क्राउन इंटीरियर्स मॉल का ध्वनि प्रदूषण अशोका एन्क्लेव पर पड़ रहा भारी
बिल्डर सिंडीकेट चलाने वाले आर.एस. गांधी के रसूख के आगे नहीं चलती सरकारी एजेंसियों की
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: शहर का एक बिल्डर सरकार के आदेशों को ताक पर रखकर अपने मॉल में खुलेआम नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहा है। लेकिन तमाम सरकारी एजेंसियां मूक दर्शक बनी हुई हैं। सरायख्वाजा के पास मथुरा रोड पर बने क्राउन इंटीरियर मॉल के ध्वनि प्रदूषण ने अशोका एन्क्लेव पार्ट 3 के लोगों की जिन्दगी में जहर घोल दिया है। यहां के लोगों ने नगर निगम से लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक अपनी शिकायतें पहुंचाई हैं लेकिन किसी भी एजेंसी ने कोई एक्शन नहीं लिया है।
प्रशासन की क्या औकात
क्राउन इंटीरियस मॉल के ठीक पीछे अशोका एन्क्लेव पार्ट 3 के करीब 500 से ज्यादा घर हैं। क्राउन के मालिकों ने मॉल के पिछले हिस्से में बड़े वाले पावर जनरेटर लगा रखे हैं। जिसका शोर इतना ज्यादा होता है कि इस इलाके के लोग काफी परेशान हैं।
जब यह शोर उठता है तो खासतौर पर उन मरीजों की हालत बुरी हो जाती है जो अस्थमा वगैरह से पीडि़त हैं। यहां लगे पावर जनरेटर ध्वनि प्रदूषण के अलावा वायु प्रदूषण भी कर रहें हैं। यहां की आरडब्व्यूए ने समय-समय पर इस मामले को बहुत उठाया लेकिन सरकार की किसी एजेंसी ने कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी चुप होकर बैठ गए। बीच में क्राउन के संचालकों ने तमाम ऐसे तरह के कार्यक्रम किए, जिसमें पुलिस के आला अफसरों से लेकर प्रशासनिक अफसरों को बुलाया। इससे अशोका एन्क्लेव पार्ट 3 के लोगों को यह संदेश दिया गया कि सरकार और प्रशासन उनके साथ है। आरडब्ल्यूए उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
इसी हफ्ते इस मॉल के खिलाफ फिर से शिकायत की गई। इस शिकायत को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक पहुंचाया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तो एमसीएफ (नगर निगम फरीदाबाद) को इस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। लेकिन एमसीएफ ने केंद्रीय बोर्ड को कोई तवज्जो नहीं दी। क्राउन की ध्वनि प्रदूषण के नाम पर की जा रही गुंडागर्दी को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, फरीदाबाद पुलिस समेत तमाम एजेंसियां हैं जो कार्रवाई कर सकती हैं।
सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि क्राउन इंटीरियर्स मॉल ने 2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में अपनी जो रिपोर्ट जमा कराई थी, उसमें क्राउन की तरफ से साफ साफ कहा गया था कि उनकी ओर से सौ फीसदी पावर बैकअप यहां खुलने वाले तमाम आउटलेट्स को दिया जाएगा। सौ फीसदी पावर बैकअप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर ध्वनि और वायु प्रदूषण की क्या स्थिति होगी।
क्राउन मैनेजमेंट पर दोनों ही मॉल्स में एफएआर नियमों को तोडऩे का आऱोप है। लेकिन एमसीएफ उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर सका। गरीब की झुग्गियां तोडऩे वाले एमसीएफ को बड़े बिल्डरों के कारनामे नहीं दिखाई देते।
