कोरोना टेस्टिंग के नाम पर भाजपाई नौटंकी एवं जनता से धोखा
फरीदाबाद (म.मो.) सत्तारूढ़ दल जब अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता तो वह तरह-तरह की नौटंकियां करके अपनी जनता को भ्रमित करने का हर संभव प्रयास करता हैं। ऐसा ही एक प्रयास दिनांक 15 जुलाई को बडख़ल क्षेत्र की विधायक सीमा त्रिखा द्वारा एनआईटी के नम्बर 5-एम ब्लॉक में किया गया।
यहां के एक मंदिर में कोरोना टैस्टिंग कैम्प लगाया गया। रैपिड एंटिजन विधि वाले इस टैस्ट में परिणाम हाथों-हाथ मिल जाता है परन्तु इसमें एक भयंकर खामी को नजरअंदाज करके जनता को धोखा दिया जा रहा है। टैस्टिंग की इस विधि द्वारा संक्रमित (पॉजिटिव) की पुष्टि तो ठीक होती है लेकिन असंक्रमित (नेगेटिव) रिपोर्ट भरोसा करने लायक नहीं होती। इसलिए आईएमसीआर (इंडियन मैडिकल काउसिंल फॉर रिसर्च) द्वारा निर्देश दिया गया है कि इस विधि द्वारा घोषित सभी नेगेटिव सैम्पलों को आरटी-पीसीआर विधि द्वारा भी जांचा जाये। लेकिन सीमा की भाजपाई सरकार इस निर्देश का उल्लंघन कर रही है। इसके परिणामस्वरूप जो लोग निगेटिव रिपोर्ट लेकर खुश हुए घूम रहे होते हैं उनमें से अनेको पॉजिटिव यानी संक्रमित होते हैं और वे अपने सम्पर्क में आने वाले न जाने कितने लोगों को अनजाने में संक्रमित कर बैठते हैं। सरकार की ऐसी ही लापरवाहियों से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
मोदी के नेतृत्व में शासन-प्रशासन उस कबूतर वाला फार्मूला अपना रहा है जिसमें बिल्ली को देखकर कबूतर आंखे मीच कर सोचता है जब उसे बिल्ली नहीं दिख रही तो वह बिल्ली को कैसे दिख सकता है? इस फार्मूले के तहत टैस्टिंग ही न कराना अथवा दिखावे के लिये नाममात्र ही कराना। पांच-छह महीने की मशक्कत के बाद आज भारत में मात्र 8700 टैस्ट प्रति 10 लाख पर हो रहे हैं और यूपी तथा बिहार में तो यह आकड़ा दो-तीन हजार के आसपास ही घूम रहा है। मोदी की इसी च्समझदारीज् के चलते उनके गुजरात में मृत्यु दर 6.5 प्रतिशत है जबकि केरल में यह दर मात्र 0.6 प्रतिशत है क्योंकि केरल मोदी जी की च्समझदारीज् से नहीं चलता।
जिस कोरोना महामारी की रोक-थाम एवं टेस्टिंग आदि की कार्यवाही जनवरी में ही शुरू हो जानी चाहिये थी, उस समय मोदी सरकार तरह-तरह के मेले-ठेले लगा कर देश में कोराना आमंत्रित करने में जुटी थी। डब्लूएचओ व कांग्रेसियों द्वारा दी जा रही चेतावनियों की मोदी जी खिल्ली उड़ा रहे थे। जब पानी गले तक आ पहुंचा तो बिना किसी योजना के पूरे देश को तालाबंदी की भट्टी में झोंक दिया गया।
अपनी इन्हीं मूर्खताओं एवं लापरवाहियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिये जब भी कहीं टेस्टिंग जैसी कोई छोटी-मोटी कार्यवाही होती है वहीं भाजपाई नेता श्रेय लेने को पहुंच जाते हैं। उक्त कैम्प में भी विधायक सीमा त्रिखा अपने लगुए-भगुओं के साथ वहां आकर जम गयी। टैस्टिंग का यह कैम्प भाजपा द्वारा नहीं बल्कि हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाया गया था। इसे अपनी व भाजपा की बड़ी उपलब्धि बताने के साथ-साथ वे इसे प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री खट्टर की भी बड़ी उपलब्धि बता रही थी। इस संदेश को पुख्ता करने के लिये सीमा ने वहां बड़ा सा बैनर लगाया था जिसमें तमाम छोटे-बड़े भाजपा नेताओं के चित्र लगे थे। वैसे टैस्टिंग का यह काम मेडिकल स्टा$फ इन नेताओं की ड्रामेबाज़ी के बिना ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकता था।
मौके पर उपस्थित जनता व पत्रकारों को विधायक बता रही थी कि वे कोरोना को लेकर कितनी मेहनत कर रही हैं। वे कह रही थी कि वे कई बार ईएसआईसी के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी कोरोना पीडि़तों की देख-भाल करने गयी थी। अब कोई पूछे उनसे कि वे वहां क्या देख-भाल कर सकती हैं, सिवाय मेडिकल सटा$फ को डिस्टर्ब करने के? वैसे हकीकत तो यह है कि एक बार भी कोरोना वार्ड में नहीं गयी। वे एक-आध बार गयी भी हैं तो केवल डीन कार्यालय तक और वह भी अपने किसी लगुए-भगुए की सिफारिश करने को। वैसे इस तरह के काम वे टेली$फोन पर ही अधिक करती हैं और आज से नहीं जब से मेडिकल कॉलेज बना है। विदित है कि भारत सरकार के नियंत्रण में चलने वाले इस अस्पताल में इन स्थानीय नेताओं की दादागिरी कोई खास चल नहीं पाती।
डींगे हांकने वाली सीमा से कोई यह तो पूछे कि कोरोना संकट से निपटने के लिये उन्होंने इस अस्पताल को कितने वेंटिलेटर दिलाये, पहले भी बीस थे आज भी बीस है? 500 के करीब मेडिकल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिये उन्होंने क्या कार्यवाही की? जिस खट्टर के वे गीत गा रही थी उन खट्टर जी ने बीके अस्पताल में कितने वेंटिलेटर लगवाये, न पहले कोई वेंटिलेटर था न कोई आज है? स्टा$फ की खाली सीटों को भरवाने के लिये उन्होंने क्या किया? इसी बीके अस्पताल में करीब 150 बेड खाली पड़े हैं और हर आने वाले मरीज़ को किसी न किसी तरह भगाने अथवा दिल्ली रेफर करने का प्रयास किया जाता है।
ईएसआईसी ने 200 बेड का अस्पताल सेक्टर आठ में जो बनाकर खट्टर जी को दे रखा है, उसकी दुर्दशा के लिये कौन जिम्मेदार है? गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज अस्पताल को चालू करने में अभी और कितने वर्ष लगायेंगे खट्टर जी? बस, यही सवाल जो इन भाजपाइयों से पूछ ले वही देशद्रोही।