फरीदाबाद की मेयर सुमन बाला मोम की गुडिय़ा साबित हो रही हैं…

फरीदाबाद की मेयर सुमन बाला मोम की गुडिय़ा साबित हो रही हैं…
December 14 11:18 2020

नीलम पुल की मरम्मत मेयर और कमिश्नर बिना टेंडर करा सकते हैं, लेकिन…

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: नीलम पुल के साथ नगर निगम फरीदाबाद (एमसीएफ) के मेयर और आला अफसर खेल कर रहे हैं। डेढ़ महीने हो चुके हैं, सारे शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। हर वक्त हादसे का खतरा अलग से बना हुआ है। अभी तक इस पुल के लिए तीन बार टेंडर निकाले जा चुके हैं लेकिन कोई भी कॉन्ट्रैक्टर टेंडर नहीं उठा रहा है। मीडिया को बस यह जानकारी दी जाती है कि हमने फिर से टेंडर निकाला है लेकिन कोई आ नहीं रहा है। लेकिन दरअसल एमसीएफ इस मामले में शहर की जनता से झूठ बोल रहा है।  नीलम पुल के नीचे 22 अक्टूबर को कबाड़ में आग लग गई थी। इस आग से पुल के एक हिस्से के पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे। उस समय पुल को पूरी तरह बंद कर दिया गया लेकिन कुछ दिनों बाद उसके एक हिस्से को खोल दिया गया। लेकिन एक हिस्सा खोले जाने की वजह से मथुरा रोड से लेकर नीलम पुल के दूसरी तरफ तक भयंकर जाम लगा रहता है। खासकर सुबह और शाम को हालात बिगड़ जाते हैं। एमसीएफ के मुताबिक 25 लाख खर्च करके इस पुल की मरम्मत की जा सकती है लेकिन कोई ठेकेदार टेंडर उठाने को तैयार नहीं है। लेकिन यह सब लीपापोती है।

मेयर या मोम गुडिय़ा

शुरू से ही विवादों में घिरी फरीदाबाद की मेयर सुमन बाला मोम की गुडिय़ा साबित हो रही हैं। वो शहर के विकास को लेकर जरा भी चिन्तित नहीं हैं न ही उनकी सक्रियता शहर के तमाम गतिविधियों में नजर आती है। नगर निगम को दी गई शक्तियों के मुताबिक मेयर के पास एक करोड़ से लेकर ढाई करोड़ तक का काम कराने का अधिकार है। लेकिन अगर वो नीलम पुल के लिए अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं करेंगी तो फिर किस काम के लिए करेंगी। लेकिन मेयर साहिबा एक बार भी मौका देखने नहीं गईं कि जनता वहां से किस हाल में निकलती है। उनका रवैया यह है कि शहर में एमसीएफ अफसर कुछ भी करते रहें, उनसे मतलब नहीं है। न ही वो उसमें देखल देने की ही हिम्मत जुटा पाती हैं। तमाम मामलों में भाजपा के विधायक और मंत्री सीधे टांग अड़ाकर एमसीएफ अफसरों से अपना काम करा लेते हैं और मेयर बस देखती रह जाती हैं।

निगम कमिश्नर को बंद कमरे का शौक

एमसीएफ कमिश्नर यश गर्ग को या तो इस शहर से नफरत है या फिर वो शहर को इस लायक नहीं पाते हैं कि अपने दफ्तर से बाहर निकलकर हालात का जायजा लें। अगर उन्होंने नीलम पुल का जायजा लिया होता तो अब तक इस पुल की मरम्मत हो चुकी होती। कमिश्नर एमसीएफ के पास एक करोड़ का काम कराने का अधिकार है। लेकिन यश गर्ग अपनी कुर्सी पर वो अधिकार लेकर बैठे हैं। मेयर की तरह एमसीएफ कमिश्नर यश गर्ग को भी शहर से कोई लगाव नहीं है। उनके चहेते कर्मचारी और भाजपा के चंद नेता जो कहते हैं, कमिश्नर उसी हिसाब से चलते हैं। शहर के किसी भी प्रोजेक्ट में उन्होंने अपने दिमाग का इस्तेमाल आज तक नहीं किया। एमसीएफ मुख्यालय में कई दफ्तर जर्जर हालत में हैं, कुछ में न जाने कितने वक्त से सफेदी तक नहीं हुई लेकिन अगर कमिश्नर ने अपने ही मुख्यालय का मुआयना किया होता तो शायद यह हाल न होता।

इनके पास भी हैं अधिकार

मेयर और कमिश्नर के अलावा इंजीनियरिंग, सिविल और अन्य विकास कार्य के लिए ज्वाइंट कमिश्नर एक महीने में अधिकतम 10 लाख और कार्यकारी अभियंता एक महीने में अधिकतम दो लाख के काम सीधे करा सकते हैं। लेकिन कार्यकारी अभियन्ता 25 लाख तक और अधिशासी अभियंता 25 लाख से 50 लाख तक और चीफ इंजीनियर 50 लाख से ऊपर का रेट होने पर कॉन्ट्रैक्टर से बातचीत कर सकते हैं। एक तरह से इन अधिकारियों के पास भी नीलम पुल की मरम्मत जैसा महत्वपूर्ण काम कराने का अधिकार है। लेकिन चूंकि इनके ऊपर कमिश्नर और मेयर हैं तो ये अधिकारी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते। इन्हें पूछना पड़ेगा। जिनकी अफसरों की आला अफसरों से सेटिंग होती है, उन्हें पूछने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

कौन रोक रहा है नीलम पुल के काम को

दरअसल, फरीदाबाद की जनता की लाइफलाइन बन चुके इस पुल की मरम्मत की आड़ में एमसीएफ के अफसरों की नजर कहीं और है। वे चाहते हैं कि विधायक और मंत्री राज्य के मुख्यमंत्री पर दबाव बनाएं। ऊपर से इस काम को कराने का आदेश आये और वे एक बड़ी धनराशि का काम कराकर इस पुल को चालू करा दें। एमसीएफ के आला अफसर चाहते हैं कि इस पर राजनीतिक निर्णय हो। उन्हें जनता की तकलीफ से मतलब नहीं है। फरीदाबाद के कम से कम तीन विधायकों और एक अदद केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर और उनके बेटे सीनियर डिप्टी मेयर देवेन्द्र चौधरी का इस पुल से सीधा सरोकार है लेकिन इनमें से किसी नेता ने भी इस पुल की मरम्मत यथाशीघ्र कराने के बारे में मेयर और कमिश्नर से बात नहीं की। बडखल की विधायक सीमा त्रिखा को एनआईटी इलाके के अवैध निर्माणों की चिन्ता है तो ओल्ड फरीदाबाद के विधायक नरेन्द्र गुप्ता को सेक्टरों के पार्कों की और एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा को फैक्ट्री गेट पर मीटिंग करने और सोहना रोड की राजनीति करने से फुर्सत नहीं है। इन्होंने भी नीलम पुल के लिए आवाज बुलंद नहीं की।

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