बीएसएफ के बहुत सारे जवानों और रिटायर्ड अफसरों ने भी मित्तल बंधुओं के इस प्रोजेक्ट में बुकिंग कराई पर कोई अब इन सैनिकों की सुनाने वाला नहीं|

बीएसएफ के बहुत सारे जवानों और रिटायर्ड अफसरों ने भी मित्तल बंधुओं के इस प्रोजेक्ट में बुकिंग कराई पर कोई अब इन सैनिकों की सुनाने वाला नहीं|
July 18 08:30 2020

जनता का 1000 करोड़ मारकर सुमित मित्तल और मधुर मित्तल हुए अंडरग्राउंड

त्रिवेणी बिल्डर की धोखाधड़ी से 5000 लोग परेशान, हरेरा का सदस्य डाल रहा है पर्दा

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: प्रॉपर्टी मार्केट के सबसे बड़े फ्रॉड सुमित मित्तल और मधुर मित्तल को न तो फरीदाबाद पुलिस तलाश रही है न हरियाणा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा तलाश रही है, लेकिन वो पांच हजार लोग इन दोनों भाइयों को जरूर तलाश रहे हैं, जिन्हें 15 साल बाद भी फ्लैट के नाम पर कागज का टुकड़ा भी नहीं मिल पाया है। ये वही मित्तल बंधु हैं, जिनकी शान में तथाकथित राष्ट्रीय अखबारों ने आए दिन फोटो छापकर कसीदे पढ़े। बदले में इनसे मोटे विज्ञापन और कमीशन के पैसे खाए। अब वही कथित राष्ट्रीय अखबार मित्तल बंधुओं के कारनामे न छापने को तैयार हैं और न जनता को सावधान करने को तैयार हैं कि कोई और न इनके चंगुल में फंसे। उन्हें अब भी मित्तल बंधुओं से कमीशन की उम्मीद है।

आगरा से आए थे धंधा करने

मित्तल बंधु मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं। लेकिन दिल्ली की तरफ उन्होंने कदम बड़ी सावधानी से बढ़ाए। सबसे पहले उन्होंने वृंदावन (मथुरा) में अपना प्रोजेक्ट लॉन्च किया। वहां से करोड़ों रुपये उठाए और उससे फरीदाबाद में नहरपार औने-पौने दामों पर जमीनें खरीदीं। फिर 2006 में अपना त्रिवेणी गैलेक्सी प्रोजेक्ट लॉन्च किया। बड़े अखबारों में विज्ञापन देकर जनता को जो सब्जबाग दिखाए गए, उसकी वजह से करीब पांच हजार लोगों ने फ्लैट और प्लॉट की बुकिंग करा दी। इस तरह सुमित मित्तल और मधुर मित्तल ने करीब एक हजार करोड़ रुपये फरीदाबाद से वसूल लिए।

बीएसएफ जवानों को भी ठगा

प्री लॉन्चिंग के नाम पर मित्तल बंधुओं ने अपना शिकार उन मिडिल क्लास परिवारों को बनाया जो जिन्दगी में सिर्फ एक अदद फ्लैट का सपना देखते हुए अपनी सारी पूंजी लगा देते हैं। बीएसएफ के बहुत सारे जवानों और रिटायर्ड अफसरों ने भी मित्तल बंधुओं के इस प्रोजेक्ट में बुकिंग कराई। एक साल गुजरे, दो साल गुजरे, तीन साल गुजरे…लोग फ्लैट का ढांचा देखते रहे और इस आस में रहे कि चलो चौथे साल तो फ्लैट पर कब्जा मिल ही जाएगा। लेकिन 2008 से ही फ्रॉड मित्तल बंधुओं ने किनाराकशी शुरू कर दी। फ्लैट बुक कराने वाले जब उनको फोन करने लगे तो उन्होंने अपने नंबर बदल लिए। 2009 के बाद सुमित मित्तल और उसके भाई मधुर मित्तल की शक्ल भी सेक्टर 78 फरीदाबाद में प्रोजेक्ट की साइट पर देखने को नहीं मिली। उसके बाद से पांच हजार लोग सैकड़ों की तादाद में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक और फरीदाबाद के डीसी से लेकर पुलिस कमिश्नर तक पत्र लिख चुके हैं लेकिन त्रिवेणी बिल्डर की धोखाधड़ी पर किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

