ऐप कैसे काम करती  है, प्रतिभा ने कहा इसमें एक सायरन है जो किसी कोविद पॉजिटिव व्यक्ति के आस-पास होने पर बजने लगता है| क्या अब तक उन्हें फ़ोन में ये सायरन बजा?

ऐप कैसे काम करती  है, प्रतिभा ने कहा इसमें एक सायरन है जो किसी कोविद पॉजिटिव व्यक्ति के आस-पास होने पर बजने लगता है| क्या अब तक उन्हें फ़ोन में ये सायरन बजा?
June 07 06:07 2020

“आप हर बात की इतनी जांच पड़ताल क्यों करने लगते हो, आपको नहीं लगता एक किस्म की नेगेटिविटी पूरे देश में आप जैसे लोगों ने फैला दी है?” बतौर आईटी प्रोफेशनल कोंसेक्ट्रिक्स नामक एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत नीहारिका सिंह से आरोग्य सेतु ऐप के बारे में पूछने पर वह उखड़ गईं और मजदूर मोर्चा की ग्राउंड रिपोर्ट्स को नकारत्मकता फैलाना वाला बता दिया|

खैर, नकारात्मक होने की तोहमद के बावजूद हम चाहेंगे की मजदूर मोर्चा की इस ग्राउंड रिपोर्ट से आरोग्य सेतु ऐप को लेकर जो बातें ज़मीनी स्तर पर और सरकार की तरफ से कही गईं हैं उनके साथ- हर एंगल से पाठक इसकी विश्वसनीयता समझने का प्रयास करें|

नीहारिका ने बताया कि उन्होंने 2 मई को दिए प्रधानमंत्री के सन्देश और देश को किये आग्रहपूर्ण संबोधन, जिसमे उन्होंने सभी नागरिकों से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने की विनती की थी के तुरंत बाद ही इसे डाउनलोड कर लिया था| ऐप से क्या फायदा मिला, निहारिका ने बताया कि उन्होंने इस पर ज्यादा गौर तो नहीं किया पर सरकार जब कोई काम करती है तो उसके नफे-नुकसान देखने के बाद ही उसे लॉन्च करती है| ज़रूरी नहीं है कि हर चीज़ में नुक्स निकाले ही जाएँ|

विशाखापत्तनम टाटा मेमोरियल अस्पातल में बतौर रेडिओलोजिस्ट कार्यरत 34 वर्षीय अनीत कुमार मार्च 22 से ही दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में फंसे हैं|  29 मई की हवाई जहाज की टिकट 9000 रुपये में लेने के बाद अनित को ज्ञात हुआ कि बिना आरोग्यसेतु ऐप डाउनलोड किये उन्हें एयरपोर्ट पर दाखिला नहीं मिलेगा, सो मजबूरन डाउनलोड किया|

मजबूरी वाली क्या बात है, अनीत ने बताया कि उन्हें मोदी सरकार की किसी सलाह, आदेश और ऐप पर भरोसा नहीं है|  वह नहीं जानते कि सरकार उनकी दी जानकारियों को किस प्रकार इस्तेमाल करेगी, पर अब काम पर जाना ही है तो मजबूरन करना पड़ा डाउनलोड| पर जब एयरपोर्ट पर पहुंचे तो किसी ने भी उनसे आरोग्य सेतु ऐप दिखाने को नहीं बोला पर कुछ सहयात्रियों के ऐप सुरक्षाकर्मी ने देखे भी|

प्रतिभा की उम्र 35 वर्ष है और वह एसबीआई बैंक में बतौर क्रेडिट इंचार्ज कार्यरत हैं| प्रतिभा ने बताया कि सरकारी आदेश होने के कारण अरोग्यसेतु को डाउनलोड किया और इससे उन्हें कोई समस्या नहीं है| ये ऐप कैसे काम करती  है, प्रतिभा ने कहा इसमें एक सायरन है जो किसी कोविद पॉजिटिव व्यक्ति के आस-पास होने पर बजने लगता है| क्या अब तक उन्हें फ़ोन में ये सायरन बजा? उन्होंने बताया कि नहीं उन्हें ऐसी कभी सूचना नहीं दी फ़ोन ने, पर हाँ एक-आध बार उनके फ़ोन में ऐप ने इंडीकेट किया कि दो लोग या एक  व्यक्ति जो कोविद पॉजिटिव है 100 मीटर या 50 मीटर के दायरे में है|

