ताली-थाली के बाद अब मोदी का दीया…
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
नई दिल्ली: लॉकडाउन के दसवें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को सुबह 9 बजे संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जनता से अपील की है कि वो इस रविवार को रात 9 बजे घर की बाल्कनी में दीया/टॉर्च/मोमबत्ती जलाएं। पीएम का कहना था इससे एकजुटता का संदेश फैलेगा। लेकिन मोदी के इस संदेश का लोगों ने इतना मजाक बनाया, जितना आजतक किसी प्रधानमंत्री के किसी बयान की फजीहत नहीं हुई थी। लोगों ने मोदी के इस संदेश की जमकर आलोचना की। विपक्ष के नेताओं ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन इसमें सबसे ज्यादा बाजी मारी हैदराबाद से एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने। उन्होंने मोदी से चुनचुन कर सवाल किए। भाजपा के नेता ओवैसी के बयान पर चुप्पी साध गए।
अंधेरी रात में…
ज्यादातर लोगों ने दादा कोंडके के दोहरे अर्थों और नाम वाली फिल्मों को याद करते हुए फौरन प्रतिक्रिया दे दी – मोदी जी ने अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में…यह नारा ट्विटर पर बहुत ज्यादा ट्रेंड हुआ। तमाम लोगों ने इसके पोस्टर बनाकर जारी कर दिए। कुछ लोगों ने लिखा कि मोदी को जब अपने भक्तों को टेस्ट करना होता है तब वो ऐसी हरकते अपने मूर्ख भक्तों से कराते हैं। अगर मोदी इन लोगों से छत पर या पेड़ पर उल्टा लटकने को कहेंगे तो भक्त वो भी करेंगे।
ओवैसी के तीखे सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विट करते हुए लिखा है कि यह देश इवेंट मैनेजमेंट कंपनी नहीं है। भारत के लोग इंसान हैं जिनके सपने और उम्मीदें भी हैं। 9 मिनट की नौटंकी में हमारी जिंदगी को कम मत करो।
इसके साथ ही ओवैसी ने पीएमओ को टैग करते हुए लिखा है कि हम जानना चाहते थे कि राज्यों को क्या सहायता मिलेगी और गरीबों को क्या राहत मिलेगी। लेकिन इसके बजाय हमें कुछ नया ड्रामा मिला।
ओवैसी ने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि यह ट्यूब-लाइट आइडिया वास्तव में यूनीक था। पूरे भारत में लाखों भूखे, गरीब और बेघर लोग प्रवासियों के रूप में अपने घरों के लिए जा रहे हैं, मैं पूछना चाहता हूं लाइट कहां है। ओवैसी ने आगे पीएमओ से कहा है कि मुझे पता है कि आप केवल पॉजिटिव वाइब्स चाहते हैं और कुछ मुद्दों को उठाना नहीं चाहते हैं, लेकिन लाइट कहां है?
अपने तीसरे ट्वीट में ओवैसी ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट में आपके वकीलों का कहना है कि इन प्रवासियों में से एक तिहाई शायद संक्रमण ले जा रहे हों जबकि आपका स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का कोई प्रमाण नहीं है। लाइट कहां है, पीएमओ।
अपने चौथे ट्वीट में ओवैसी लिखते हैं कि एक अनियोजित लॉकडाउन का मतलब गरीबों का अधिक से अधिक कष्ट सहना है। आपने उन्हें अमीरों के दान और राज्यों की सीमित आर्थिक क्षमताओं के सहारे छोड़ दिया है। जब सीएम आपसे वित्तीय राहत मांगते हैं, तो आप उनसे अपनी लाइट बंद करने को कहते हैं?
अपने पांचवे ट्वीट में ओवैसी ने लिखा है कि अंधकारमय बैंकिंग क्षेत्र के बारे में पीएमओ का क्या कहना है? हमारी बढ़ती एनपीए समस्या दूर नहीं हो रही है। आपका कोरोना संकट से पूर्व का आर्थिक संकट अब एक आसन्न वित्तीय आपदा बन जाएगी। हमारी बचत का क्या होगा? बैंकों का क्या होगा?
