ड्रग माफिया के बुलंदतर होते हौंसले पुलिस पर भी पिस्टल तानने लगे
फरीदाबाद (म.मो.) शमशानघाट सेक्टर 22 के पीछे स्थित मछली मंडी में दो जून की शाम करीब साढे पांच बजे एक स्कॉरपियो व एक अन्य गाड़ी में आये करीब 12 हथियारबंद गुंडों ने मछली कारोबारी अंसार अली पर लोहे की रॉड व लाठी-डंडों से हमला कर दिया। गुंडों में से एक ने अली पर पिस्टल से फायर किया तो अली कुछ झुक गया जिससे गोली उसको छूते हुए निकल गयी। लेकिन रॉड व डंडों से उसके हाथ-पैर तोड़ दिये गये। इससे भी बड़ी बात यह रही कि घटना स्थल पर हमेशा पुलिस का नाका रहता है। उस वक्त भी नाके पर भाटी नामक एक सिपाही मौजूद था। उसने जब हस्तक्षेप किया तो उसकी कनपट्टी पर भी पिस्टल सटा कर कहा कि जान प्यारी है तो एक तरफ हो जा।
वैसे तो किसी भी साधारण आदमी का किसी पर गोली चलाने का हौंसला होता नहीं और फ़िर बावर्दी ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी पर पिस्टल तान देने के लिये तो ज़्यादा ही बड़े हौंसले की जरूरत होती है। मामले की तह में जाने से पता चला कि इस हमलावर गिरोह को अति दु:साहसी तो खुद पुलिस ने ही बनाया है। जब सारा दिन थाने व तमाम क्राइम ब्रांचों के पुलिस वाले भिखारियों की तरह इनके दरवाज़े पर आकर अपनी औकात दिखायेंगे तो क्यों नहीं इनके हौंसले बुलंद होंगे?
हमलावरों के इस गिरोह का पालनहार बिजेन्द्र उर्फ लाला, उसके भाई कन्हैया व डेविट हैं। लाला तमाम तरह के नशे-गांजा, सुल्फा, अफीम स्मैक आदि का थोक व्यापारी है। साथ ही जुए-सट्टे का अवैध धंधा भी करता है। धंधे में शामिल इसके दोनों भाइयों व मां के अलावा पचासों लडक़ों को इसने पाल रखा है। जि़ले भर की तमाम झुग्गी बस्तियों व कॉलनियों आदि में हर तरह के नशे की सप्लाई इसी गिरोह के द्वारा की जाती है। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार रोज़ाना 50 लाख से एक करोड़ तक की बिक्री बताई जाती है। करीब दो वर्ष पूर्व किसी क्राइम ब्रांच की रेड में पुलिस ने 19 लाख रुपये की नकद बरामदगी दिखाई थी जबकि बरामदगी कहीं ज़्यादा मानी जा रही थी। रेड से चंद मिनट पहले ही पुलिस महकमे में बैठे अपने मुखबिरों की सूचना पर लाला बड़ी मात्रा में माल व नकदी लेकर फरार होने में कामयाब हो गया था। पुलिस द्वारा बरामद की गयी रकम तो केवल कुल नकदी का वह भाग है जिसे वह समय अभाव के चलते उठा नहीं पाया था।
मौजूदा वारदात की जड़ में भी लाला के कारोबार से मछली व्यापारियों को होने वाली भारी परेशानी है। नशे की तलब में यहां आने वाले शहर भर के लफंडरों का मजमा लगा रहता है। रात हो या दिन हर वक्त 20-30 नशेड़ी यहां घूमते रहते हैं। इससे मछली मंडी की बदनामी तो होती ही है साथ में ये नशेड़ी चोरी-चकारी का कोई मौका नहीं चूकते। रात में मछली लेकर आने वाली गाडिय़ों की कभी