20 मिनट के जाम में ही बिलबिला गये मोदी, ‘मौत’ भी नज़र आ गई

20 मिनट के जाम में ही बिलबिला गये  मोदी, ‘मौत’ भी नज़र आ गई
January 10 03:05 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
मात्र 20 मिनट के लिये जाम में फंस कर बिलबिलाने वाले नरेन्द्र मोदी को शायद अब समझ आ गई होगी कि उन यात्रियों पर क्या बीतती होगी जो सरकारी बदइंतजामियों के चलते घंटों-घंटों और कई बार तो पूरी-पूरी रात जाम में फंसे रहते हैं। इस जाम के दौरान भी मोदी के पास तगड़ा सुरक्षा कवच व तमाम आवश्यक सुविधायें भी मौजूद थीं, जबकि जाम में फंसे आम लोग तो पानी पीने तक को तरस जाते हैं तथा असुरक्षा का भय अलग से रहता है।

अपनी मांगो के लिये धरना प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी जब रास्ता जाम करते हैं तो आम जनता को उससे होने वाली परेशानी को मोदी सरकार ने कभी समझने की कोशिश नहीं की। बीते करीब डेढ़ साल, लगातार धरनों प्रदर्शनों का दौर चलता रहा। यद्यपि दिल्ली के सीमाओं पर बैठे किसानों ने दिल्ली में प्रवेश के रास्ते बंद नहीं किये थे, फिर  भी उनके सिर पर इसका इल्जाम थोपने के लिये मोदी ने खुद सडक़ें बंद करवा दी थी। उद्देश्य केवल यह था कि जनता जितनी परेशान होगी प्रदर्शणकारी किसानों पर उतना ही अधिक सामाजिक दबाव बनेगा, जबकि यह दबाव बन रहा था मोदी सरकार पर। लेकिन मोदी पूरी बेशर्मी के साथ उस दबाव से अप्रभावित होने का ड्रामा करते रहे।

मौजूदा मामले को जिस तरह से भाजपाई उछाल कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं उससे उनकी मक्कारी एवं झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने की महारत खुल कर सामने आ रही है। मोदी का प्रोग्राम पंजाब के फिरोजपुर  में एक रैली को सम्बोधित करने का था। इसके लिये वे हवाई जहाज द्वारा भटिंडा एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से उनको हेलीकॉप्टर द्वारा रैली स्थल पर पहुंचना था। बरसात होने के कारण हेलीकॉप्टर यात्रा में मोदी को जान का खतरा नजर आया तो उन्होंने सडक़ मार्ग से जाने का फैसला किया। इतना ही नहीं रैली स्थल से पहले वे हुसैनी वाला स्थित शहीद स्मारक होकर जाना चाहते थे। प्रोग्राम में अचानक हुए इस परिवर्तन की कोई सूचना पहले से पंजाब सरकार को नहीं थी।

वास्तव में प्रधानमंत्री का पूरा कार्यक्रम दिल्ली स्थित उनके कार्यालय से ही तय करके सम्बन्धित राज्यों को भेजा जाता है। अचानक हुए इस परिवर्तन की सूचना जब पंजाब के डीजीपी को दी गई तो उन्होंने तुर्त-फुर्त यथासम्भव प्रबन्ध भी किये। रही बात किसानों के धरने द्वारा सडक़ जाम करने की, तो यह कोई नई बात नही है। मोदी जी तो एक जाम का ही रोना रो रहे हैं जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जैसे नेता तो हेलीकॉप्टर तक से भी अपने क्षेत्रों में नहीं उतर सकते।

इसका तमाशा, बीते दिनों जब सारी दुनियां ने देखा था तो मोदी जी ने भी जरूर देखा ही होगा। सवाल यह पैदा होता है कि जब नेताओं के कुकर्मों के चलते जनता उनके विरोध में उतर आती है तो क्या ये नेतागण लाठी-गोली के दम पर सभा कर पायेंगे?

एक और मजे की बात तो यह भी है कि जब बारिश की वजह से मोदी हेलीकॉप्टर से नहीं जा सकते थे तो क्या वे पंजाब में इतने लोकप्रिय थे कि जनता उनके दर्शनों एवं प्रवचन सुनने को बारिश में बैठ कर प्रतीक्षा कर रही होगी? बिल्कुल नहीं। वहां मात्र 100-200 लोग छतरियां लिये बैठे देखे गये थे। ऐसे में शातिर दिमाग मोदी ने बजाय रैलीस्थल पर जा कर अपनी भद्द पिटवाने की बजाय वापस लौटते हुए पंजाब सरकार के सिर दोष मढऩा ज्यादा बेहतर समझा। आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें मारने की साजिश की गई थी। जबकि सैंकड़ों सुरक्षाकर्मियों के घेरे में, अपनी आराम देह कार में पसरे मोदी की ओर कोई भी किसान न तो लपका और न ही किसी ने एक कंकड़ तक उछाला। इसके बावजूद अपना फितनापन दिखाते हुए मोदी ने जिंदा बच निकलने के लिये पंजाब के मुख्यमंत्री का धन्यबाद  किया।

संदर्भवश सुधी पाठक याद करें कि जब 30 जुलाई 1987 में श्रीलंका में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी गार्ड ऑफ ऑनर ले रहे थे तो एक सिपाही ने निकल कर उनके कंधे पर रायफल का बट पूरे ज़ोर से मारा था। उसका निशाना तो सिर रहा लेकिन निशाना चूकने से वार कंधे तक ही रह गया। इसके बावजूद राजीव गांधी ने कोई ड्रामेबाजी नहीं की और न ही उनकी पार्टी ने कोई हो हल्ला अथवा मोदी स्टाइल की नाटकबाज़ी की। इतना ही नहीं सन 1947-48 में जब नये-नये प्रधानमंत्री बने जवाहरलाल नेहरू पंजाब का दौरा कर रहे थे तो सैंकड़ों किसानों ने सडक़ पर आकर उनका रास्ता रोक लिया। जवाहर लाल न तो रोये न ही बिलबिलाये और न ही वहां से भागे। वे आराम से अपनी गाड़ी से उतरे और रास्ता रोकने वाले किसानों की बीच पहुंच गये और उनकी बात एवं समस्यायें सुनी। इतिहास प्रधानमंत्रियों के ऐसे किस्सों से पटा पड़ा है। वे भीड़ से डरकर भागे नहीं थे। क्योंकि वे जनता के नेता थे और उन्हें अपनी जनता पर भरोसा था। वे मोदी की तरह कायर और ड्रामेबाज नहीं थे।

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