फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बीते करीब एक साल से 200 करोड़ के निगम घोटाले की फुटबॉल बना रखी है। न जाने सरकार किसको बेवकूफ समझती है और किसे बेबकूफ बनाना चाहती है। अंधे को भी दिखता है कि निगम आयुक्त की मर्जी एवं मिलीभगत के बगैर इतने बड़े-बड़े घोटाले नहीं हो सकते।
इस महत्वपूर्ण तथ्य के बावजूद अभी तक इस बात का तमाशा बना हुआ है कि निगमायुक्तों से पूछताछ की जाये या नहीं? अजीब कानून है कि बड़े चोर को पकडऩे के लिये सरकार की परमीशन की जरूरत पड़ती है। घोटाले से सम्बन्धित अभी तक छोटे-मोटे कर्मचारियों व ठेकेदारों की तो खूब अच्छी तरह विजिलेंस द्वारा धुनाई की जा चुकी है परन्तु घोटाले के असल जिम्मेदार कभी हाई कोर्ट तो कभी कानून की आड़ में छिपकर बैठे हैं। दरअसल ये कानून व हाईकोर्ट उन्हीं लोगों द्वारा बनाये गये हैं जो लोग खुलेआम डकैतियां डाल रहे हैं। वरना मतलब क्या है ऐसे कानून का जो घोटालेबाजों को संरक्षण देता हो। एक ओर तो कहा जाता है कि कानून सभी के लिये बराबर है। दूसरी ओर बड़े गुनाहगारों को बचने में भी यही कानून मदद करता नजर आता है।
दरअसल इस तरह के मोटे घोटाले जिसमें सैंकड़ों करोड़ के काम धरातल पर न होकर केवल फाइलों में कर लिये गये हों, केवल निगमायुक्तों की मर्जी से नहीं हो सकते। शहर में विपक्ष के अतिरिक्त सत्ता पक्ष के विधायक सांसद एवं मंत्री भी मौजूद रहते हैं। मुख्यमंत्री भी कहीं और आये-जाये या नहीं परन्तु फरीदाबाद-गुडग़ांव तो वे ऐसे आते-जाते रहते हैंं मानो अपने घर के आंगन में टहल रहे हों। क्या इन सबको यह नहीं दिखाई दे रहा था कि काम के नाम पर निकलने वाला सैंकड़ों करोड़ रुपया आखिर जा कहां रहा है? सबको सब कुछ दिखता रहा है और सबने मिल-बांट कर जनता के इस धन को डकारा है। भेद खुल जाने के बाद अब जनता को बहलाने के लिये मुकदमे की नौटंकी की जा रही है। किसी से कोई बरामदगी होने वाली नहीं है। इतना ही नहीं नगर निगम में लूट कमाई का मोटा धंधा आज भी बरकरार है।
इस मोटे घोटाले के समय पर सोनल गोयल, मोहम्मद शाइन और अनीता यादव निगमायुक्त रहे हैं। ये तीनों ही आईएएस अधिकारी हैं। इन तीनों पर हाथ डालने की हिम्मत खट्टर का विजिलेंस विभाग नहीं कर पा रहा। अब खट्टर जी ने विजिलेंस विभाग का नाम बदल कर एंटी करप्शन ब्यूरो रख दिया है। नाम बदलने में माहिर इन भाजपाईयों से कोई पूछे कि इससे किसी के गुण स्वभाव में कोई परिवर्तन आ जाता है क्या? जो काम विजिलेंस विभाग नहीं कर सका तो क्या नाम बदले जाने के बाद वही विभाग अब कुछ ज्यादा बेहतर कर पायेगा? नाम बदले जाने के बावजूद भी विभाग का मुखिया तथा अन्य अघिकारी भी ज्यों के त्यों कायम हैं विभाग के मुखिया शत्रुजीत कपूर आगामी चार माह बाद हरियाणा पुलिस प्रमुख बनने की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में वे वैसे ही नाच रहे हैं जैसे खट्टर जी नचा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि इन तीनों आईएएस अफसरों को गिरफ्तार करने के लिये किसी परमीशन की आवश्यकता नहीं होती, आवश्यकता केवल मुकदमा चलाने के वक्त होती है।