हरियाणा-पंजाब के बाद अब यूपी के किसान भी दिल्ली कूच के लिए हुए लामबंद…

हरियाणा-पंजाब के बाद अब यूपी के किसान भी दिल्ली कूच के लिए हुए लामबंद…
December 02 07:46 2020

किसानों से युद्ध लड़ रही है मोदी-खट्टर सरकार, आधी

रात को हाईवे खोदा, अन्नदाता पर पानी की बौछारें

 

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: काले कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच को निकले पंजाब और हरियाणा के किसानों को हरियाणा में जगह-जगह रोक कर राज्य सरकार के आदेश पर न सिर्फ पीटा गया, बल्कि इस ठंड के मौसम में उन पर ठंडे पानी की बौछारें भी की गईं। किसान अपने मकसद में कामयाब रहे। गोदी मीडिया के दुष्प्रचार के बावजूद देशभर में उनका संदेश पहुंच गया। सरकार के जुल्म का अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि दिल्ली बॉर्डर के पास राई (सोनीपत) में गुरुवार देर रात ठंडे पानी की बौछारें की गईं। हालांकि दिनभर चले प्रदर्शन की वजह से थके-हारे किसान रात बिताना चाहते थे और शुक्रवार सुबह दिल्ली कूच करना चाहते थे लेकिन उन पर बेरहमी से ठंडी रात में पानी की बौछारें डाली गईं। आधी रात को किसानों को पीटने की घटनाएं हरियाणा के कई कस्बों में हुईं हैं। हरियाणा में किसानों पर जुल्म की इंतेहा पार करने के विरोध में यूपी के किसान नेता और स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत ने भी यूपी में शुक्रवार से किसानों को उतरने का आह्वान कर दिया है। देशभर में हरियाणा की घटनाओं को लेकर किसान संगठनों के प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। सीपीआई (एमएल) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने किसानों पर पानी बरसाने के वीडियो को ट्वीट कर लिखा-क्या यह कुरुक्षेत्र का नया युद्ध है? बीजेपी सरकार भारत के किसानों के साथ युद्ध लड़ रही है।

अंग्रेज को भी मात कर दिया

किसानों का दिल्ली मार्च रोकने के लिए खट्टर सरकार ने पुलिस अफसरों को खुला हाथ दे रखा था। अंग्रेजी शासनकाल में जिस तरह आंदोलन को दबाया जाता था, उससे भी कई गुना आगे जाकर किसानों के आंदोलन को पुलिसिया बूटों तले रौंदने की कोशिश की गई। तीन तरफ से दिल्ली की सीमाओं से लगे हरियाणा पर किसानों को रोकने की सारी जिम्मेदारी डाली गई थी। केन्द्र सरकार का खट्टर सरकार को साफ आदेश था कि एक भी किसान दिल्ली में न आये। किसानों को रोकने के लिए दिल्ली के बॉर्डरों पर पैरा मिलिट्री फोर्स तक लगा दी गई लेकिन हरियाणा सरकार ने रणनीति यह बनाई थी कि किसानों को जीन्द, रोहतक, शम्भू बॉर्डर, सोनीपत, करनाल, पानीपत आदि शहरों में ही रोक लिया जाए। पहले चरण में 23-24 नवम्बर को हरियाणा में बड़े पैमाने पर किसान नेता गिरफ्तार कर लिए गए।

लेकिन किसान संगठनों की अपनी रणनीति थी। उसी के तहत किसान अपने ट्रैक्टर और अन्य सवारियां लेकर निकल पड़े। इसके बाद सरकार फौरन हरकत में आ गई और सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी करते हुए किसान जहां-जहां तक पहुंच चुके थे, उनको वहीं रोककर पीटा जाने लगा और पानी की बौछारें की गई। हर कस्बे में किसानों की पिटाई का पैटर्न एक जैसा ही था।

दिल्ली आ रहे पंजाब के किसानों को रोकने के लिए हरियाणा से लगते बॉर्डर सील कर दिए गए। गुरुवार सुबह पंजाब के किसान पटियाला अंबाला हाईवे पर किए गए बैरिकेड को तोड़ते हुए और वाटर कैनन व आंसू गैस के गोले झेलते हुए आगे बढ़े। जब ये किसान हरियाणा के सादोपुर पहुंचे तो इन्हें एक बार फिर वाटर कैनन की बौछारें झेलनी पड़ीं। लेकिन यह काफिला रुका नहीं, आगे बढ़ता ही रहा। गुडग़ांव में योगेंद्र यादव ने किसान मोर्चा को दिल्ली कूच के लिए बुलाया था, लेकिन वहां पहुंचे सभी लोगों को हिरासत में ले लिया गया। हरियाणा में धारा 144 एक दिन पहले ही लागू कर दी गई थी। जयपुर दिल्ली हाइवे से हरियाणा में घुसने पर राजस्थान के सैकड़ों किसानों को हिरासत में लिया गया  और उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।

मीडिया की शर्मनाक भूमिका

आमतौर पर जनता के आंदोलनों में बड़ी भागीदारी को देखते हुए गोदी मीडिया के चैनल भी रंगे सियार की तरह उन आंदोलन की कवरेज करते रहे हैं। लेकिन इन आंदोलनों में ऐसे चैनलों ने अपना वो लबादा भी उतार फेंका है। एनडीटीवी और विदेशी बीबीसी को छोडक़र भारत के सारे चैनल किसानों के आंदोलन की उल्टी खबरें दिखा रहे थे। टीवी के टॉप दलाल ऐंकरों रुबिका लियाकत, दीपक चौरसिया, अमीष देवगन, अंजना ओम कश्यप, रोहित सरदाना, सुधीर चौधरी, पद्मा जोशी, नाविका कुमार आदि अपने-अपने चैनलों पर यह बहस कर रहे थे कि किसानों को बहला-फुसलाकर दिल्ली कूच के लिए किस पार्टी ने तैयार किया है।

उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा दिया। बीबीसी संवाददाता आधी रात को राई पहुंच गया और उसका लाइव कवरेज लगातार जारी है। बीबीसी ने और स्वतंत्र पत्रकारों ने आधी रात को ही किसानों पर ठंडे पानी के बौछार की सूचनाएं सार्वजनिक कर दीं। लेकिन आजतक, एबीपी न्यूज, जी न्यूज, रिपब्लिक भारत, टाइम्स नाऊ, इंडिया टुडे, न्यूज नेशन ने इस तरह की कोई खबर देर रात नहीं दिखाई।

 

 

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles