क्या अगले चुनाव में बनेगा यमुना पर मझावली पुल..

क्या अगले चुनाव में बनेगा यमुना पर मझावली पुल..
August 01 15:03 2020

 

केंद्रीय मंत्री की उदासीनता और निष्क्रियता से रुका एक महत्वपूर्ण पुल

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: इस 15 अगस्त 2020 को केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर और उनकी पार्टी के एक वादे को छह साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन हालात बता रहे हैं कि 2024 के अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही उस वादे पर काम होता दिख पायेगा।

जी हां, बात हो रही है उस मझावली पुल की जो यमुना नदी पर हरियाणा के फरीदाबाद को यूपी के ग्रेटर नोएडा से जोड़ेगा। इसके बनने पर नहरपार या ग्रेटर फरीदाबाद की स्थिति और सुधरेगी। इससे दोनों राज्यों के बीच एक और सीधा संपर्क होने का रास्ता खुलेगा। इसके अलावा दोनों तरफ की एक बड़ी गूर्जर आबादी को अभी जिस तरह ग्रेटर नोएडा और नोएडा में अपनी रिश्तेदारियों में घूम कर जाना पड़ता है, उनके लिए यह पुल सामाजिक दूरी को मिटाने का भी काम करेगा। लेकिन कृष्णपाल तो अपने गुर्जर भाइयों के भी काम नहीं आये।

गडकरी की वह कुटिल मुस्कान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 15 अगस्त 2014 को इस प्रस्तावित पुल का शिलान्यास कृष्णपाल के साथ किया था। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद उस वक्त यह कार्यक्रम इतने आननफानन में कृष्णपाल गूर्जर के कहने पर किया गया था कि भाजपा के बाकी नेता भी हैरान थे। गडकरी को राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय का पद मिला था, तब कृष्णपाल गूर्जर इसे तोहफे के तौर पर पेश करने के लिए गडकरी को फरीदाबाद लेकर आ गए थे। लेकिन गडकरी को तब तक यह मालूम नहीं था कि उनके सहयोगी मंत्री प्रॉपर्टी बिजनेस में भी दिलचस्पी रखते हैं। लेकिन जब गडकरी को यहां की जमीनों का सारा किस्सा मालूम हुआ तब तक काफी देर हो चुकी थी। लेकिन कुछ दिन बाद रहस्यमय तरीके से कृष्णपाल गूर्जर का मंत्रालय बदल गया और उन्हें सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण जैसा बहुत ही महत्वहीन मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाकर किनारे कर दिया गया। हालांकि गडकरी खुद भी प्रॉपर्टी बिजनेस में बहुत रुचि रखते हैं और लेकिन अपने मातहत मंत्री को उसी धंधे का पाकर गडकरी खुश नहीं हुए।

मझावली पुल की मौजूदा स्थिति

इस पुल का शिलान्यास होने के बाद एक और लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन दोनों चुनावों से पहले कृष्णपाल गुर्जर यहां का दौरा कर अपनी फोटो गोदी मीडिया में छपवा चुके हैं। इसके बाद उन्होंने इस इलाके में एक विशाल भंडारा आयोजित कर गूर्जर बिरादरी को खीर पूड़ी खिलाकर संतुष्ट करने की कोशिश भी की लेकिन पुल पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। मंझावली औऱ आसपास के गांवों में ज्यादातर आबादी के लिए यह पुल बहुत ही महत्वपूर्ण बन चुका है। उनके लिए रोजगार के कई मौके खोलने वाला भी है लेकिन कृष्णपाल की निष्क्रियता से काम आगे नहीं बढ़ रहा है। ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है या अनजाने में, ये पता नहीं लेकिन लोग इसे अगले चुनाव से जोडक़र देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि 2024 के चुनाव की हलचल शुरू होने से पहले इस पुल पर काम नहीं शुरू होगा। क्योंकि नहरपार के गुर्जरों का वोट पाने के लिए अब कृष्णपाल गूर्जर के पास यही तुरुप का इक्का है।

और भी ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं

अकेला मंझावली पुल ही ऐसा प्रोजेक्ट नहीं है, जो कृष्णपाल के रहमोकरम पर रुका पड़ा हो। कृष्णपाल और उनके सीनियर डिप्टी मेयर पुत्र देवेंद्र चौधरी ने शहर के कई पार्कों में ट्यूबवेल का शिलान्यास किया था लेकिन इस गर्मी में गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों के लिए उन ट्यूबवेलों का काम शुरू ही नहीं किया गया। कुछ पार्कों में शिलान्यास वाली जगहों को ईंट-पत्थर डालकर गायब कर दिया गया है। ताकि जनता को याद ही न रहे कि यहां कभी ट्यूबवेल का शिलान्यास हुआ था। कुछ पार्कों में सुंदरीकरण का काम शुरू हुआ था लेकिन उन्हें चुनाव के बाद रोक दिया गया। चुनाव के दौरान नगर निगम के पार्कों में माली भी दिखते थे लेकिन अब वे माली या तो अफसरों के घर की चाकरी कर रहे हैं या फिर भाजपा नेताओं के घर में माली और भाजपा कार्यकर्ता बनकर नौकरी की मौज ले रहे हैं।

 

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