नौकरियों के नाम पर खट्टर सरकार कर रही है भद्दा मजाक बार-बार भर्ती के लिए निकलते हैं विज्ञापन, फिर रद्द हो जाती है भर्तियां

नौकरियों के नाम पर खट्टर सरकार कर रही है भद्दा मजाक  बार-बार भर्ती के लिए निकलते हैं विज्ञापन, फिर रद्द हो जाती है भर्तियां
January 03 08:16 2021

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: हरियाणा सरकार सरकारी नौकरियों के नाम पर प्रदेश के युवकों से मजाक कर रही है। नौकरी का विज्ञापन निकालो, फीस बटोरो, विज्ञापन कैंसल कर दो। यह सिलसिला कई विभागों में किया गया है। एक तरफ तो हरियाणा पुलिस में करीब 6000 कॉन्स्टेबल पदों के लिए बार-बार विज्ञापन निकाले जा रहे हैं, दूसरी तरफ तमाम विभागों में परीक्षाएं लेने के बावजूद दो-दो साल से नतीजे घोषित नहीं किए जा रहे हैं। कुछ विभागों में तो भर्ती ही नहीं की जा रही है। हरियाणा में सरकारी नौकरी को शादी के लिए सबसे आवश्यक शर्त माना जाता है। जिन युवक-युवतियों की छोटी-मोटी भी सरकारी नौकरी होती है, उनका विवाह होने में आसानी रहती है। लेकिन जो सरकारी नौकरियों से महरूम हैं, वे बेचारे नौकरी के साथ-साथ शादी के लिए भी तरस रहे हैं।

पुलिस भर्ती का झुनझुना

हरियाणा पुलिस में करीब छह हजार पदों के लिए हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग 9 जून 2019 में विज्ञापन जारी किए गए थे। हरियाणा के करीब पांच लाख युवक-युवतियों ने इन पदों के लिए फीस भरकर आवेदन कर दिया और अपनी तैयारी में जुट गए। डेढ़ साल निकल गया लेकिन हरियाणा सरकार और आयोग ने इन लाखों युवक-युवतियों को नहीं बताया कि लिखित परीक्षा कब होगी और आगे की चयन प्रक्रिया किस तरह चलेगी।

अचानक ही आयोग ने 29 दिसम्बर 2020 को एक नोटिस जारी कर सूचना दी कि हरियाणा पुलिस विभाग ने जून 2019 के विज्ञापन को वापस ले लिया है। उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं था कि जो युवक-युवतियों ने 100 रुपये से लेकर 25 रुपये फीस अलग-अलग श्रेणियों में भरकर हरियाणा सरकार के खाते में कई करोड़ रुपये पहुंचा दिए हैं, उसकी वापसी कैसे होगी।

आयोग का नोटिस जैसे ही सार्वजनिक हुआ, आवेदन करने वालों में खलबली मच गई। उन्होंने अपने-अपने इलाकों के विधायकों को फोन करके इस पर आपत्ति जताई और हरियाणा सरकार को बुरा-भला कहा। विधायक भी मुख्यमंत्री से नाराज नजर आए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश पर हरियाणा लोकसंपर्क विभाग ने पांच-छह घंटे बाद ही सरकार का बयान जारी किया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग एक दो दिन में इन भर्तियों के लिए नया विज्ञापन जारी करेगा। इस बार दुर्गावाहिनी पुलिस के लिए महिला कॉन्स्टेबल के लिए भी पद सृजित किए जाएंगे। आयोग ने 31 दिसम्बर को हरियाणा पुलिस में 7298 पदों की सीधा भर्ती के लिए नया विज्ञापन जारी कर दिया। इसमें 5500 पुरुष कॉन्स्टेबल, 1100 महिला कॉन्स्टेबल और 698 महिला कॉन्स्टेबल दुर्गा वाहिनी के लिए भर्ती होनी है। आवेदन करने वालों को 100 रुपये से लेकर 25 रुपये तक अलग-अलग श्रेणियों में फीस भरने को कहा गया है। आवेदन की शुरुआत 11 जनवरी से होनी है और 13 फरवरी 2021 तक फीस जमा होनी है। लेकिन इसमें साफ कहा गया है कि जिन्होंने पिछले विज्ञापन के तहत आवेदन किया था, उन्हें फिर से आवेदन करना होगा और फीस भी जमा करनी होगी। लेकिन कर्मचारी चयन आयोग ने यह साफ नहीं किया है कि भर्ती या किसी तरह की परीक्षा कब होनी है।