किसी कोविद संक्रमित व्यक्ति के आस-पास होने की जानकारी मिलने के बाद प्रतिभा ने क्या किया? उन्होंने कहा, क्या कर सकती थी मैं, बस घर जा कर अच्छे से हाथ धोये और कपड़े वाशिंग मशीन में डाल दिए और नहा ली| ये सब सावधानियां प्रतिभा वैसे भी घर जा कर करतीं ही हैं|

उत्तरप्रदेश और हरियाणा सरकारों ने दिल्ली से लगने वाले अपने बॉर्डर को सील कर दिया और एडवाइज़री जारी कर दी कि बिना आरोग्यसेतु ऐप को फ़ोन में डाउनलोड किये कोई भी दिल्ली से न आ सकेगा न जा सकेगा|

सौरभ जो नॉएडा से दिल्ली और प्रगती जो रोज़ ही फरीदाबाद से दिल्ली काम पर जाते हैं, दोनों ने बताया कि आजतक कभी भी बॉर्डर पर उनके फ़ोन में अरोग्यसेतु ऐप को किसी भी सुरक्षाकर्मी ने चेक नहीं किया| न ही किसी ने फ़ोन खोल कर ऐप दिखाने को कहा|

अब सवाल है कि इस ऐप को लेकर कई तरह की बातें पब्लिक डोमेन में हैं जिनमे से कुछ का ज़िक्र बतौर ज़मीनी हकीकत, ऊपर हो चुका है| आइये अब इस ऐप के सरकारी दावे से लेकर इसकी एप्लीकेशन तक को समझा जाए जिसे प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप माडल के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स व इन्फोर्मेशन एंड टेक्नोलोजी मंत्रालय ने जारी किया है|

  • आरोग्य सेतु एप को सार्वजनिक-निजी साझेदारी (Public-Private Partnership) के जरिये तैयार एवं गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च किया गया है।
  • इस एप का मुख्य उद्देश्य COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों एवं उपायों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना होगा।
  • यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है और साथ ही इसमें देश के सभी राज्यों के हेल्पलाइन नंबरों की सूची भी दी गई है।
  • विशेषताएँ:
    • किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस के जोखिम का अंदाज़ा उनकी बातचीत के आधार पर करने हेतु आरोग्य सेतु ऐप द्वारा ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम (Algorithm), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जाएगा।
    • एक बार स्मार्टफोन में इन्स्टॉल होने के बाद यह एप नज़दीक के किसी फोन में आरोग्य सेतु के इन्स्टॉल होने की पहचान कर सकता है।
    • यह एप कुछ मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकता है।
  • एप की कार्यप्रणाली:
    • अगर कोई व्यक्ति COVID-19 सकारात्मक व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो एप निर्देश भेजने के साथ ही ख्याल रखने के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगा।
    • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयके अनुसार, एप अपने उपयोगकर्त्ताओं के ‘अन्य लोगों के साथ संपर्क’ को ट्रैक करेगा और किसी उपयोगकर्ता को किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में होने के संदेह की स्थिति में अधिकारियों को सतर्क करेगा। इनमें से किसी भी संपर्क का परीक्षण सकारात्मक होने की स्थिति में यह एप्लिकेशन परिष्कृत मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम की गणना कर सकता है।
  • लाभ:
    • यह एप सरकार को COVID-19 के संक्रमण के प्रसार के जोखिम का आकलन करने और आवश्यकता पड़ने पर लोगों को अलग रखने में मदद करेगा।

