बिहार का चुनाव-प्रचार शुरू
केरल में हथिनी की मौत पर मोदी मंत्रियों का ‘विलाप’
केरल में पिछले दिनों हथिनी की मौत हो गई। हथिनी गर्भवती थी। और करीब 14 दिनों तक पानी में खड़े रहकर उसने प्राण त्यागे। बन विभाग द्वारा उसे बाहर निकालकर उसका इलाज करने की कोशिशें नाकाम रही। इधर हर आपदा में अवसर ढूंढने वाली सरकार ने इस अवसर को तुरंत लपक लिया।
लॉकडाउन में घर जाते सैंकड़ों मज़दूरों की ट्रेन से कट कर, सडक़ दुर्घटनाओं में, भूख प्यास आदि से मौत और बीच सडक़ पर बच्चा जनती मज़दूर महिलाओं की बेबसी और पीड़ा पर भी निर्दयता से चुप्पी साधे बैठी रही केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने तुरन्त इस घटना पर आग उगलना शुरू कर दिया। उन्होंने इसे हत्या बताते हुए इस पर कार्रवाई की मांग की।
मेनका गांधी ने बड़ी बेशर्मी से न सिर्फ मुद्दे को भावुक बनाने की कोशिश की बल्कि इसे केरल के मल्लपुरम जि़ले से जोडक़र इसका साम्प्रदायिकरण करके राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की। बता दें कि मुल्लपुरम केरल का एकमात्र मुस्लिम बहुल जि़ला है जिससे जोडक़र उन्होंने एक तरह से इसे मुस्लिमों से जोडक़र साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की। उधर दूसरे मंत्री जावड़ेकर ने भी कहा कि एक जानवर को फलों में पटाखा खिला कर मारना ये हमारी संस्कृति नहीं है। (यानी ये दूसरी संसकृति वालों ने किया है हमारे विरुद्ध) उन्होंने इसकी जांच करने और दोषियों को सज़ा देने का आश्वासन भी दिया।
बता दें कि जावड़ेकर जी केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री है और उनके मंत्रालय ने अभी हिमाचल प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को मारने की अनुमति कुछ समय के लिये बढ़ा दी है। ये बंदर वहां फसलों को नुक्सान पहुंचाते हैं। इस पर भी पशु प्रेमी मेनका गांधी चुप रही हैं। यानी एक तरफ आराध्य बजरंग बली की हज़ारों संतानों को मारने की खुद अनुमति और दूसरी और एक हाथी की संदिग्ध मौत पर हंगामा। उसे हत्या बताना। इसी पार्र्र्टी की सरकारें गोवा और मेघालय में बीफ पार्टी आयोजित करती हैं, गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो उत्तरी भारत में गौ माता के नाम पर लोगों की ‘मॉब लिचिंग’ करती है।
हथिनी की मौत के सम्बंध में केरल सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार ये घटना पलक्कड़ जि़ले की हैं न कि मल्लपुरम की। यह जानकारी केन्द्र सरकार को व मीडिया में दिये जाने के बावजूद केन्द्रीय मन्त्रियों का लगातार अपने झूठ को दोहराते रहना यह जाहिर करता है कि उनको एक बेजुवान जानवर की मौत से कोई कष्ट नहीं है बल्कि उन्हें तो अपना राजनीतिक मतलब देखना है। यह भी कहा जा रहा है कि हथिनी को एक अनानास खिलाया गया। जिसमें पटखा भरा था जिससे उसकी मौत हो गई। इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है हालांकि उस इलाके में जंगली सूअरों से फसल का बचाव करने के लिये ऐसे तरीके अपनाये जाते हैं। लेकिन एक हथिनी को बेवजह जानबूझकर ऐसा $फल कोई खिलायेगा इसमें संदेह हे।
देश भर में पिछले साल 373 हाथी मारे गये, लेकिन मेनका, जावड़ेकर या किसी भाजपा मंत्री ने उफ्$फ तक नहीं की। हिमाचल में हजारों बंदरों की हत्या की अनुमति दी, सैंकड़ों मज़दूरों की मौत पर एक शब्द तक नहीं बोले, सडक़ पर बच्चा जनती मज़दूर महिलाओं के प्रति झूठी संवेदनायें तक प्रकट नहीं की सफूरा जरगर को गर्भवती होते हुए भी इनकी पुलिस ने जेल में ठूंस दिया और आज वही लोग गर्भवती हथिनी की मौत पर दुख के मारे दुबले हुए जा रहे हैं।
ये उनके पशु प्रेम के कारण नहीं बल्कि चुनाव प्रेम के कारण हैं। इसीलिये केरल का नाम आते ही हंगामा किया गया, इसीलिये पलक्कर की जगह अपनी मर्जी से घटनास्थल मल्लपुरम कर दिया गया। वैसे भी कोरोना से निपटने में केरल का नाम उनकी आंखों की किरकिरी बना हुआ था।
2002 में गुजरात में हुये मुस्लिमों के कत्लेआम में एक गर्भवती महिला के पेट में से बरछे से चीर कर बच्चे को निकाला गया और उसे शहर में घुमाया गया। उस वीभत्स और घृषित घटना की जिन्होंने आज तक निंदा तक नहीं कि हो वो लोग मानव नहीं बल्कि एक हथिनी की मौत पर वास्तव में दुख से भरे होंगे, ऐसा कोई मूर्ख ही सोच सकता है। वास्तव में ये बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार की शुरूआत का ऐलान है।
-आजातशत्रु