अब गौर से देखिए जून 2019 में पुलिस भर्ती का विज्ञापन निकला, आवेदन करने वाले डेढ़ साल तक भर्ती यानी एक उम्मीद का इंतजार करते रहे। अब नए विज्ञापन में भी फरवरी तक तो आवेदन की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद भर्ती की तारीख नोटिफाई होगी और पूरा 2021 का साल इस प्रक्रिया में गुजरने वाला है। लेकिन इस साल यह भर्ती तभी होनी है जब खट्टर सरकार की नीयत साफ हो और इस झुनझुने को वो 2024 तक न लटकाए।

यह तो कॉन्स्टेबलों की भर्ती का मामला है। करीब 400 सब इंस्पेक्टर रैंक में भर्ती के लिए भी विज्ञापन निकाला गया। उसमें कमजोर आय वर्ग के लिए नियमों और आवेदन में कोई स्पष्टता नहीं है। उसकी परीक्षा कब होगी, भर्ती कब होगी, कोई नहीं जानता। यहां तक कि राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अधिकारी भी नहीं जानते।

आबकारी कराधान की नौकरियां कहां गई

पुलिस भर्ती का इंतजार तो खैर हरियाणा के लाखों युवक पिछले चार साल से कर रहे हैं। लेकिन आबकारी कराधान और खाद्य आपूर्ति विभाग के फूड इंस्पेक्टर के लिए तो 2015 में विज्ञापन निकालकर लिखित परीक्षा ली गई। फिर 2017 में इंटरव्यू ले लिए गए। लेकिन 2021 आ चुका है, नतीजे अभी तक नहीं आए। कुल एक हजार लोगों की वैकेंसी है, लाखों लोगों ने आवेदन किया था। इन विभागों में आवेदन करने वाले युवक-युवतियों ने मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया हैंडल पर और सीएम विंडो पर पत्र लिखकर जहर खाने की धमकी तक दी लेकिन खट्टर सरकार जरा भी नहीं पसीजी। खट्टर सरकार बीच-बीच में दावा जरूर करती आ रही है कि उसने नौकरियों में खर्ची और पर्ची का धंधा बंद करा दिया लेकिन तथ्य इसके विपरीत हैं। जहां भर्ती होनी है, सरकार वहां भी कुंडली मारकर बैठ गई है।

संस्कृत ने क्या बिगाड़ा

हरियाणा सहित तमाम भाजपा शासित राज्यों में संस्कृत भाषा को जिन्दा करने की कोशिश की जा रही है। खट्टर सरकार ने सत्ता संभालते ही संस्कृत को स्कूलों में अनिवार्य बनाने और शिक्षकों की भर्ती करने के लिए जोरशोर से प्रचार किया। 2015 में उसने पीजीटी संस्कृत शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला, लिखित परीक्षा ली, लोग चुन भी लिए गए लेकिन किसी भी शिक्षक को अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई। जिन गांवों के युवक पीजीटी संस्कृत शिक्षक के लिए चुने गए हैं, अब वे बेरोजगारी का ठप्पा लगाए घूम रहे हैं। इन लोगों से बाकी विषयों की तरह कोई संस्कृत का ट्यूशन तक नहीं पढ़ता है।