ऊपर बताये गए लाभों को सरकार पूरा कैसे कर रही है इसपर आजतक कोई स्पष्ट जानकारी सरकार ने नहीं दी है| आईटी सेल ने सायरन और न जाने क्या-क्या अफवाहें सोशल मीडिया पर इस ऐप के कसीदे कसने में फैला डालीं हैं जिसकी चपेट में प्रतिभा जैसे पढ़े लिखे लोग भी शामिल हैं| सरकार ने ऐसी अफवाहें फैलाने वालों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की है, शायद इसलिए क्योंकि ये सब सरकार के हक़ में है| वहीँ दूसरी तरफ राहुल गाँधी समेत बहुत बड़ा तबका इस ऐप को सरकार का अपने नागरिकों पर नज़र रखने का एक यंत्र मान रहा है|

इस ऐप की मदद से कितने लोगों को बचाया गया या ट्रैक किया गया| इसका जवाब न आईसीएम्आर और स्वास्थ्य मंत्रालय को फ़ोन करने से मिला और न ही हमें मंत्रालय की साईट पर ही इसकी कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध हो सकी है|

अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐप में डाउनलोड करने वाले को ही अपनी सभी जानकारी को भरना होगा, भविष्य में कोविद पॉजिटिव होने पर प्रशासन भी जानकारी को अपडेट करेगा| यानि कि प्राथमिक रूप से इसमें जानकारी उपयोगकर्ता को ही डालनी है| अब यह पूर्ण रूप से व्यक्तिविशेष पर निर्भर करता है कि वो क्या जानकारी इसमें भरता है|

सामाजिक रूप से कोरोना ने एक अछूत का तमगा लगवाने वाली संज्ञा की शक्ल इख्तियार कर ली है| ऐसे में  कोई भी व्यक्ति अपने संक्रमित होने या लक्षण होने की जानकारी सही-सही अपडेट करेगा, इसमें संशय है| और इस संशय के पुष्टि इसी बात से हो जाती है कि अब तक जितने भी लोग गाँव या अपने घरों को वापस गए हैं उन्हें अछूत की तरह ही देखा जा रहा है| साथ ही जिसे अपने घर जाना है वह क्यों अपने लक्षणों की जानकारी सरकार को देगा जबकि वह फंसा हुआ है? क्या सरकार ये बता सकती है कि इस ऐप के आधार पर कितने यात्रियों को यात्रा करने से रोक पायी? यदि ऐसा होता तो जहाज में यात्रा करने वाले कई व्यक्ति बाद में कोरोना पॉजिटिव कैसे मिले?

इसके इतर कोरोना उन लोगों में भी पाया गया है जिसमे कोई लक्षण नहीं दिखाई देते और कई लोग जो पॉजिटिव हैं उनमे भी  लक्षण 14 से 25 दिन की देरी से दिखते हैं, तो इस ऐप का क्या उपयोग बचा? आरोग्यसेतु ऐप के लिए स्मार्ट फ़ोन की आवश्यकता वाली शर्त भी एक तिहाई भारत ही पूरा करता है और उसमे भी अनीत जैसे कई लोग इससे दूरी बनाना ही चाह रहे हैं| आबादी के मात्र 8% लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है तो सरकार की ये क्या नीति है कोरोना से लड़ने की जो कोई रणनीति ही नहीं| कुल मिलाकर कोरोना को बचाव के मामले में इस ऐप को नागरिक और सरकार दोनों ही बिन्दुओं से देखने पर 10 में से शून्य नंबर ही मिलते हैं|

अब बात राजनैतिक एंगल से की जाए| दो मई को आरोग्य सेतु ऐप की घोषणा होने के साथ ही राहुल गाँधी ने इसपर सवाल खड़े किये कि ये ऐप एक संवेदनशील सर्विलांस है और जैसा की हमेशा होता आया है भाजपा आईटी सेल ने कोरोना की तरह इस चेतावनी को भी मज़ाक का मीम बना जनता के आगे परोस दिया|