अपने अंतिम और छठवें ट्वीट में ओवैसी ने लिखा है कि अपने लाखों, करोड़ों के ‘राहत’ पर कुछ लाइट डालें। इससे भारत के 90 प्रतिशत मजदूरों को फायदा होगा जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं।
बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने ताली-थाली भी बजवाई थी और इसके बाद लाइट जलवा रहे हैं। इसी पर एक यूजर ने मजे लेते हुए लिखा है कि अबकी बार सभी घरों की दीवारों पर लिखा जाएगा ‘ओ कोरोना कल आना’। शायद इसी से कोरोना भाग जाए।
बिहार में यादव बंधुओं का हमला
बिहार से जहां पीएम के संबोधन के बाद वहां ट्वीट वॉर शुरु हो गया। लालू के लाल तेजप्रताप ने पीएम की दीया, मोमबत्ती, या मोबाइल टॉर्च जलाने पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया कि आप चाहें तो लालटेन भी जला सकते हैं।
इस पर पलटवार करते हुए बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि लालटेन का जमाना चला गया। मोबाइल तो सबके पास है इसलिए पीएम ने लालटेन का जिक्र नहीं किया, समझे बबुआ।
अबकी बारी तेजप्रताप यादव की थी। उन्होंने लिखा, ‘हल्की सी हवा में भी लालटेन को देखकर मोमबत्ती अन्धकार मिटाने का कार्य बंद कर देती है बल्कि गहनतम अन्धकार में भी टिमटिमाती हुई लालटेन भुले-भटके राहगीरों का मार्गदर्शन कराती आई है। समझे चच्चा।
शिवसेना भी पीछे नहीं
शिवसेना के भीष्म पितामह यानि संजय राउत ने कहा कि जब लोगों को ताली बजाने के लिए कहा गया तो उन्होंने सडक़ों पर भीड़ लगाई और ड्रमों को पीटा। इस बार मुझे उम्मीद है कि अब वे अपने घरों को नहीं जलाएंगे। सर (पीएम) दीया तो जलाएंगे लेकिन कृपया हमें बताएं कि सरकार हालत सुधारने के लिए क्या कर रही है? इसी तरह उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण मंत्री जितेंद्र चव्हाण ने कहा कि वे रविवार को दीया या मोमबत्ती नहीं जलाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह का नाटक कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि जब मोदी को जनता की परेशानियों का निदान करना चाहिए वे फिजूल के इवेंट में लगे हुए हैं।
फराह खान का तीखा बयान
पीएम मोदी के इस वीडियो मैसेज के बाद फराह खान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि लोगों ने तालियां बजाईं, घंटियां बजाईं, थालियां बजाईं और यहां तक कि पीएम केयर फंड में दान भी दिया और अब 5 अप्रैल को वह मोमबत्तियां भी जलाएंगे। क्या अब सरकार एक अच्छे अर्थशास्त्री को नियुक्त कर सकती है जो इस देश को आर्थिक तबाही से बचाने के लिए एक वास्तविक उपाय कर सके अन्यथा हम बर्बाद हो जाएंगे।
मालूम हो कि जूलरी डिजाइनर फराह खान अली बॉलीवुड के मशहूर एक्टर संजय खान की बेटी हैं,जो कि सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं, इससे पहले भी वो मोदी सरकार के कामों पर कई बार सवाल कर चुकी हैं।
कोर्ट कहे रिहा करो, पुलिस कहे गिरफ्तार करेंगे
कोरोना वायरस की महामारी को जेलों में फैलने से रोकने के लिये पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अभूतपूर्व आदेश जारी किया। इशु ग्रोवर की याचिका पर वीडियो कान्फेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुये जस्टिस हरनरेश ने यह आदेश जारी किया। उन्होंने कैदियों को बिना जमानती बाण्ड भरे ही रिहा करने के आदेश दिये ताकि जेलों में भीड़ कम करके सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। यह आदेश पूरे पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में लागू होंगे।
उधर एसएसपी बरनाला (पंजाब) के बताकर वायरल हो रहे एक आडियो में वे साफ आदेश देते सुन रहे हैं कि कफ्र्यू में बाहर घूमने वाले लोगों को पकड़ कर जेलों में बन्द किया जाये। वे कहते सुन रहे हैं कि हर नाके पर कम से कम 20 मोटरसाईकिल, स्कूटर को जब्त किया जाये और उनके चालकों को गिरफ्तार करके उन्हें रिपोर्ट दी जाये। हरियाणा और चंडीगढ में भी लॉकडाऊन के दौरान बाहर निकलने वालों को बंद करने के लिये अस्थायी जेलें बनाने की सूचना है। ठीक ही है जब मोदी जी डॉक्टरों से उपर हैं तो पुलिस व सरकार कोर्टों से ऊपर क्यों नहीं हो सकती? वैसे भी गरीब आदमी बाहर निकलते ही रोटी मांगता है तो उसे छीत्तर मारकर भीतर रखना ही ठीक है!