आईटीआई इंस्ट्रक्टर कहां जाएं

हरियाणा में दस साल से आईटीआई संस्थानों में इंस्ट्रक्टर (अनुदेशक) भर्ती नहीं हुए हैं। तमाम लोग रिटायर हो चुके हैं लेकिन उन पदों पर भर्ती नहीं हो रही है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि खट्टर सरकार अब तक तीन बार आईटीआई इंस्ट्रक्टर पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाल चुकी है। ऐसा पिछला विज्ञापन दिसम्बर 2019 में आया था। एक बार खट्टर सरकार पूरा पेपर ही कैंसल कर चुकी है। इन भर्तियों को लेकर तमाम युवक-युवतियों के दस्तावेज तक प्रमाणित करा लिए गए लेकिन एक भी कैंडिडेट को नियुक्ति नहीं मिली। इसे क्या माना जाए। हरियाणा सरकार एक तरह युवकों को प्रशिक्षण देने के लिए कौशल विकास केन्द्र खोल रही है, जहां विभिन्न रोजगारपरक कोर्स का प्रशिक्षण देने का ड्रामा है, दूसरी तरफ आईटीआई में पढ़ाने के लिए इंस्ट्रक्टर नहीं है, जबकि वहां भी रोजगारपरक शिक्षा भारत की आजादी के समय से दी जा रही है।

हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना के तहत 2013 में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने साइंस लैब अटेंडेंट भर्ती किए थे। खट्टर सरकार ने हरियाणा की बागडोर संभालने के लिए 2016 में सैकड़ों साइंस लैब अटेंडेंट हटा दिए। हालांकि इनमें से कुछ सत्तारूढ़ दल के नेताओं से जुगाड़ कर इधर-उधर एडजस्ट हो गए लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर लैब अटेंडेंट बेरोजगार है।

खिलाडिय़ों से भी धोखा

हरियाणा के युवक खेल के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इवेंट में राज्य का नाम रौशन करते हैं। गु्रप डी के तहत 1518 पदों पर खिलाडय़िों की भर्ती की गई। लेकिन अब इन सभी की नौकरियां छीनने की तैयारी है। खट्टर सरकार की नाराजगी इस बात पर है कि ये नियुक्तियां कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने की थी। तभी से 1518 खिलाड़ी सरकार को खटक रहे हैं।

हंसी आती है इन दावों पर

हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने 27 अक्टूबर 2020 को एक लिखित बयान में कहा था कि भाजपा सरकार ने पिछले एक वर्ष में 10,000 लोगों को नौकरियां दी हैं। अगले चार वर्ष में एक लाख नौकरी देने का लक्ष्य हमारी सरकार ने रखा है। हरियाणा भाजपा ने 30 दिसम्बर 2020 को कहा कि 2021 में भाजपा सरकार 30,000 नौकरियां देगी। राज्य के युवक-युवतियों को ऐसे वादे और बयान अब शेखचिल्ली की बातों जैसे नजर आते हैं। उसकी नजर में हरियाणा सरकार नौकरी देने के नाम पर उनका सिर्फ मजाक बना रही है।

यह हकीकत है कि हरियाणा के ज्यादातर युवक-युवती सरकारी नौकरी चाहते हैं। अधिकांश तो शिक्षक भर्ती होकर खुश हो जाते हैं लेकिन वे करें तो करें क्या, हर तरफ खट्टर सरकार नौकरियों को फ्रीज करके बैठ गई है।

दरअसल सरकार नौकरियां देकर कोई अहसान नहीं करती। सरकार केवल रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नौकरियां पैदा नहीं करती। सरकार का जो दायित्व समाज के प्रति बनता है उसे निभाने के लिए जिस सरकारी मशीनरी की जरूरत होती है उसे कायम रखने के लिए नौकरियां दी जाती है। मौजूदा सरकारी मशीनरी में रिक्त पड़े पदों के चलते सारी व्यवस्था जो अस्त-व्यस्त हुई पड़ी है उसके लिए खट्टर एवं मोदी सरकार की यही मानसिकता है।

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