संगठन के अभाव में मज़दूर बिखरे
फरीदाबाद, (म.मो.): सेक्टर 24 स्थित लखानी शू कंपनी में कर्मचारियों ने बोनस के मुद्दे पर बग़ावत कर दी लेकिन कंपनी मालिक ने उनके आंदोलन को कुचल दिया है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 का बीस फ़ीसदी की जगह दस फ़ीसदी बोनस देना मंज़ूर किया है। इस कंपनी में मज़दूर संगठन का अभाव है, इसलिए कर्मचारी अपने हक की लड़ाई लडऩे की जगह बिखर गये। इस बीच कंपनी ने दिवाली की छुट्टी घोषित कर उनके आंदोलन से अपना पीछा छुड़ा लिया है।
कंपनी के लगभग 3000 कर्मचारी कंपनी गेट पर धरना प्रदर्शन करते हुए इकठ्ठा हो गए और काम बंद कर दिया। कर्मचारियों की भीड़ 11 नवम्बर रात से ही कंपनी के गेट पर जमा थी। कंपनी ने बिना किसी नोटिस के हमेशा से मिलने वाले डबल बोनस को काट कर 10 प्रतिशत कर दिया। पिछले साल का बोनस इस साल देना है फिर भी कंपनी दिवाली आ जाने के बाद भी बोनस नहीं दे रही। आज से 15 दिन पहले तक कंपनी ने पूरा बोनस देने की बात की थी। पर अचानक ही कंपनी ने बिना किसी नोटिस के बोनस काट लिया। मजदूरों ने बताया कि कंपनी ने पुलिस को पैसे देकर अपने पक्ष में भारी संख्या में बुला लिया और पुलिस लाठीचार्ज कर मजदूरों पर दबाव बनाना चाहती है। क्योंकि महिला कर्मचारियों ने मोर्चा संभाला हुआ है इसलिए पुलिस मजबूरन ऐसा नहीं कर पा रही।
जबकि पुलिस ने बताया कि उन्हें लॉ एंड ऑर्डर बनाये रखने की ड्यटी दी गई है। भारी संख्या में पुलिस बल कंपनी के भीतर डट गया है ताकि मजदूरों पर दबाव बन
सके।
कंपनी में चार साल से काम कर रहे मौसम सिंह ने बताया कि कोरोना के नाम पर बिना नोटिस बहुत से कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। इसके बावजूद कर्मचारियों ने कोई हंगामा नहीं किया। पर अब कर्मचारी पिछले साल का बोनस भी न पायें तो यह तो अन्याय है। कंपनी ने कोरोना का बहाना करके अगर इस साल का बोनस नहीं दिया तो एक बार समझा जा सकता है पर ये मांग पिछले साल के बोनस के लिए है।
कंपनी में ही काम करने वाले संजय की नाराजगी कंपनी द्वारा कर्मचारियों के साथ की जाने वाली वादाखिलाफी से है। उन्होंने बताया कि पिछले साल एडीडास नामक बड़ी कंपनी से लखानी को ऑर्डर मिला और लखानी को एडीडास ने पूरा पेमेंट भी कर दिया है। इसके बावजूद अब लखानी मजदूरों के नाम का पैसा लेकर भी उनको उनका पैसा नहीं दे रही है। जबकि वर्कआर्डर और बोनस दोनों ही पिछले साल का है। कोरोना तो मार्च से आया है जिससे उसका कुछ भी लेना देना नहीं है।
प्रबंधकों ने एक अन्य न्यूज चैनल को बताया है कि क्योंकि कंपनी को बीते वर्ष मुनाफा नहीं हुआ है फिर भी कंपनी 8.33 प्रतिशत के बोनस को 10 प्रतिशत करके दे रही है।। इस मामले में बैलेंस शीट लेबर विभाग को कल दिखा दी जाएगी।
फिलहाल कर्मचारी प्रबंधन की इस दलील को सिरे से खारिज कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बोनस से लेबर विभाग का कोई सरोकार नहीं है। कुछ का मानना है कि सरकारी तंत्र भी इन्ही पूंजीपतियों की जेब में बैठ कर उन्ही की भाषा बोलता है सो उन्हें प्रशासन पर भरोसा नहीं। देव ने बताया कि मजदूरों में फूट डालने के लिए कंपनी ने फेक्टरी परिसर के अन्दर रह गए मजदूरों को कहा कि जो बाहर हैं अब वो बाहर ही होंगे और जो भीतर हैं वो भीतर। मतलब जिसको काम करना है वो अपनी नौकरी बचाये रखने के लिए बाहर प्रदर्शन कर रहे मजदूरों का साथ न दे।
फिलहाल खबर लिखे जाने तक मजदूर एकजुट होकर अपनी माँग पर अड़े हुए हैं और कंपनी गेट पर बड़ी संख्या में जुट कर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। इस प्रदर्शन की खास बात ये है कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूर एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि किसी प्रकार की यूनियन इसमें शामिल नहीं थी, फिलहाल कई मजदूर संगठनों ने इस प्रदर्शन को अपना समर्थन देते हुए इसमें शिरकत भी की है।