पुलिस पर डबल मार
हरियाणा पुलिस मुख्यालय से जारी एक निर्देश के अनुसार हरियाणा के सभी पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री कोरोना राहत-कोष में तीन दिन का वेतन जमा करवायेंगे। हालांकि गृहमंत्री अनिल विज ने 30 मार्च को हुई कैबिनट की मीटिंग में इस पर कड़ी आपत्ति जताई तो मुख्यमंत्री ने कहा कि सहमति लिए बिना किसी का भी वेतन नहीं काटा जायेगा। अब ये तो एक बच्चा भी जानता है कि यह सहमति की बात कितनी खोखली है। कोई भी कर्मचारी अपने उपर वाले अफसर के आदेश के बाद चाहे जबानी ही हो, ये सरकारी फिरौती देने से मना नहीं कर सकता।
उधर एक पुलिस वाले ने बड़े ही दुखी मन से कहा कि उनके उपर तो दोहरी मार हो रही है। एक तो लॉकडाऊन के कारण सारी मन्थली (उपरी कमाई) बंद पड़ी है उपर से वेतन में भी कटौती। शायद इस खुन्दक में पुलिस वाले लोगों को पकड़ कर ज्यादा पीट रहे हैं!
महामारी के डर से खिलाड़ी भी सहमे और भक्त भी
कोरोना महामारी के डर से इंगलैंड में होने वाले प्रतिष्ठित और सबसे पुराने विंम्बलडन टूर्नामेंट को रद्द कर दिया गया है। हर साल होने वाली लान टेनिस की ये प्रतियोगिता 29 जून से 12 जुलाई के बीच होनी थी। अब यह अगले साल 28 जून से 11 जुलाई के बीच होगी। सन् 1877 में शुरू हुयी लॉनटेनिस की यह प्रतियोगिता दो विश्वयुद्धों को छोडक़र हर साल आयोजित होती रही है। सिर्फ पहले विश्वयुद्ध के समय 1915 से 1918 तक और दूसरे विश्वयुद्ध के समय 1940 से 1945 तक यह प्रतियोगिता आयोजित नहीं की जा सकी थी। इससे पहले जापान के टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों को भी अगले साल तक के लिये स्थगित किया जा चुका है।
उधर भगवान पर भी कोरोना के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं बड़े-बड़े मंदिरों के दरवाजे बन्द है तो अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई है। सऊदी अरब में होने वाली धार्मिक यात्रा उमरा तो पहले ही निलम्बित कर दी गई थी अब उसने सभी मुसलमानों से हज यात्रा भी न करने की अपील की है। संकट की इस घड़ी में बहुत सारे भक्तों ने पाला बदल लिया है। वे भगवान को छोडक़र विज्ञान की शरण में आ गये हैं। सिर्फ भक्तों का एक वर्ग अंध भक्त ही अडिग है। वो अब भी कभी चीन को गालियां देता है तो कभी मुसलमानों को। लेकिन इलाज के लिये वह भी विज्ञान की शरण में ही जाता है। ऐसे लगता है विज्ञान ने धर्म पर, अज्ञान पर फिलहाल विजय पा ली है।