नेहरू कॉलेज फरीदाबाद में नये प्रिंसिपल की नियुक्ति
फरीदाबाद (म.मो.) गतांक में प्रकाशित किया गया था कि किस तरह एक नाकारा व्यक्ति को इतने बड़े कॉलेज के प्रिंसिपल की कुर्सी पर थोप दिया गया था और इस कुर्सी पर बैठ कर वे क्या गुल खिला रहे थे। खबर प्रकाशित होने के मात्र 48 घंटे में इस कॉलेज को महेंद्र कुमार गुप्ता के रूप में नियमित प्रिंसिपल मिल गया है। इस से पहले वे नवनिर्मित कई छोटे से महिला कॉलेजों में तैनात रहे हैं।
खबर प्रकाशित होने से पीडि़त प्रिंसिपल की कुर्सी पर पहले से बैठे ओम प्रकाश रावत ‘मोर्चा सम्पादक’ के पास पहुंचे और जानने का प्रयास किया कि उनके विरुद्ध ‘झूठे आरोप’ किसने लगाये हैं?
नये प्रिंसिपल एम के गुप्ता के बारे में उनका कहना था कि उनके विरुद्ध तो पहले से ही काफी शिकायतें हैं और वे मोहना से आते वक्त अपना चार्ज भी यूं ही किसी को दे आये। रावत शायद नहीं जानते कि चार्ज किसको दिया जाना है यह मुख्यालय से ही तय होकर आता है। आमतौर पर प्रिंसिपल अपनी मर्जी से किसीको चार्ज नहीं दे सकता। रही बात गुप्ता के विरुद्ध शिकायतों की तो जब भी उनके विरुद्ध कुछ भी जानकारी में आयेगा तो उसे अवश्य प्रकाशित किया जायेगा।
बार-बार अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करने व खबर का स्रोत जानने के प्रयास में लगे रावत को सम्पादक ने ‘मज़दूर मोर्चा’ की कार्य शैली बताते हुए कहा कि यहां किसी के कहने सुनने पर खबर नहीं लगती पूरी जांच-पड़ताल के बाद एवं पुष्टि करने के बाद ही खबर लगाई जाती है। इस मामले में भी ‘मोर्चा’ टीम ने कॉलेज स्टाफ के करीब दो दर्जन लोगों से बात-चीत करके पूरी सच्चाई खोजने के बाद ही खबर प्रकाशित की थी।
उधर कॉलेज की ही प्रोफेसर रूचिरा खुल्लर ने सम्पादक से फोन पर सम्पर्क करके शिकायत की कि अखबार ने उनका पक्ष जाने बिना ही उनके बारे में झूठी बातें लिख दी हैं। प्रोफेसर रूचिरा की रूचि भी मज़दूर मोर्चा की खबर का स्रोत जानने में ज्यादा थी। उनको भी बताया गया कि मज़दूर मोर्चा पुष्टि करने के बाद ही खबर छापता है और अगर उनको इस बारे में कुछ भी कहना है तो वह मज़दूर मोर्चा को लिखित में भेज दें, मोर्चा उसको शब्दश: प्रकाशित कर देगा।