बिल्डर आर. एस. गांधी के आगे प्रशासन बौना
वकील से बिल्डर बने आर.एस. गांधी ने शहर के कुछ प्रॉपर्टी डीलरों को साथ लेकर पहले अजरौंदा के पास क्राउन प्लाजा मॉल खड़ा किया। इसके बाद सरायख्वाजा के पास मथुरा रोड पर क्राउन इंटीरियर्स मॉल खड़ा किया। बिल्डर गांधी के सिंडीकेट में सीए, एक पूर्व डीटीपी, एक डॉक्टर (अब स्वर्गीय), दाल-चावल बेचने वाला लाला आदि समेत कई हिस्सेदार शामिल थे, लेकिन सिंडीकेट का चेयरमैन आर.एस. गांधी ही है। क्राउन के दोनों मॉल की पहचान आर.एस. गांधी के नाम से ही है। दोनों ही मॉल पर जब भी किसी सरकारी कार्रवाई की कोशिश होती है, सामने यही गांधी आता है। अशोका एन्क्लेव पार्ट 3 की आरडब्ल्यूए ने जब ध्वनि प्रदूषण को लेकर इस मॉल के खिलाफ मोर्चा खोला तो तब भी यही आर.एस. गांधी सामने आया था।
गांधी काफी रसूखदार है। कई आईएएस अफसर जेब में रखने का दावा करने वाले इस बिल्डर की वजह से फरीदाबाद नगर निगम दोनों मॉल्स पर कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। कुछ साल पहले इस शख्स को पुलिस प्रशासन ने इतना महत्व दे दिया था कि यह कई कार्यक्रमों में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी के बगल में फीता काटता नजर आया। जिसमें इसके बिल्डर सिंडीकेट के लोग भी शामिल थे।
मज़दूर मोर्चा के पाठकों को याद होगा कि क्राउन इंटीरियर्स की पार्किंग में की जा रही सरकारी टैक्स की चोरी की खबर छापी गई थी। जिसमें गाड़ी की एक ही पर्ची को बार-बार ग्राहकों को देकर सरकारी टैक्स की चोरी की जा रही थी। क्राउन के संचालक इससे अनभिज्ञ नहीं थे। क्योंकि पार्किंग का ठेका उन्होंने किसी एजेंसी को दिया था। उस समय पुलिस सूत्रों ने कहा था कि यह क्राउन के संचालकों की मिलीभगत के बिना हो नहीं सकता। पुलिस ने जब वहां सक्रियता दिखाई तो टैक्स चोरी का यह अवैध धंधा बंद हुआ। पुलिस ने कागज पर कोई एक्शन नहीं लिया। छोटे पुलिस कर्मियों को मालूम रहता है कि अगर वे एक्शन ले भी लेंगे तो आला अफसर गांधी की वजह से कोई एक्शन नहीं होने देंगे।
पहले भी हो चुका है एक्शन
कई साल पहले शहर के कई मॉल्स पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने पर नोटिस जारी हो चुके हैं। इसमें क्राउन प्लाजा, क्राउन इंटीरियर्स, प्रिस्टिन और पार्श्वनाथ प्रमुख हैं। इन मॉल्स के मालिकों को नोटिस देने की यह हिम्मत तत्कालीन डीसी बलराज सिंह मोर ने दिखाई थी। डीसी के पास किसी व्यक्ति ने मॉल की सुरक्षा को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद तत्कालीन एसडीएम यशेंद्र सिंह के जरिए जांच कराई गई तो कई मॉल में बड़ी सुरक्षा चूक निकली। इसे गंभीरता से लिया गया क्योंकि यहां आपातकालीन स्थिति में निकलने तक की जगह नहीं थी।
एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया था कि इन सभी मॉल्स में सुरक्षा मानक ताक पर रखे गए हैं। इनमें क्राउन इंटीरियर, प्रिस्टिन, पार्श्वनाथ और क्राउन प्लाजा शामिल हैं। एसडीएम ने प्रिस्टिन व पार्श्वनाथ मॉल के सिनेमा का लाइसेंस रद्द करने की उपायुक्त को सिफारिश की। डीसी ने जांच रिपोर्ट के बाद क्राउन प्रबंधन को तलब
किया था।