रेरा-हरेरा सफेद हाथी बनकर रह गया है

संसद में पारित कानून के तहत रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलेपमेंट एक्ट 2016 यानी रेरा का गठन घर खरीदने वाले ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए किया गया था। रेरा की ही तर्ज पर राज्यों को अपने-अपने रेरा गठित करने थे। हरियाणा में इसे हरेरा नाम मिला यानी हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलेपमेंट एक्ट। इसका गठन सिर्फ पंचकुला और गुडग़ांव में ही किया गया और पूरे हरियाणा को इन्हीं दोनों के तहत बांट दिया गया। हरेरा के चेयरमैन चर्चित आईएएस के.के. खंडेलवाल हैं। इसके दो सदस्यों में से एक एस.सी. कुश भी है, जो किसी समय फरीदाबाद नगर निगम में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का अधिकारी था। कुश जब नगर निगम फरीदाबाद से रिटायर हो गया तो फरीदाबाद के बिल्डरों की लॉबी ने उसे हरेरा का सदस्य बनवा दिया। कुश को त्रिवेणी बिल्डर और सुमित मित्तल व मधुर मित्तल की धोखाधड़ी के बारे में विस्तार से जानकारी है। लेकिन मजाल है कि कुश ने पांच हजार फ्लैट बायर्स को कोई इंसाफ दिलाया हो। बल्कि नवंबर 2019 में जब हरेरा गुडग़ांव की बैठक हुई तो त्रिवेणी और मित्तल बंधुओं की बदमाशी पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। हरेरा ने यह कह कर हाथ खड़े कर दिए हैं कि टिडको यानी त्रिवेणी गु्रप की कंपनी लिक्वीडेशन में चली गई है तो इसमें अब हरेरा कुछ नहीं कर सकता।

लेकिन हरेरा और कुश अभी भी बहुत कुछ कर सकते हैं। हरेरा चाहे तो मित्तल बंधुओं के खिलाफ बायर्स के हक में एफआईआर तक दर्ज करवा सकता है। हकीकत यह है कि कुश को मित्तल की फ्रॉडगीरी की एक एक बात मालूम है लेकिन हरेरा के साथ साथ कुश ने खतरनाक चुप्पी साध रखी है। फरीदाबाद के बायर्स कभी किसी अधिकारी के पास तो कभी किसी अधिकारी के पास चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कुश मित्तल बंधुओं की फ्रॉडगीरी पर पर्दा डालने में जुटा हुआ है।

आपराधिक सोच रखते हैं मित्तल बंधु

सुमित मित्तल और मधुर मित्तल की सोच किस तरह आपराधिक है, इसकी पड़ताल मजदूर मोर्चा ने की है। इस घटनाक्रम को बहुत बारीकी से जानने और पढऩे की जरूरत है। 1 जनवरी 2014 को मनोज चौहान नामक शख्स सिकंदरा सब्जी मंडी थाना आगरा में एफआईआर कराता है कि त्रिवेणी गैलेक्सी सेक्टर 78 फरीदाबाद प्रोजेक्ट के छह बायर्स ने उसकी हत्या का प्रयास किया है। ये छह बायर्स कौन हैं – ये छह बायर्स वे लोग जिन्होंने त्रिवेणी में फ्लैट बुक कराने वालों का संगठन त्रिवेणी फरीदाबाद अलॉटीज एसोसिएशन (टीएफएए) बना रखी है। ये सभी छह बायर्स नोएडा और गुडग़ांव की बड़ी कंपनी के टेक्नोक्रेट्स हैं और ऊंचे पदों पर हैं। ….अब आगे सुनिए। चूंकि मामला आगरा में दर्ज था तो वे सभी छह बायर्स फौरन इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पहुंचे कि चूंकि त्रिवेणी का बिल्डर सात-आठ साल बाद भी फ्लैट हमें नहीं सौंप पाया है और हम उसके खिलाफ जगह जगह शिकायत कर रहे हैं तो उसने हमें फंसाने के लिए अपने कर्मचारी मनोज चौहान से फर्जी एफआईआर कराई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट 5 अगस्त 2015 को इस केस पर फौरन स्टे जारी करता है और आगरा पुलिस से इन छह लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देती है। 18 नवंबर 2015 को जब इस केस की अगली सुनवाई होती है तो एक पुलिस अधिकारी कोर्ट को बताता है कि मनोज चौहान की एक सडक़ हादसे में मौत हो गई है। अदालत और सभी छह बायर्स इस सूचना पर हैरान रह जाते हैं।

