मजदूर मोर्चा ब्यूरो
‘जब तवक़्क़ो ही उठ गई ‘ग़ालिब’
क्यूं किसी का गिला करे कोई।’
मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर व उनके ‘डिप्टी’ दुष्यंत चौटाला दोनों कह रहे हैं कि धान खरीद में कोई ‘घोटाला’ नहीं हुआ। उनका मानना है कि ‘धान खरीद में घोटाला नहीं हुआ बल्कि अनियमितताएं हुई हैं?’ हैरान करने वाली बात यह है कि कुर्सी मिलने के पहले जहां दुष्यंत और इसके घर वालों को घोटाले ही घोटाले नजऱ आया करते थे, अब कुर्सी मिलते ही उस पर बैठ जैड सिक्योरिटी मिलने के बाद सब कुछ पाक साफ़, दूध सा सफेद व गंगाजल सा पवित्र दिखाई देने लगा है। चारों और विकास और ईमानदार सरकार नज्रर आने लगी? अब सरकार में भ्रष्टाचार की बू नही आती। अब खट्टर काका दूध के धुले दिखाई देने लगे। अब बड़े खट्टर व छोटे खट्टर की जोड़ी एक सुर ताल मिला रही है। शंकर जयकिशन की जोड़ी से भी बेहतर युगल थाप दे रही है।
इश्क जब हो जाये,तो हैसियत क्या देखना साहेब?
इसके अलावा आप बिना जांच कराए और जांच रिपोर्ट के बिना यह कैसे कह सकते हैं कि घोटाला नहीं हुआ? जब अनियमितता हुई है तो यह जांच कराने के लिए सबूत के तौर पर मुक्कमल आधार है। यदि जांच हुई तो घोटाला अवस्य निकलेगा। चूंकि आप जांच कराए बगैर लीपा-पोती कर मामले को रफादफा कर अपना पल्लू झाडऩा चाहते हैं। कहीं जांच से पर्दा उठ न जाए? इससे भी बड़ा घोटाला सामने जिन्न के रुप में प्रकट न हो जाए। आपकी तथकथित ईमानदारी जो आप में लेशमात्र भी नहीं है का नंगा न कर दे। सो आप का सच्चा है।
मामला सामने आएगा तो जाहिर तौर पर करोडों का लेन देन उगते सूरज की तरह प्रकट होगा । यदि जांच होती है तो जांच में यह निश्चित तौर पर आएगा कि सरकार में उच्चस्तर पर बैठे तथा जुड़े कितने प्रभावशाली लोगों ने धान घोटाले को जन्म दिया और इस को शरण देने के एवज में रिश्वत और कमीशन खाया है। और तो और फर्जी वेरिफिकेसन का खेल खेल कर किस तरह मोटी रकम मिल मालिकों से वसूली गई है?
आज जांच कराने के लिए भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से लिखित शिकायत मांग रहे हैं खट्टर काका। ये शिकायत आज पूर्व नेता विपक्ष से क्यों नहीं लेते जो बार बार चीख चीख कर ये आवाज उठा रहे हैं?
ये तय है कि आज जांच नहीं करवाएंगे क्योंकि आज की झूठी ईमानदारी का लबादा तार-तार हो जाएगा। भाजपा की परंपरा ये ही रही है हमेशा घोटालों पर पर्दा डालने-दबाने का रहा है उजागर करने का कभी नहीं।
मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा गालिब
यह न सोचा के एक दिन अ नी साँस भी बेवफा हो जाएगी।
ये सब अंध भक्तों के समझ से बाहर का मामला है मगर समझते हुए भी ये लोग नासमझ ही बनें रहेंगे। यह भ्रम कि दुष्यंत हैं तो बदलाव आएगा। खट्टर है तो भ्रष्टाचार नही होगा जो की पिछले पांच सालों में हर आम आदमी अपनी आंखों से फलते फूलते भ्रष्टाचार का नग्न नाच देखते हुए आ रहे हैं। हो सकता हो कुछ लोग जो अन्ध भक्तों की श्रेणी में आते हैं शायद अब भी ठीक से समझना न चाहें मगर सच्चाई तो पूरी तरह से उजागर होकर सामने आ चुकी है। बिल्ली को देख कबूतर आंख मूदंने की कहावत पूरी तरह चरितार्थ।
हरियाणा का कुछ नये आयाम स्थापित करने का इतिहास भी रहा है … आयाराम गयाराम का चलन भी यहीं से शुरु हुआ अब ये गठबंधन कम बल्कि ठगबंधन ज्यादा एक और काले अध्याय को जोडऩे का काम करेगा। ये महलों रिवाजों की दुनियां… ये चांदी के सिक्कों की खनक… ये पद उंची कुर्सी, मोटी कमाई, जैड सुरक्षा बामुस्किल हासिल जनता जाये भाड़ में, तुम्हारा नाम लेने से मुझे सब जान जाते हैं मैं वो खोई हुई इक चीज हूँ जिसका पता तुम हो…