बैट्री तो कभी स्टेपनी तो कभी कुछ यानी जो हाथ लग जाय ये नशेड़ी चुरा लेते हैं। आये दिन होने वाली इन चोरियों की एफआईआर तक भी पुलिस दर्ज नहीं करती। लेकिन गत माह अंसार अली के मामा का गल्ला चुरा लिया। गल्ले में रकम तो मात्र 500-700 रुपये व कुछ खरीज थी लेकिन उसमें मौजूद दस्तावेज़ अति महत्वपूर्ण थे जिनका ताल्लुक मार्केट कमेटी से रहता है। इसकी एफआईआर दर्ज करानी बहुत जरूरी थी। पुलिस को एफआईआर इस लिये दर्ज करनी पड़ी थी क्योंकि सीसी टीवी कैमरे में चोरी की वारदात दर्ज हो चुकी थी। इसके बावजूद पुलिस ने आज तक पकड़ा किसी को नहीं।
आये दिन होने वाली इन वारदातों को लेकर अंसार अली व अन्य मछली व्यापारियों ने लाला व उसकी मां को विरोध प्रकट किया। इसी बीच एक दिन लाला की मां से अली की गर्मा-गर्मी कुछ ज्यादा ही हो गयी । नौबत थप्पड़ चट्टू तक की आ गयी। लाला की मां ने अली व उसके परिवार को जान से मारने की धमकी बीसियों लो$गों के सामने दे डाली। उसी के परिणामस्वरूप सप्ताह के भीतर अली पर जानलेवा हमला हो गया।
एसएचओ ने बताया वह तो एसपीओ था
पूरे मामले की जानकारी लेने हेतु एसएचओ मुजेसर से फोन पर बात की गयी तो उन्होंने बताया कि लाला यूपी में कहीं गिरफ्तार है, उसका बाप पहले से ही एनडीपीएस एक्ट में जेल में है। दूसरा मुख्य आरोपी व पांच अन्य गिरफ्तार कर लिये गये है। केस की बाकी तफतीश क्राइम बांच 48 कर रही है।
सिपाही पर पिस्टल तान देने के बाबत उन्होंने कहा कि वह तो एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस अफसर था। सेवानिवृत फौजियों को सरकार तदर्थ आधार पर बतौर सिपाही तैनात कर देती है। जो भी हो जिसने एक बार सिपाही की वर्दी पहन ली तो वह फ़िर सिपाही ही होता है। एसएचओ ने बताया कि वह नाका ड्यूटी पर समय से पहले आ गया था, दूसरा साथी अभी आया नहीं था और हाथ में भी उसके डंडा ही था तो वह क्या करता इन क्रिमिनल्ज़ के सामने? हां पकड़े जाने पर जरूर उनका इलाज कर दिया जायेगा।
जब उन्हें यह बताया गया कि इस वक्त (8 जून 11 बजे दिन) भी यहां नशे का कारोबार पूरे ज़ोरो पर चल रहा है तो उन्होंने कहा कि उन्हें जो भी इन्फरमेशन मिलती है वे कार्यवाही करते हैं। जो जैसा करेगा, भुगतेगा, चाहे कोई पुलिस वाला ही क्यों न हो।
एसएचओ ने खास मजेदार बात यह बताई कि झगड़ा किसी प्रॉपर्टी के कब्ज़े को लेकर, दोनों पक्षों के बीच में चलता रहता है। विदित है कि यह सारी जमीन केन्द्र सरकार की मिलकियत है जो उसने 60-70 साल पहले मुजेसर गांव के किसानों से अधिग्रहीत की थी। खाली पड़ी ज़मीन पर लोगों ने कच्ची-पक्की झुग्गियां मकान आदि बना लिये हैं। वास्तव में किसी भी प्रॉपर्टी को लेकर दोनों पक्षों में कोई झगड़ा नहीं है। यह कहानी तो पुलिस द्वारा असल झगड़े से ध्यान भटकाने के लिये प्रचारित की जा रही है