किसानों को मोदी के पैसे का इंतजार केंद्र सरकार का दावा : साढ़े 14 लाख किसानों को करोड़ों बांट दिये

किसानों को मोदी के पैसे का इंतजार  केंद्र सरकार का दावा : साढ़े 14 लाख किसानों को करोड़ों बांट दिये
February 22 06:54 2020

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: मोदी सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लागू हुए 11 महीने हो चुके हैं। अकेले हरियाणा में 78040 किसानों को पैसे की पहली किश्त तक नहीं मिली है। यू पी,  पंजाब और अन्य राज्य के किसानों की संख्या तो हरियाणा से भी ज्यादा है। हरियाणा में किसान पहली किश्त पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने इससे संबंधित फॉर्मों पर आधार और खाता नंबर तक भर दिए हैं लेकिन उन्हें इस केंद्रीय योजना का एक पैसा भी नहीं मिला है।

अगर आप इस योजना से संबंधित भारत सरकार के पोर्टल पर नजर डालेंगे तो वहां लिखा हुआ है कि हरियाणा के 15,22,677 किसान लाभार्थियों में से14,44,637 किसानों को 30 जनवरी 2020 तकं पहली किश्त का पैसा दिया जा चुका है। भारत सरकार के इसी पोर्टल पर लिखा है कि 14,13,152 किसानों को दूसरी किश्त, 13,35,144 किसानों को तीसरी किश्त और 8,68,308 किसानों को इस योजना की चौथी किश्त का भी पैसा दे दिया गया है।

हरियाणा की हकीकत क्या है

हरियाणा के जमीनी हालात भारत सरकार की इस योजना की पोल खोलने के लिए काफी हैं। हरियाणा के इन जिलों में अभी पहली किश्त का ही पैसा किसानों को नहीं मिला है। इनमें रोहतक में 12,273 किसान, भिवानी में 12,114 किसान, जींद में 6783 किसान, कुरुक्षेत्र में 5866 किसान, रेवाड़ी में 5421 किसान,  सोनीपत में 5372 किसान, मेवात में 4725 किसान, झज्जर में 4573 किसान, करनाल में 3741 किसान, फतेहाबाद में 3495 किसान, चरखीदादरी में 2966 किसान, महेंद्रगढ़ में 2873 किसान, यमुनानगर में 2555 किसान, पानीपत में 1897 किसान, सिरसा में 1639 किसान,  पलवल में 1389 किसान, गुडग़ांव में 450 किसान, कैथल में 384 किसान, फरीदाबाद में 343 किसान, अंबाला में 341 किसान और  पंचकूला जिले में 132 किसानों को इस केंद्रीय योजना की एक दमड़ी भी पहली किश्त में नहीं मिली है।

दो साल हो गए योजना शुरू हुए

यह योजना प्रधानमंत्री मोदी ने 1 दिसंबर 2018 में शुरू की थी। एक साल का समय था कि किसान इस दौरान अपना फॉर्म भर लें और दस्तावेज जमा करा दें, ताकि उन्हें इस योजना का लाभ 1 फरवरी 2019 से मिल सके। आज ठीक 1 फरवरी 2020 है और किसानों के खाते में एक नया पैसा नहीं आया है। जब योजना शुरू की गई थी तो छोटे किसानों और किसान मजदूरों को किसानों को आर्थिक सहायता के तौर पर 6 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी। केहर सिंह नामक किसान ने कहा कि मैंने पिछले साल इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन अब तक एक पैसा भी मेरे बैंक खाते में नहीं आया। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष सेवा सिंह आर्य की मांग है कि सरकार हरियाणा में कम से कम पहली किश्त का पैसा तो जारी करे। उन्होंने कहा कि फॉर्म भरने के बाद आधार नंबर न बताने वाले किसानों का उत्पीडन किया गया। सरकार को चाहिए अपने डेटा को ठीक करे और किसानों का उत्पीड़न बंद किया जाए।

हरियाणा कृषि विभाग के संयुक्त सचिव जगराज डांडी ने कहा कि लाभार्थियों को पहली किस्त बांटने की प्रक्रिया चल रही है। लाभार्थियों का वेरिफिकेशन हो चुका है और डेटा अपडेट कर दिया गया है। पहले आधार नंबर इस योजना में जरूरी नहीं था लेकिन बाद में इसकी जरूरत पड़ी और डेटा फिर से अपडेट किया गया।

आखिर पैसा कहां जा रहा है

योजना की शुरुआत  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी 2018 में यूपी के गोरखपुर से की थी। इस स्कीम के तहत साल भर में 87 हजार करोड़ रुपये किसानों के बैंक खाते में डाले जाने थे, जिसमें से अब तक करीब 30 हजार करोड़ खर्च हुए हैं| तीसरी किश्त सिर्फ 3.74 करोड़ लोगों को ही मिल सकी है। इसी तरह दूसरी किश्त लेने वाले किसानों की संख्या करीब 6.25 करोड़ है जबकि देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं। आधार वेरीफिकेशन में देरी की वजह से तीसरी और अंतिम किश्त का पैसा पहुंचने में देर हो रही है। लेकिन भारत सरकार के दावों के विपरीत किसी भी राज्य में इस पैसे के बांटे जाने को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है।

अन्य राज्यों का हाल भी जानें

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक भाजपा शासित कर्नाटक में 7,55,026 किसानों को पैसा मिल चुका है। पंजाब के 13,35,601 किसान लाभान्वित हो चुके हैं। हालांकि कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश में काफी कम रकम  पहुंची है। 24 जून तक की रपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में सिर्फ 12,888 किसानों को फायदा मिला है। बिहार के 7,82,885, छत्तीसगढ़ के 4,36,119, और उत्तराखंड के 4,29,082 किसानों को लाभ मिला है। दूसरी किस्त करीब तीन करोड़ किसानों को मिल चुकी है। हालांकि कृषि मंत्रालय के कई सूत्रों ने इस बात पर शक जताया है कि हरियाणा के मुकाबले बिहार जैसे बड़े राज्य में करीब आठ लाख किसानों को इतनी जल्दी पैसा बांटा जाना नामुमकिन है क्योंकि वहां आज भी आधुनिक बैंकिंग सिस्टम में तमाम खामिया हैं।

छोटे किसानों के लिए शुरू की गई योजना में कई खामियां भी हैं, इसके अलावा योजना के लाभ के लिये आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है।

इस बारे में बेंगलुरू स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा, छोटे किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से यह योजना लाई गई लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लाभार्थियों की सूची लगातार घट रही है। यह बताता है कि बड़ी संख्या में किसान इस योजना से बाहर हो रहे हैं। पोर्टल पर डाले गये आंकड़ों में विसंगतियां पायी गयी हैं। इसके अलावा योजना के लाभ के लिए आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। शायद इसी कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है।

कहां करें शिकायत

सोमवार से शुक्रवार तक पीएम-किसान हेल्प डेस्क के ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। वहां से भी न बात बने तो इस सेल के फोन नंबर 011-23381092-डायरैक्ट हैल् लाईन पर फोन करें।

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