डीसी ने शिकायत पर लिया एक्शन
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: बी.के. अस्पताल की लिफ्ट को फरीदाबाद के डीसी ने अब शाम 6 बजे के बाद भी चलाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, एक मरीज के तीमारदार ने सोशल मीडिया पर डीसी फरीदाबाद यशपाल यादव को टैग करते हुए इस बारे में शिकायत की थी। डीसी ने उसकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए बीके अस्पताल के अधिकारियों को वहां की लिफ्ट शाम 6 बजे के बाद भी चालू रखने के निर्देश दे दिए।
एक मरीज के तीमारदार ने अपने 62 साल के पिता का दर्द बयां करते हुए डीसी को बताया था कि उसके पिता की किडनी खराब है। इसके अलावा उन्हें डिस्क की समस्या भी है। उसे पिता का डायलिसिस कराने के लिए कई बार बीके अस्पताल आना पड़ता है। उसके पिता अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर चढ़ और उतर नहीं सकते। डायलिसिस के बाद कमजोरी आ जाती है। इन हालात में कोई मरीज कैसे सीढय़िों से नीचे आ सकता है। उसे अपने पिता को गोदी में उठाकर नीचे लाना पड़ता है। चूंकि बी.के. अस्पताल की लिफ्ट 6 बजे बंद हो जाती है तो शाम 6 बजे के बाद जिन मरीजों को ऊपर से नीचे आना होता है, उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन मरीजों और उनके तीमारदारों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है। जब किसी वीआईपी का मूवमेंट होता है तो यह लिफ्ट दिन-रात चलती है।
बहरहाल, डीसी ने उस मरीज के तीमारदार को भरोसा दिया है कि अब बीके अस्पताल की लिफ्ट शाम 6 बजे के बाद भी चलेगी। ताकि देर रात किसी मरीज को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। देखना यह है कि अस्पताल प्रशासन डीसी के निर्देश पर कितना अमल कर पाता है।
रात में नहीं रहते हैं सीनियर डॉक्टर
बीके अस्पताल में अच्छे और सीनियर डॉक्टर सिर्फ दिन में ड्यूटी करते हैं। रात में सीनियर डॉक्टर तलाशने पर भी नहीं मिलते। किसी मरीज की हालत नाजुक होने पर सारी जिम्मेदारी नर्सों पर आ जाती है। ज्यादातर नर्सें अपनी क्षमता के मुताबिक बेहतर ढंग से मरीज की नाजुक हालत को संभालती हैं लेकिन अगर उन्हें किसी सीनियर डॉक्टर को बुलाना पड़े तो डॉक्टर साहब का फोन बन्द मिलता है। ऐसे डॉक्टर या तो प्राइवेट मरीज को देख रहे होते हैं या फिर अपना जनसंपर्क बनाने में जुटे रहते हैं। कभी कोई रसूखदार मरीज फंसा तो ऐसे डॉक्टर उसके घर तक उसे देखने पहुंच जायेंगे।
मंत्री नहीं कराते सरकारी अस्पताल में इलाज
मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने बीके अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों को नजरन्दाज कर रखा है। ये लोग खुद भी अपना इलाज कराने सरकारी अस्पतालों में नहीं जाते। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की जब पिछले दिनों टांग टूटी थी तो वो अपना इलाज अम्बाला के किसी सरकारी अस्पताल में कराने की बजाय पंजाब के प्राइवेट अस्पताल में कराने पहुंच गए थे। इसी तरह मुख्यमंत्री खट्टर बीमार पड़े तो वह अपना इलाज गुडग़ांव के प्राइवेट मेदांता अस्पताल में कराने जा पहुंचे। फरीदाबाद में रह रहे केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर अपना इलाज या तो एशियन अस्पताल या फोर्टिस अस्पताल में कराते हैं। फरीदाबाद में रह रहे मंत्री मूलचंद शर्मा भी प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराते हैं। ऐसे में जब सरकार के मंत्री ही सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए नहीं जाते तो इन अस्पतालों की हालत कैसे ठीक रहेगी।