सब्जी वालों की छाती पर एक और विकास दुबे बैठा रहा है फरीदाबाद प्रशासन
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार किया गया या उसने खुद आत्मसमर्पण किया और अब वो भागते हुए मारा गया या बस मारा गया। इसका पता फिल्में देखने वाली देश की जनता को लग गया होगा। उम्मीद है कि विकास दुबे कैसे बनते हैं इसका ज्ञान भी जनता को है ही। पर क्या विकास दुबे जैसा चरित्र खुद प्रशासन बना रहा है और अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है, क्या इसका भी ज्ञान हमें है?
फरीदाबाद शहर में स्थित भारत कालोनी स्थित बीस साल से लगने वाली सब्जी मंडी को पुलिस थाना खेड़ी ने अचानक हटा दिया। लॉकडाउन की मार झेल रहे गरीब सब्जी वालों पर आसमान ही टूट पड़ा जब उन्हें इस तरह से हटा दिया गया। पुलिस के हाथ-पाँव जोडऩे के बाद भी जब बात नहीं बनी तो सब्जी वालों ने पांच जुलाई डीसी दफ्तर के सामने नारेबाजी की और प्रदर्शन भी किया। डीसी दफ्तर पर जा कर सब्जी वालों ने अपनी मांगों के तौर पर यही कहा कि उन्हें अपना बचा हुआ सामान बेच लेने की मोहलत दी जाए। सब्जी बेचने वाली एक महिला ने बताया कि लघु सचिवालय से दो दिन में अपना सामान बेचने की मोहलत पा कर सब्जी वाले जब दोबारा 35 फूटा रोड पर अपनी सब्जियां बेचने गए तो पुलिस वालों ने डंडों से मारा जिसमे रोबर्ट नामक एक लडक़े की आंख पर चोट आई। अब फिर डीसी दफ्तर के धक्के खाने पर मजबूर इन सब्जी वालों ने नेताओं के दरवाजे खटखटाना शुरू किया है।
पिछली सरकार में मंत्री रहे विपुल गोयल का करम इन भारत कालोनी वालों पर रहा इसलिए विपुल गोयल के पास जा कर गुहार लगाने पर वहां से इन्हें दो दिन इंतजार करने के लिए कहा गया। कृष्णपाल गुर्जर से भी गुहार लगाईं गई है पर क्या समाधान निकला इसकी कोई जानकारी नहीं।
अब सवाल है कि जो मंडी 20 साल से चल रही है उसे अचानक क्यों पुलिस हटाने लगी? एक सब्जी बेचने वाले लडक़े ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, दरअसल मंडी में लगभग 300 दुकाने लगती हैं और हर दुकान से 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से रोहताश पहलवान नाम का एक व्यक्ति वसूलता है। ऐसे ही उसके कई और भी धंधे होने की गुंजाईश है, तो कुछ वैध काम भी होंगे। जाहिर है इस मोटी कमाई में थाने का हिस्सा न जाता हो यह तो संभव ही नहीं। अब किसी पंडित जी के नाम से मशहूर व्यक्ति ने भी जमीन पर अपना कानूनी दावा ठोंक दिया (जैसा कि स्थानीय लोगों ने बताया)। कानूनी लड़ाई में पुलिस की कमाई मारी गई पर पुलिस पर रोहताश का प्रभाव भी है क्योंकि रोहताश के तार मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से जुड़ते हैं।
स्थानीय निवासी जो सब्जी बेच कर अपना गुजारा करते हैं, इस बात के लिए भी तैयार हैं कि जो पैसे रोहताश वसूली के नाम पर लेता है वही पैसे बेशक सरकार ले ले तो वे खुशी से सरकार को यह पैसा देंगे। कालाधन समाप्त करने का तुर्रा देने वाले मोदी जी को इससे अच्छा मौका मिल नहीं सकता जहाँ सारे काले धन को जनता खुद सफेद करना चाहती हो। पर मोदी जी को ऐसे काज नहीं सुहाते क्योंकि, कालेधन को समाप्त करने में उनकी कोई दिलचस्पी ही नहीं। वे तो खुद शायद इस नेक्सस को बनाये रखना चाहते हैं जहाँ रोहताश पहलवान जैसे गुंडे पुलिस से मिलकर हफ्ता वसूलते रहें।
वरना क्या यह संभव है कि यदि डीसी दफ्तर से सब्जी बेचने वालों को दो दिन में अपना सामान बेचने की मोहलत मिल जाए तो एक थाने का एसएचओ उस आदेश को लांघ कर गरीबों पर लाठी चलवा दे? गरीब सब्जी वालों ने फिर से डीसी दफ्तर पर गुहार लगाई है और वहां से उन्हें पांच दिन किसी कमेटी के आदेश आने का इंतजार करने के लिए कहा गया है। इस बीच प्रशासन ने एक बार भी यह नहीं समझा कि रोज कमाने खाने वाले ये गरीब इतने दिन खाएंगे क्या?
अब इतनी सी कहानी में यदि विकास दुबे बनने और प्रशासन द्वारा विकास दुबे बनवाने की कला आपने सीख ली है तो आप जान जाएंगे कि क्यों विकास दुबे जैसों का हौंसला इतना बढृ जाता है कि वह एनकाउंटर की शौकीन पुलिस का ही एनकाउंटर करने की हिमाकत कर लेते हैं।