दलित लडक़ी की मां ने मानवाधिकार आयोग टीम से कहा -पुलिसवालों ने बेटी की इज्जत से खेला
सोनीपत: राष्ट्रीय मानवाधिकार (एनएचआरसी) की टीम ने बुटाना पुलिस चौकी में हुए गैंगरेप कांड की जांच शुरू कर दी है। तीन सदस्यीय टीम ने बुटाना में न सिर्फ गैंगरेप की शिकार लडक़ी, बल्कि गांव वालों, सरपंच और पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए।
एनएचआरसी टीम के विमल ने मजदूर मोर्चा को बताया कि हमारी जांच अभी भी जारी है। लेकिन हम अपने नतीजे की जानकारी अभी मीडिया को नहीं दे सकते। हमारी टीम बहुत जल्द आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगी।
मजदूर मोर्चा इस मामले को लगातार उठा रहा है। पिछले दो अंकों में प्रकाशित बुटाना मामले का संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी टीम जांच करने के लिए पहुंची। इसके अलावा चंडीगढ़ से भी कई एनजीओ और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की टीम ने भी बुटाना आकर मामले की पड़ताल की। टीम ने करनाल जेल में लड़कियों से भी मुलाकात व पूछताछ के साथ ही उनकी मेडिकल जांच करायी। इस मामले में सबसे ज्यादा हिम्मत लडक़ी की मां ने दिखायी है। उसने न सिर्फ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम को बल्कि चंडीगढ़ से आई टीम को वही बयान दिया, जो उसने मजदूर मोर्चा को दिए हैं।
पीड़िता की माँ
लडक़ी की मां ने फिर स्पष्ट तौर पर कहा कि उसकी बेटी के साथ बुटाना पुलिस चौकी के अंदर 10-12 पुलिस वालों ने गैंगरेप किया। कार्रवाई के नाम पर बुटाना पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है, लेकिन बुटाना पुलिस चौकी का इंचार्ज संजय अभी भी अपनी कुर्सी पर कायम है।
29-30 जून की मध्य रात्रि बुटाना गाँव में दो पुलिस वालों की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के आरोप में पुलिस ने 30 जून को ही तथाकथित एनकाउंटर में अमित नामक युवक को मार दिया था। पुलिस दबाव में दोनों लड़कियों में से एक की माँ ने अपनी नाबालिग लडक़ी को पुलिस को सौंपा था। बाद में लडक़ी की माँ ने चार दिन तक अपनी नाबालिग लडक़ी से 12 पुलिस वालों के द्वारा कस्टडी में गैंगरेप का भी आरोप लगाया था। लड़कियों की मां की शिकायत पर महिला थाना सोनीपत में राज्य महिला आयोग के निर्देश पर एक लूली-लंगड़ी एफआईआर दर्ज की गई। मजदूर मोर्चा की रिपोर्ट पिछले अंक में या मजदूर मोर्चा की वेबसाइट पर पढ़ी जा सकती है।
बुटाना कांड के बाद इस घटना पर सबसे पहली प्रतिक्रिया आम आदमी पार्टी ने देते हुए मारे गए पुलिस वालों को शहीद का दर्ज देने की मांग की थी। लेकिन मोर्चा की रिपोर्ट पढऩे के बाद हरियाणा आप पार्टी प्रभारी एवं राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने कहा कि उनकी पार्टी ने तथ्यों के अभाव में बेशक ये कहा था पर ज्यों-ज्यों अब बात खुल कर सामने आ रही है, हम सरकार से मांग करते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी पीड़ित लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बरोदा उपचुनाव की मजबूरियां
इस मामले में छात्र एकता मंच और नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता पिछले कई महीनों से पीड़ित लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत है। लेकिन बरोदा में उपचुनाव होने के कारण जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर सरकार व पूरी मशीनरी मामले को दबाने में जुटी है। अब इस मामले में कई संगठन आ जुड़े हैं, जिनके साथ मिलकर छात्र एकता मंच व नौजवान भारत सभा 29 अक्टूबर को सोनीपत में एक भारी विरोध प्रदर्शन करके पीड़ित लड़कियों के लिए न्याय की मांग करने जा रहे हैं।
