यदि हथियार एवं सैन्य उपकरण इतने ही गोपनीय होते हैं तो फिर 26 जनवरी को इनका सार्वजनिक प्रदर्शन क्यों किया जाता है?

यदि हथियार एवं सैन्य उपकरण इतने ही गोपनीय होते हैं तो फिर 26 जनवरी को इनका सार्वजनिक प्रदर्शन क्यों किया जाता है?
August 01 14:38 2020

राफेल पर संघी सरकार की समझ से पार नौटंकी

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो दिल्ली

कभी थाली बजाने की नौटंकी तो कभी लाइटें बुझा कर मोमबत्ती जलाने की नौटंकी तो अब पांच राफेल हवाई जहाजों के आगमन पर नौटंकी करने का अवसर भला कैसे छोड़ा जा सकता है। इनकी खरीदारी में हुए घोटाले को फिलहाल छोड़ दीजिये क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ जनता ने भी स्वीकृति की मुहर लगा छोड़ी है। इस लिये इनके भारत आगमन पर संघी सरकार द्वारा नौटंकी करना तो बनता ही है। वैसे इससे पहले फ्रांस जाकर रक्षा मंत्री राजनाथ राफेल की पूजा-अर्चना करके इसके माथे पर टीका लगा कर नींबू-मिर्ची बांधने का प्रदर्शन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कर चुके हैं।

सरकार घोषणा करती है कि बुधवार दोपहर एक बजे ये जहाज अम्बाला के वायुसेना अड्डे पर उतरेंगे। इसके लिये दो दिन से सरकार द्वारा शोर मचाया जा रहा है, दूसरी ओर धारा 144 लगाकर लोगों को हवाई अड्डे के आस-पास एकत्र होने से रोका जा रहा है। पुलिस तमाम काम-काज छोडक़र शहर भर में मुनादी करती फिर रही है कि लोग अपने घरों से न निकलें और न ही घरों की छतों पर चढ कर इन जहाजों को देखने का प्रयास करें। फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी करना अपराध समझा जायेगा। अब कोई पूछे इन मूर्ख संघियों से कि यदि ये जहाज इतने ही गुप्त ज्ञान की वस्तुएं हैं तो बीते चार दिन से इनके आगमन का शोर क्यों मचाया जा रहा है? सबको क्यों बताया जा रहा है कि वे एक बजे अम्बाला में उतरेंगे? ये सब कुछ बिना मुनादी के भी तो हो सकता था।

इन धूर्त संघियों को कोई समझाये कि इन जहाजों में कुछ भी गुप्त नहीं है। वैसे भी आजकल किसी हथियार में कुछ भी गुप्त नहीं रहता। हथियार बनाने वाला देश एवं कंपनी अपना माल बेचने के लिये अपने तमाम ग्राहकों को आकृष्ट करने के लिये अपने हथियारों की तमाम गुणवत्ता का बाकायदा प्रदर्शन करते हैं। वे इस बात के लिये भी पाबंद नहीं होते कि केवल एक ही देश को हथियार बेचेंगे वे हर देश को अपना माल बेच सकते हैं। रही बात $फोटो एवं वीडियोग्रा$फी की तो वह सब तो पहले से ही इन्टरनेट पर मौजूद है। राजनाथ ने जब इस जहाज की सवारी का आनंद लिया था तो सारी दुनिया में उसका लाइव टेलिकास्ट देखा था।

एक बात और समझ नहीं आती कि आखिर यह सरकार इन जहाज़ों को कब तक बिल में छिपा कर रखेगी? अगर इन्हें दुलहन की तरह छिपा कर ही रखना है तो यहां लाये ही क्यों हैं? यदि इनसे वाकई कोई काम लेना है और इन्हें कारगर बनाये रखना है तो इन्हें नियमित उड़ाने भर कर पायलटों को कठिन से कठिन अभ्यास कराने होंगे। और यह काम किसी बिल या गुफा में तो होने से रहा। लिहाज़ा जब भी ये उड़ान भरेंगे और आकाश में अभ्यास करेंगे तो सब को दिखेंगे। आसमान में मौजूद तमाम देशी-विदेशी उपग्रह भी इनकी पूरी वीडियोग्राफी करेंगे। क्या सरकार वहां भी धारा 144 लगा पायेगी?

यदि हथियार एवं सैन्य उपकरण इतने ही गोपनीय होते हैं तो फिर 26 जनवरी को इनका सार्वजनिक प्रदर्शन क्यों किया जाता है? क्या संघी सरकार अपनी इस ‘महान उपलब्धि’ का प्रदर्शन 26 जनवरी की परेड में नहीं करेगी? यह असंभव है। दरअसल यह सारा परपंच जनता की जिज्ञांसा बढाने के लिये किया जा रहा है ताकि जब सरकार इसका प्रदर्शन आयोजित करे तो जिज्ञासु जनता एक दम वाह-वाह कर उठे और कह उठे वाह मोदी जी वाह।

 

 

 

 

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