इन सबके बीच फ़्रांस के एक 30-32 साल के नौजवान ने ऐसी बात कह दी जिसका जवाब सरकार मीम से नहीं दे सकी|  फ़्रांस के लड़के ने ट्विटर पर पांच मई को एक बम फोड़ा कि ऐप में एक कमी है जिससे 9 करोड़ लोगों की निजी जानकारी खतरे में हैं, भारत सरकार चाहे तो मुझे संपर्क कर सकती है| सरकार ने अपने नथुने फुलाते हुए कहा कि हमे कोई ज़रूरत नहीं किसी से बात करने की, साथ ही लड़के ने यह भी लिखा कि राहुल गांधी की बात सही थी|

आगे की बात जानने से पहले इस लड़के के बारे में जान लीजिये| एलिएट एंडरसन नाम से ट्वीटर हैंडल चलाने वाले इस लड़के का असली नाम है “बैप्टिस्ट रॉबर्ट”| ये एक एथिकल हैकर है और हैकर्स की दुनिया के सबसे बड़े नामों में एक| दुनिया के नामी न्यूज़ चैनल्स ने हैकिंग के मसले पर रोबर्ट का इंटरव्यू किया है और सलाह भी ली है| कई ऐप और मोबाईल में कमियां ढूढने का श्रेय रोबर्ट को ही जाता है| भारत सरकार से इनका पुराना सम्बन्ध है, और वो ये कि आधार का डाटा लीक हो सकता है और ये कमी इसी आदमी ने निकाली थी|

रोबर्ट ने दावा किया कि उनके ट्वीट के 49 मिनट के बाद भारत सरकार ने उनसे संपर्क साधा और कमी दूर की| भारत सरकार ने दोबारा नथुने फुलाते हुए इसका खंडन किया और कहा कि हैकर कुछ साबित नहीं कर पाया| और नथुने फूलाने के माहिर रविशंकर प्रसाद ने भी कूदते हुए कहा कि इस ऐप में कोई खामी नहीं है,रही बात निजी जानकारी की तो वो पूरी तरह सुरक्षित है|

हैकर ने इस बार जवाब सबूत के साथ दिया और फ़्रांस में रह कर  प्रधानमंत्री मोदी के घर के आस-पास कितने कोरोना संक्रमित हैं इसकी जानकारी निकाल कर ये साबित किया कि इस ऐप में दुनिया के किसी भी कोने से एक एक्सपर्ट दखल दे सकता है|

सभी बातों के बीच 26 मई को भारत सरकार ने मान लिया कि यह एक ओपन सोर्स वाला ऐप है और साथ ही अपनी चोरी छिपाते हुआ कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि जिन नागरिकों के पैसे से यह ऐप बना उन्हें पारदर्शिता मिले|| सनद रहे कि ऐसी लफ्फाजी वो सरकार मार रही है जिसने अब तक पीमएम् केयर पर लाखों करोड़ों सवालों के जावाब तक नहीं दिए उसकी सूचना पारदर्शी करना तो दूर की बात है| साथ ही हवा में तीर मारने की अपनी कला का नमूना पेश करते हुए  देश की जनता को बग चुनौती दी और कहा कि जो इसमें बग ढूंढेगा उसे तीन लाख का इनाम मिलेगा|

सरकार के इस अतिआत्मविश्वास को बंगलौर के एक आईटी एक्सपर्ट “जय” ने मात्र चार घंटे में धराशाही कर दिया और सरकार को अन्धविश्वास और विज्ञान का फर्क दिखा दिया| साथ ही जनता को सबक लेना चाहिए कि किसी पप्पू की सभी बातें पप्पू नहीं होती, कम से कम कोरोना और इस ऐप के मामले में तो ये बात सटीक साबित हुई|

अब जब इतने सबूत जनता के सामने और वह भी सरकार की शर्त पर हैकर्स ने दे दिए हैं तो उसके बावजूद क्यों अपने ही नागरिकों की निजी जानकारी सरकार जुटाना चाहती है? बाजारू उत्पाद बेचने वाले कंपनियों में डाटा की बड़ी मांग है पर उससे भी अधिक संभावना चुनावों को प्रभावित कर सकने की डाटा शक्ति का होना है| और इसी की संभावना प्रबल दिखती है|

 

 

 

 

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Mazdoor Morcha
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