी लेक्चरर पत्नी मीनाक्षी के खिलाफ मिली शिकायतों पर कुंडली मारकर बैठ गया है। ओमप्रकाश इसी कॉलेज में अब मैथमेटिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर हैं और पत्नी मीनाक्षी हिन्दी की सहायक प्रोफेसर हैं। इसमें ज्यादातर मामले उनके प्रिंसिपल रहने के दौरान के हैं। शिकायत बढ़ी तो हरियाणा सरकार ने ओमप्रकाश को प्रिंसिपल पद से तो हटा दिया लेकिन प्रोफेसर के रूप में उन्हें और उनकी पत्नी की नियुक्ति यहीं पर रखी। इसका नतीजा यह निकाला कि उनकी जगह आए मौजूदा प्रिंसिपल डॉ एम.के. गुप्ता का काम करना मुश्किल हो गया है। आरोप है कि ओमप्रकाश ने मौजूदा प्रिंसिपल को अपनी पत्नी की ओर से फर्जी यौन उत्पीड़न के केस में फंसाने तक की धमकी दे दी है। फरीदाबाद के सेक्टर 16 ए में स्थित इस कॉलेज को नेहरू कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है।

घोटाले की गंभीर शिकायतें
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पूर्व प्रिंसिपल ओमप्रकाश के खिलाफ बड़ी शिकायतों में आर्थिक घोटाले भी शामिल हैं। आरोप है कि ओमप्रकाश ने इग्नू स्टडी सेंटर 1007 के नाम पर 20,33,060 रुपये और 32,14,108 रुपये के चेक अवैध रूप से जारी किए। लेकिन इससे भी ज्यादा संगीन मामला पूर्व प्रिंसिपल ओमप्रकाश के खिलाफ यह है कि इग्नू का कोआर्डिनेटर नहीं होने के बावजूद ओमप्रकाश ने खुद को कोआर्डिनेटर घोषित करते हुए खुद ही सारी मानदेय राशि हड़प ली। इस संबंध में इग्नू ने 28 नवम्बर 2020 को भेजे गए एक पत्र में साफ किया है कि ओमप्रकाश नामक शख्स नेहरू कॉलेज में कभी भी इग्नू का कोआर्डिनेटर नहीं था। इसी तरह ओमप्रकाश पर इग्नू के फंड का गलत इस्तेमाल किए जाने की ढेरों शिकायतें हैं। सूत्रों के मुताबिक इग्नू ने फंड घोटाले में एक जांच कमेटी से ओमप्रकाश के खिलाफ जांच करने को कहा है।
कॉलेज की ओर से 2019-20 की इनकम टैक्स रिटर्न ओमप्रकाश ने रिटायर्ड प्रिंसिपल डॉ प्रीता पवार के नाम से भरी और गैरकानूनी ढंग से ओटीपी मंगाया। इस मामले को डॉ प्रीता पवार ने कॉलेज को एक ज्ञापन भेजकर उठाया। लेकिन ओमप्रकाश ने किसी भी तरह की गलती को नहीं सुधारा।

सरकारी पैसा, घर का काम
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नेहरू कॉलेज में 91 हजार 989 रुपये 62 पैसे और बजाज फर्नीचर का 99,061 रुपये के बिल अभी तक रुके हुए हैं यानी कॉलेज ने इन बिलों का भुगतान रोक लिया। इसका किस्सा रोचक है। सूत्रों का कहना है कि ओमप्रकाश ने बतौर प्रिंसिपल एक पार्टी से अपने घर में फर्नीचर और डेकोरेशन वगैरह का काम इस सरकारी पैसे से कराया। उस फर्म से बिल कॉलेज के नाम पर मांगा गया लेकिन तब तक ओमप्रकाश को हरियाणा सरकार ने पद से हटा दिया था। उनकी जगह नियुक्त प्रिंसिपल डॉ एम. के. गुप्ता को इस बिल की मद में जब कोई काम कॉलेज में नहीं दिखा तो उन्होंने भुगतान रोक दिया। आरोप है कि इसके बाद ओमप्रकाश ने डॉ गुप्ता पर इस बिल का भुगतान करने का दबाव बनाया। उन्होंने डॉ गुप्ता को धमकी दी कि अगर उन्होंने बिल का भुगतान रोका तो वह अपनी पत्नी मीनाक्षी के जरिए उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगातर फंसा देंगे। मौजूदा प्रिंसिपल को इस तरह प्रताड़ित किए जाने का खेल अभी तक जारी है। ओमप्रकाश द्वारा जारी दो चेकों के अवैध भुगतान की वजह से कॉलेज को दो बैंक खातों को सीज कराना पड़ा।

घर से काम के नाम पर खानापूरी
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हरियाणा सरकार ने 20 अक्टूबर 2020 को जब ओमप्रकाश को हटाकर डॉ. एम.के. गुप्ता को नेहरू कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया और ओमप्रकाश और उनकी पत्नी की नियुक्ति इसी कॉलेज में रखी तो ओमप्रकाश ने कोराना से एहतियात बरतने के नाम पर वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) के तहत काम करना शुरू कर दिया। लेकिन यह एक बहाना था। ओमप्रकाश ने एक भी दिन मैथमेटिक्स की आनलाइन क्लास नहीं ली। इससे पहले जब वह कॉलेज के कार्यकारी प्रिंसिपल से थे तो कोराना फैलने के बावजूद कॉलेज आ रहे थे। लेकिन वर्क फ्रॉम होम शुरू करने के बाद कभी आनलाइन नजर नहीं आए। इस संबंध में कॉलेज ने उनके पास कई पत्र भेजे और आनलाइन क्लास लेने का आग्रह किया लेकिन ओमप्रकाश ने किसी पत्र का कोई न तो जवाब दिया और न ही कोई आनलाइन क्लास ही ली।
कॉलेज में गर्भवती टीचरों को कॉलेज आने के लिए मजबूर करने के मामले में पुलिस में ओमप्रकाश और उनकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है। उस समय वह कॉलेज के कार्यकारी प्रिंसिपल थे। इस मामले की जांच राज्य महिला आयोग ने भी की थी लेकिन आयोग ने ओमप्रकाश और उनकी पत्नी के खिलाफ क्या कदम उठाया, उसके बारे में आयोग ने आज तक कोई बयान नहीं दिया। कोई कार्रवाई नहीं होने के वजह से ही दोनों के हौसले बढ़ते चले गए और प्रिंसिपल न रहने के बावजूद मौजूदा प्रिंसिपल का यहां काम करना मुश्किल होता जा रहा है।

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