उधर, प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर नए तथ्यों के सामने आने के बाद भी मारे गए पुलिसकर्मी कप्तान सिंह जो आर्मी से रिटायर होकर पुलिस में एसपीओ लगा हुआ था, को भी शहीद का दर्जा देने की घोषणा कर रहे हैं। इसके पीछे स्पष्ट कारण दिख रहा है कि जाट बहुल बरोदा हलके में मारे गए पुलिसकर्मी जो जाट थे, को अपराधी मानकर जाट वोट नहीं खोना चाहते हैं। उनके लिए पीड़ितों को न्याय देने से ज्यादा चुनावी जीत अधिक महत्वपूर्ण है। बता दें कि पीड़ित लडक़ी की मां साफ तौर पर कह रही है कि पुलिसकर्मी कप्तान सिंह ने उनकी लडक़ी से बलात्कार की कोशिश भी की, जिसमें वह अमित के हाथों मारा गया। बेशक पुलिस महकमा दोनों पुलिसकर्मियों को शहीद बता रहा है लेकिन लडक़ी की मां और तथ्यों की गहराई में जाने पर संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पुलिसकर्मी उस समय मारे गए, जब गाड़ी के अंदर बैठी लडक़ी के साथ किसी तरह की घटना को अंजाम देने की कोशिश की गई। बाद में बुटाना गांव से कुछ अन्य लड़कियों को पुलिस द्वारा उठाने के मामले और उनके साथ हुए सुलूक से भी इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि बुटाना पुलिस के कुछ पुलिसवालों ने न सिर्फ इन दोनों लड़कियों बल्कि गांव की अन्य उठाई गई लड़कियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जिन्हें बाद में पांच किलो घी देकर चुप करा दिया। इनमें ज्यादातर लड़कियां दलित परिवारों से हैं।
क्यों किया एनजीओ टीम का पीछा
मानवाधिकार आयोग की टीम के अलावा चंडीगढ़ से बेखौफ आजादी एनजीओ की महिला सदस्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी बुटाना इस मामले की जांच करने और पीड़ित परिवार की आवाज उठाने के लिए पहुंचे। इस टीम ने बुटाना पुलिस चौकी में संजय का बयान लिया और उन्होंने पहले की ही तरह तमाम आरोपों को गलत बताया। इसके बाद यह टीम जब बरोदा पुलिस थाने जाने लगी तो संजय ने सिविल ड्रेस में उनका पीछा किया। बीच रास्ते में जब एनजीओ के लोगों ने अचानकर रोककर संजय से इस तरह पीछा किये जाने की वजह पूछी तो उसने कहा कि वह भी बरोदा थाने जा रहा है। इस पर एनजीओ टीम ने कहा कि क्या वह सिविल ड्रेस में थाने जा रहा है, उसकी वर्दी कहां है तो इस बात का संजय कोई जवाब नहीं दे सका। बता दें कि संजय बुटाना चौकी इंचार्ज है और पीड़ित दलित लडक़ी ने गैंगरेप करने का आरोप जिन पुलिसकर्मियों पर लगाया है, उसमें संजय का नाम भी शामिल है।
एनजीओ ने नौजवान भारत सभा से जुड़ी महिला नेत्री प्रवेश कुमारी और लडक़ी की मां का बयान लिया। इन लोगों ने भी गांव वालों से बातचीत की। प्रवेश कुमारी ने अपने बयान में कहा कि गैंगरेप की शिकार लडक़ी की मां ने बुटाना पुलिस चौकी के कुछ पुलिसकर्मियों पर गैंगरेप के आरोप लगाए हैं। इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद जिला प्रशासन और सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले में सारे तथ्य स्पष्ट हैं और वे पुलिसकर्मियों की बेगुनाही का सबूत नहीं देते हैं। इस मामले में पुलिस वालों ने कदम-कदम पर जुल्म किए हैं। जब तक उन पर कार्रवाई नहीं होती है, तब तक उनका संगठन चैन से नहीं बैठेगा। प्रवेश कुमारी ने कहा कि चूंकि लडक़ी दलित है, इसलिए इस मामले को दबाया जा रहा है।
भीम आर्मी ने किया किनारा
हेलीकाप्टर से चलने वाले चंद्रशेखरगरीबों की आवाज़ नहीं सुन पा रहे
इस मामले में भीम आर्मी का पक्ष जानने के लिये जब उनके फरीदाबाद से एक नेता अंकुर सागर से उनके अध्यक्ष चन्द्रशेखर का फोन नम्बर लेने के लिये सम्पर्क किया गया तो उन्होंने अध्यक्ष चन्द्रशेखर का फोन नम्बर देने की बजाय शिकायत की कि आपने भाई चन्द्रशेखर के बारे में अपनी पिछली रिपोर्ट में कैसे लिख दिया कि वो इसलिये चुप बैठे हैं क्योंकि इस मामले में प्रसिद्धि नहीं मिलनी। बता दें कि इस मामले पर सोनीपत में धरना प्रदर्शन करने वाले युवाओं ने भीम आर्मी के स्थानीय नेताओं से सम्पर्क किया था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुये मना कर दिया था कि इसमें तो लडक़ी की ही गलती थी-वो रात में वहां क्यों गई थी? यानी उनकी और बीजेपी/आरएसएस की मानसिकता में कोई अन्तर नहीं है। क्या दलित महिलायें ऐसे लोगों से अन्याय के विरुद्ध संघर्ष में अपने साथ खड़े होने की उम्मीद कर सकती है?
अंकुर सागर ने मज़दूर मोर्चा को अगले दिन बताया कि भाई चन्द्रशेखर 31 तारीख को सोनीपत चुनाव में प्रचार करने के लिये आयेंगे जहां उनसे मिला जा सकता है। जब उनको बताया गया कि शुक्रवार को तो हमें ये खबर छापनी है तो उन्होंने भीम आर्मी/आजाद समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी से बात करने के लिये उनका नम्बर भेजा था। लेकिन मैसेज में नम्बर नहीं पहुंच पाने के कारण उनसे बात नहीं हो सकी।