इसके बाद उन सभी छह बायर्स ने मनोज चौहान के घर आगरा से जानकारी जुटाने की कोशिश की तो पता चला कि मनोज के परिवार ने भी हत्या की आशंका जताई लेकिन उन लोगों ने कहा कि पुलिस एक ही बात कह रही है कि मनोज की मौत सडक़ हादसे में हुई है तो बताइए हम लोग क्या करें।

त्रिवेणी के जिन छह बायर्स के खिलाफ मनोज चौहान ने एफआईआर कराई थी, उन्हीं छह बायर्स के खिलाफ पांच और एफआईआर मित्तल फ्रॉडी ने अपने कर्मचारियों से कराई थी लेकिन इन लोगों ने पुलिस के सामने सबूत पेश किए कि त्रिवेणी के प्रमोटर मित्तल बंधु उन लोगों को सिर्फ परेशान करने के लिए एफआईआर करा रहे हैं। बहरहाल, जब पांच हजार त्रिवेणी बायर्स ने अपनी लड़ाई संगठित तरीके से लडऩी शुरू कर दी तो सुमित मित्तल और मधुर मित्तल गायब हो गए।

बिल्डरों के बढ़ते फ्रॉड

फरीदाबाद में बिल्डरों की धोखाधड़ी बढ़ती ही जा रही है लेकिन सरकारी एजेंसियों का अंकुश न होने की वजह से प्रभावी कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई। फरीदाबाद के सबसे बड़े घोटालेबाज एसआरएस पर तभी कार्रवाई हुई जब बैंको की तरफ से पुलिस में शिकायत पहुंची और बीच में सरकार ने दखल दिया। एसआरएस पर बैंकों के अलावा जनता की भी बड़ी देनदारी है लेकिन पुलिस सिर्फ और सिर्फ बैंकों के मामलों को ही देख रही है। त्रिवेणी के मामले में भी सरकारी एजेंसियों का यही रवैया है। लेकिन त्रिवेणी के मामले में जनता के साथ धोखा हुआ है, बैंकों के साथ नहीं। चूंकि जनता से लूटा गया पैसा मुफ्त होता है, इसलिए जनता की शिकायत के बावजूद पुलिस कार्रवाई नहीं होती। त्रिवेणी ने तो करीब एक हजार रुपये डकारे लेकिन इनके अलावा जिन बिल्डरों के फ्लैट लोगों को मिले, बिल्डर आज भी उनके साथ बदमाशी पर उतरे हुए हैं। मित्तल इतने बड़े पैमाने पर सिर्फ इसलिए धोखाधड़ी करने में कामयाब रहे, क्योंकि उनके साथ सारी सरकारी एजेंसी और लोकतंत्र के कुछ स्तंभ खड़े थे। वही ताकतें मित्तल भाइयों को अभी भी बचाए हुए हैं। फरीदाबाद में तमाम ऐसे बिल्डर हैं जिन्होंने जनता का हजारों करोड़ डकारा हुआ है लेकिन सरकारी एजेंसियां आड़े वक्त में उनकी मदद के लिए खड़ी हो जाती हैं। नगर निगम, हुडा के अफसर खुले आम इन बिल्डरों से मंथली लेते हैं। ऊपर नगर निगम के जिस पूर्व अधिकारी कुश का नाम आया है और जब हरेरा का सदस्य है, उससे जुड़े बिल्डरों ने जमकर अनाप-शनाप नक्शे पास कराए, सीएलयू कराए। कुश की कहानियां फरीदाबाद नगर निगम दफ्तर की दीवारों से आज भी बाहर निकल आती हैं।

अगर आप भी फरीदाबाद-गुडग़ांव में किसी बिल्डर से परेशान हैं, तो मजदूर मोर्चा से जानकारी साझा करें। हम उसे मजदूर मोर्चा में पूरी जिम्मेदारी से प्रकाशित करेंगे। अगर सूचनाएं ज्यादा संवेदनशील होंगी और आप अपना नाम नहीं बताना चाहते हैं तो उसे गुप्त रखा जाएगा और पूरी खबर प्रकाशित की जाएगी। फरीदाबाद को बिल्डरों की लूट से बचाना है तो आप भी मोर्चा संभालिए।

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