एनएच-3 पुलिस ने वकील को पीटा, पैसे वसूले
फरीदाबाद (म.मो.) बीते 18 अगस्त की रात पेशे से वकील रजत तीन मित्रों के साथ एनआईटी वन स्थित रेस्टोरेंट से अपने दोस्त की पार्टी से अपनी-अपनी स्कूटी पर सेक्टर 21बी अपने घर लौट रहे थे, रास्ते में स्कूटी रोक कर लघुशंका के लिए रुक गए। अचानक पुलिस की एक जिप्सी आ कर रुकी जिसमे से सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह और एक अन्य सिपाही उतरे और बिना बात किये चारों दोस्तों को पीटने लगे और उन्हें जिप्सी में बैठा लिया।
फरीदाबाद एनआईटी तीन थाना क्षेत्र में पुलिसिया गुंडागर्दी के इस मामले में सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र और हवलदार विनोद पर आरोप लगा है। आरोप है कि चौकी में चारों को पीटते हुए सुरेन्द्र और हवलदार विनोद ने उनके फोन भी छीन लिए और स्कूटी की चाभियाँ भी रख लीं। इसके बाद चारों लडक़ों को बीके अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका बिना किसी तरह का टेस्ट किये ही किसी कागज पर जबरन उनके दस्तखत भी विनोद और सुरेन्द्र ने करवा लिए। जब रजत ने वकील होने के नाते कागज को पढने की बात कही तो सुरेन्द्र ने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘अभी कोई कसर बाकी रह गयी है?’’
अस्पताल से वापस चौकी में ले जाकर बैठा देने के बाद रात भर उनसे उनकी जाति जानने पर विशेष जोर देते हुए माँ-बहन की गलियां भी दीं और बीच-बीच में मारते भी रहे। हवलदार विनोद ने कहा, कि अपने घर से किसी जमानती को बुला लो। रजत और अन्य ने जब फोन देने की गुहार लगाई तो विनोद ने कहा, क्या हमने रात ऐसे ही काली की है, और फोन देने के बदले आठ हजार रुपयों की मांग की।
आरोप है कि 19 अगस्त की सुबह करीब आठ बजे चार हजार रुपये लेकर हवलदार विनोद ने सबके फोन वापस किये और स्कूटी को कोर्ट से छुडवाने का कह कर उसे जब्त कर लिया।
पुलिस पर लगे आरोपों पर जब मज़दूर मोर्चा ने एनआईटी तीन के चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र को फोन कर इस बाबत जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि ये लडके सडक़ पर रात को एक बजे शराब पी रहे थे और उन्होंने उन पर एक्साइज की धारा 68 लगाकर बंद दिया। सुरेन्द्र ने अस्पताल में टेस्ट न कराने की बात स्वीकारते हुए बताया, क्योंकि पुलिस ही जमानत दे रही थी तो किसी भी टेस्ट की आवश्यकता नहीं थी।
इसके अलावा एसआई सुरेन्द्र ने सभी आरोपों को झूठ बताते हुए कहा कि क्योंकि उन्होंने मुकदमा दर्ज कर लिया इसलिए अब यह लोग उन पर आरोप लगाएंगे ही।
ये रुपये रजत ने पास के एटीएम सुबह निकाल कर दिये। बहरहाल मामले की सच्चाई सामने आने तक मजदूर मोर्चा इसपर अपनी नजर बनाये हुए है।
पर इस बीच पूरे शहर में यह मुनादी करवाने वाले कि 100 नंबर पर कॉल की जगह सदा थाने को संपर्क करें, शहर पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह क्या सच में अपनी पुलिस को लूट और डकैत पुलिस के शक्ल से बहार ला पायेंगे?